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Union Budget 2025: काफी चर्चाओं में रहा इन पांच वित्त मंत्रियों का बजट, देश की अर्थव्यवस्था को मिली थी रफ्तार
Union Budget 2025: आजाद भारत की बात की जाए तो देश का पहला आम बजट 26 नवंबर 2047 को तत्कालीन मुख्य वित्त मंत्री आरके शनमुखम चेट्टी ने पेश किया था।
Union Budget 2025: केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के बजट पर सबकी निगाहें लगी हुई हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बजट में गरीबों, महिलाओं और मध्यम वर्ग के लिए विशेष प्राविधान होने के संकेत दिए हैं। देश की आम जनता के साथ ही उद्योग जगत को भी बजट से काफी उम्मीदें हैं। जानकारों का मानना है कि इस बार के बजट में टैक्सपेयर्स से लेकर किसानों तक के लिए सरकार की ओर से बड़े ऐलान किए जा सकते हैं। इसके साथ ही विकसित भारत के सपने को पूरा करने के लिए भी मोदी सरकार बड़े कदम उठा सकती है। देश का आम बजट पेश किए जाने के मौके पर
पूर्व के वित्त मंत्रियों की ओर से पेश किए गए महत्वपूर्ण बजटों पर भी नजर डालना जरूरी है।
आजाद भारत की बात की जाए तो देश का पहला आम बजट 26 नवंबर 2047 को तत्कालीन मुख्य वित्त मंत्री आरके शनमुखम चेट्टी ने पेश किया था। उसके बाद देश में 70 से अधिक केंद्रीय बजट पेश किए जा चुके हैं मगर देश के इतिहास में पांच वित्त मंत्रियों की ओर से पेश किया गया बजट काफी चर्चाओं में रहा है और इसने देश की अर्थव्यवस्था को रफ्तार देने में बड़ी भूमिका निभाई।
मनमोहन के बजट से आर्थिक उदारीकरण की शुरुआत
देश के पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह का पिछले दिनों निधन हो गया। प्रधानमंत्री बनने से पूर्व उन्होंने देश के वित्त मंत्री के रूप में भी काम किया था। देश के वित्त मंत्री के रूप में डॉक्टर मनमोहन सिंह की ओर से 1991-92 में पेश किया गया बजट काफी चर्चाओं में रहा था। उस समय देश गंभीर वित्तीय संकट से जूझ रहा था। मनमोहन सिंह ने बतौर अर्थशास्त्री अपनी काबिलियत का परिचय देते हुए देश की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए महत्वपूर्ण ऐलान किए थे।
उन्होंने आर्थिक उदारीकरण की शुरुआत की जिसके तहत व्यापार में सरकार का दखल काम करते हुए आर्थिक आजादी को बढ़ावा दिया गया। उन्होंने विदेश से आने वाले सामानों पर कस्टम ड्यूटी 220 से घटकर 150 फ़ीसदी कर दी जिससे भारतीय व्यापार वैश्विक स्तर पर अधिक प्रतिस्पर्धी हो गया।
उन्होंने लाइसेंस राज को खत्म करते हुए दुनिया भर में भारत की मजबूत और छवि पेश की। लाइसेंस राज खत्म होने से नौकरशाही का दखल भी घट गया और अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने में काफी मदद मिली। भारतीय अर्थव्यवस्था में दुनिया का भरोसा बढ़ने से विदेशी निवेश भी बढ़ा जिससे भारत को आर्थिक शक्ति बढ़ाने का मार्ग प्रशस्त हुआ।
चिदंबरम ने दिया था वित्तीय कुशलता का परिचय
वित्त मंत्री के रूप में पी चिदम्बरम ने भी आर्थिक और वित्तीय कुशलता का परिचय दिया। उन्होंने 1997 का बजट पेश करते हुए पर्सनल इनकम टैक्स और कॉरपोरेट टैक्स में भारी कमी करने का ऐलान किया। इससे करदाताओं को काफी राहत मिली और एक्सपर्ट्स ने इसे ड्रीम बजट करार दिया। इसे भारतीय इतिहास में सबसे उल्लेखनीय बजटों में गिना जाता रहा है।
यशवंत ने दी थी आईटी सेक्टर को ताकत
अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में यशवंत सिन्हा को वित्त मंत्री पद की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। सिन्हा ने डिजिटल क्रांति की रूपरेखा तैयार की। उनका बजट खासकर आईटी सेक्टर के लिए क्रांतिकारी साबित हुआ। सिन्हा ने कंप्यूटर समेत 21 आइटम्स पर कस्टम ड्यूटी घटाने का बड़ा ऐलान किया था। इससे आईटी इंडस्ट्री को जबर्दस्त ताकत मिली और देश को आईटी हब बनाने में बड़ी मदद मिली।
जेटली ने आम बजट के साथ मर्ज किया रेल बजट
प्रधानमंत्री के रूप में नरेंद्र मोदी के पहले कार्यकाल के दौरान अरुण जेटली ने वित्त मंत्री की जिम्मेदारी संभाली थी। 2016-17 में मोदी सरकार की ओर से बड़ा कदम उठाया गया और अरुण जेटली ने आम बजट और रेल बजट को मर्ज कर दिया। इससे पहले दोनों बजट अलग-अलग पेश किए जाते थे। यह परंपरा 92 वर्षों से चल रही थी मगर अरुण जेटली ने इस परंपरा को खत्म कर दिया। उसके बाद से रेलवे को लेकर किए जाने वाले ऐलान भी अब आम बजट में ही किए जाते हैं।
उद्योग जगत के लिए निर्मला के बड़े ऐलान
मौजूदा वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 2019 में पेश किए गए बजट में बड़ा ऐलान किया था। उन्होंने आर्थिक सुधार की दिशा में बड़ा कदम उठाते हुए कॉरपोरेट टैक्स को घटाकर 30 फ़ीसदी से 22 फ़ीसदी कर दिया था। दरअसल, अर्थव्यवस्था को नोटबंदी और जीएसटी लागू से बड़ा झटका लगा था।
कॉरपोरेट टैक्स घटाने से उद्योग जगत को संकट से उबारने में काफी मदद मिली। कोरोना काल में देश को आर्थिक दिक्कतों से बाहर निकालने के लिए 20 लाख करोड़ के आर्थिक पैकेज का भी ऐलान किया गया था।