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Startup Business in India: बांस, घास और पत्तों से कमायें लाखों, रोजगार देने के साथ कर रही कमाई
Startup Business in India: प्लास्टिक पैकेजिंग की इस समस्या को देखते हुए ओडिशा की चंदानी खंडेलवाल ने 'इकोलूप' (Ecoloop) नाम से स्टार्टअप शुरू किया जिसने इन्हे अब आत्म निर्भर बनने के साथ लाख रूपए से भी अधिक हर महीने कमाई भी हो रही है।
Bamboo Startup Business in India: आज-कल प्लास्टिक का इस्तेमाल तकरीबन हर तरह की पैकेजिंग के लिए किया जाता है। प्लास्टिक पर्यावरण के लिए काफी नुकसानदेह है। लेकिन बिना किसी विकल्प के इसका इस्तेमाल पूरी तरह से बंद भी नहीं किया जा सकता। प्लास्टिक पैकेजिंग की इस समस्या को देखते हुए ओडिशा की चंदानी खंडेलवाल ने 'इकोलूप' (Ecoloop) नाम से स्टार्टअप शुरू किया जिसने इन्हे अब आत्म निर्भर बनने के साथ लाख रूपए से भी अधिक हर महीने कमाई भी हो रही है।
सबाई घास और पत्तों से बनाती हैं फ्रेंडली पैकेजिंग
'इकोलूप' में नेचुरल रिसोर्सेज जैसे बांस, घास और पत्तों से करीब 20 तरह की गिफ्टिंग और पैकेजिंग प्रोडक्ट बनाता है। 2021 में मात्र 20 हजार रुपए की लागत से शुरू किये गए स्टार्टअप से आज हर महीने एक लाख रुपए की कमाई हो रही है। चांदनी अपने स्टार्टअप के जरिए ओडिशा के कई कारीगरों को न सिर्फ रोजगार दे रही हैं, बल्कि कई ब्रांड्स को इको फ्रेंडली पैकेजिंग उपलब्ध करा रही हैं।
बचपन से ही प्रकृति से रहा लगाव
चांदनी खंडेलवाल को बचपन से ही प्रकृति से खास लगाव रहा है। यही वजह थी कि उन्हें प्रकृति प्रदत्त वस्तुओं से कुछ आविष्कार करने की प्रेरणा प्राप्त हुई।
बांस, सबाई घास और पेपर मैशे से पैकेजिंग प्रोडक्ट्स का अविष्कार कर
27 साल की चांदनी खंडेलवाल ने अपना और अपने प्रांत का नाम ऊंचा कर दिया।
ताकि शिल्पकला को जीवित रक्खा जा सके
ओडिशा की बारीपदा की रहने वाली चांदनी , जिन्होंने स्कूल ऑफ आर्ट्स एंड क्राफ्ट्स में पढ़ाई की। पढ़ाई के बाद खुद का स्टार्टअप शुरू करना चाहती थीं जो पूरी तरह से इको फ्रेंडली हो। चांदनी बताती हैं, "ओडिशा में बहुत सी प्राकृतिक चीजों से क्राफ्ट बनाये जाते हैं। जैसे - बांस, सबाई घास और पेपर मैशे से। कारीगर इन सभी चीजों से बहुत अलग-अलग और सुंदर प्रोडक्ट्स बनाते हैं। मैं ऐसा कुछ करना चाहती थी जिससे कि इन कारीगरों को ज्यादा से ज्यादा काम मिले और हम अपनी शिल्पकला को जीवित रख सकें।"
नेचर को ग्रीन रखने की रखी कोशिश
चांदनी बताती हैं कि उन्होंने कॉलेज के समय से ही ऐसी लाइफ स्टाइल चुनी जिसमें नेचर को कम से कम नुकसान हो। वे कहती हैं कि "मेरा टिफिन पॉलिथीन में आता था तो मैंने दो सालों तक ये पॉलिथीन इकट्ठा की। एक भी पॉलिथीन को कचरे में नहीं जाने दिया, बल्कि रिसाइकिल कर दिया। इस तरह नेचर को ग्रीन रखने की कोशिश की।"
कार्डबोर्ड से बनाया पैकेजिंग
रेलवे में इस्तेमाल किए गए पुराने कार्डबोर्ड, फ्लेक्स शीट से डलिया वैगरह बनाती हैं।
चांदनी बताती हैं कि कॉलेज के आखिरी साल में अहमदाबाद के मशहूर 'राइजोम' फर्म के साथ इंटर्नशिप करने का मौका मिला। इंटर्नशिप के दौरान उन्होंने रेलवे में इस्तेमाल किए गए पुराने कार्डबोर्ड, फ्लेक्स शीट से कई पैकेजिंग प्रोडक्ट बनाए। उन्होंने राइजोम के एक ब्रांड के लिए सस्टेनेबल पैकेजिंग का डिजाइन भी तैयार किया जिसे बहुत सराहना मिली और यहीं से चांदनी ने सस्टेनेबल और इको फ्रेंडली पैकेजिंग के क्षेत्र में आगे बढ़ने का इरादा किया।
इको फ्रेंडली के तर्ज पर शुरू किया 'इकोलूप'
चांदनी को ओडिशा रूरल डेवलपमेंट और मार्केटिंग सोसाइटी के साथ काम करने के बाद स्टार्टअप का आइडिया आया।
2019 में चांदनी ने अपनी डिग्री पूरी करने के बाद ओडिशा रूरल डेवलपमेंट और मार्केटिंग सोसाइटी के साथ काम किया। चांदनी बताती हैं, " इस सोसाइटी के साथ काम करने के दौरान मुझे ओडिशा के ग्रामीण इलाकों के कारीगरों से मिलने का मौका मिला। जो हैंडमेड चीजें बनाते थे। तब मुझे लगा कि हमारे पास पहले से ही कई इको फ्रेंडली विकल्प मौजूद हैं, जिन्हें अगर सही तरह से लोगों के सामने लाया जाए तो न सर्फ ग्रामीण कारीगरों को रोजगार मिलेगा, बल्कि नेचुरल चीजों से बने प्रोडक्ट्स से प्रकृति को कोई नुकसान भी नहीं होगा। मैंने इसी तरह इको फ्रेंडली से तर्ज पर इकोलूप स्टार्टअप शुरू किया।"
20 हजार के निवेश से शुरू किया स्टार्टअप
चांदनी बताती हैं उनके पास कई कारीगर हैं जो जो अलग-अलग प्रोडक्ट्स की पैकेजिंग बनाते हैं। शुरुआत में चांदनी ने कुछ कारीगरों से पैकेजिंग प्रोडक्ट बनवाए और कुछ क्लाइंट्स को दिखाया। इसके बाद, जैसे-जैसे उनके पास ऑर्डर्स आने लगे उसके अनुसार उन्होंने अपने काम को आगे बढ़ाया। चांदनी कहती हैं , "मैंने लगभग 20 हजार रुपए के निवेश से स्टार्टअप शुरू किया और उसके मुनाफे से अपने काम को आगे बढ़ाया। फिलहाल हम गिफ्टिंग पैकेजिंग पर काम कर रहे हैं और 20 तरह के प्रोडक्ट बनाते हैं।"
कुछ ही समय में प्रोडक्ट की अच्छी डिमांड
अपने इस स्टार्टअप से चांदनी ने 500 कारीगरों को काम दिया है और हर महीने एक लाख की कमाई कर रही हैं।
चांदनी बताती हैं कॉमन प्रोडक्ट के अलावा, वो लोगों की जरूरत और मांग के हिसाब से भी प्रोडक्ट डिजाइन कर रहीं हैं। स्टार्टअप अभी शुरूआती स्टेज पर है। लेकिन चांदनी का कहना है कि धीरे-धीरे वो इस इंडस्ट्री में अपनी पहचान बनाने में कामयाब हो रहीं हैं। उन्हें हर महीने बल्क में ऑर्डर मिल रहे हैं।
चांदनी का उद्देश्य इकोलूप को सस्टेनेबल पैकेजिंग के क्षेत्र में बड़ा ब्रांड बनाना, ताकि सिर्फ ओडिशा ही नहीं बल्कि अलग-अलग इलाकों के कारीगरों के साथ काम करने का मौका मिले । हमारे देश के हर कोने में कोई न कोई खास शिल्पकला देखने को मिलती है जो प्लास्टिक प्रोडक्ट्स का अच्छा विकल्प है। जरूरत है बस सही प्लेटफॉर्म और मार्केटिंग की।"