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स्टॉक मार्केट फिर नीचे, एचएमपीवी की दहशत बरकरार
भारत में पहले ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस केस के बाद भारतीय शेयर बाजार में गिरावट आई। 8 जनवरी को सेंसेक्स 51 अंक और निफ्टी 19 अंक गिरकर बंद हुआ।
भारतीय शेयर बाजार में उस समय हड़कंप मच गया था जब भारत में पहला ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस केस सामने आया। उसके बाद बीएसई और एनएसई में स्टॉक काफी नीचे चले गए और तभी से ये सिलसिला जारी है। 8 जनवरी को ही बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज बेंचमार्क इंडेक्स पिछले चार कारोबारी सत्रों में 3 प्रतिशत या लगभग 2,500 अंक गिर गया लेकिन अंत में सेंसेक्स 51 अंक गिरकर 78,149 पर बंद हुआ, जबकि निफ्टी 19 अंक गिरकर 23,689 पर बंद हुआ। निफ्टी बैंक इंडेक्स 367 अंक गिरकर 49,835 पर आ गया, जिसमें आईसीआईसीआई बैंक और एचडीएफसी बैंक जैसे बैंकिंग स्टॉक ने नुकसान में योगदान दिया। व्यापक बाजार को भी प्रतिकूल परिस्थितियों का सामना करना पड़ा और मिडकैप इंडेक्स 599 अंक गिरकर 56,271 पर आ गया।
नेशनल स्टॉक एक्सचेंज निफ्टी-50 इंडेक्स 2.8 प्रतिशत या 679 अंक गिरकर 23,496 के निचले स्तर पर चला गया था। निफ्टी 50 शेयरों में से, आईटीसी सबसे ज़्यादा घाटे में रही। अन्य शेयरों में ट्रेंट, बीपीसीएल, एचडीएफसी बैंक, अदानी पोर्ट्स, कोटक महिंद्रा बैंक, टीसीएस और टाटा स्टील को बिकवाली का खामियाजा उठाना पड़ा है।
क्या हैं वजहें
- सरकार के अनुमानों के अनुसार वित्त वर्ष 25 में भारत की जीडीपी 6.4 प्रतिशत की दर से बढ़ेगी, जो चार वर्षों में सबसे कम है, जिससे देश की आर्थिक प्रगति पर चिंताएँ बढ़ गई हैं।
- अमेरिका में नौकरियों के मजबूत आँकड़ों के चलते फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में कटौती की उम्मीद घट गई है। अमेरिका के 10 वर्षीय बॉन्ड की यील्ड बढ़कर 4.67 प्रतिशत हो गई, जिससे डॉलर मजबूत हुआ है और उभरते बाजार कमजोर हुए हैं।
- सप्लाई संबंधी चिंताओं और बढ़ती माँग के चलते ब्रेंट क्रूड 0.38 प्रतिशत बढ़कर 77.34 डॉलर प्रति बैरल हो गया है जिससे अर्थव्यवस्था पर दबाव बढ़ गया है।
- विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) ने 7 जनवरी को 1,491.46 करोड़ रुपये मूल्य के भारतीय इक्विटी स्टॉक बेचे। बिकवाली जारी रहने से बाजार में नेगेटिव संकेत मिलते हैं।
- ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस संक्रमण से जुड़ी चिंताओं के बीच, भारत का अस्थिरता सूचकांक 13 फीसदी से ज़्यादा बढ़ गया है।