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Unnao Zari-Zardozi Business: जरी-जरदोजी के काम को मिल रहा मुकाम, ODOP से आई कारीगरों के चेहरे पर मुस्कान

Unnao Zari-Zardozi Business: उन्नाव में सदर कुरसठ, बारीथाना, मियागंज, आसीवन, हैदराबाद, मोहान, हसनगंज, सफीपुर आदि स्थानों में करीब 1500 कारीगर कई पीढ़ियों से जरी-जरदोजी (साड़ियों में कढ़ाई का कार्य) के काम जुड़े हुए हैं।

Viren Singh
Written By Viren Singh
Published on: 18 Sept 2023 8:15 AM IST (Updated on: 18 Sept 2023 11:29 AM IST)
Unnao Zari-Zardozi Business
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Unnao Zari-Zardozi Business (Newstrack)

Unnao Zari-Zardozi Business: राजधानी लखनऊ और चमड़ा उद्योग नगरी कानपुर के बीच स्थित उन्नाव जिले का अपने आप में एक बड़ा महत्व है। गंगा और सई नदी के धारा के किनारे बसे इस जिले को वीरों की धरती कहा जाता है। इस वीरों की धरती वाला जिला इतिहास, साहित्य, धार्मिक और सांस्कृतिक विरासत से भी काफी मजबूत है। यहीं से देश को हिन्दी पत्रकारिता पहला संपादक मिला, जोकि पंडितप्रताप नारायण हुए और वह हिन्दी के पहले अखबार उदन्त मार्त्तण्ड के संपादक थे।

वस्त्रों के जरी-जरदोजी के काम के लिए मशहूर है उन्नाव

उन्नाव प्राचीन काल से इतिहास के पन्नों पर अपना अलग स्थान बना हुए है। यह प्रदेश के उद्योग क्षेत्र का भी सिरमौर रहा है, इस लिहाज एक अगर कानपुर के बाद उन्नाव को एक बड़ा औद्योगिक शहर कहा जाए तो यह कहना गलत नहीं होगा। वैसे तो उन्नाव जिले में कई उद्योगों का कारोबार किया जाता है, लेकिन इसके जरी-जरदोजी उद्योग की बात ही कुछ निराली है। पोशाकों में हुई जरी-जरदोजी बाद वस्त्र की बात कुछ अलग हो जाती है। जरी-जरदोजी का पहना हुआ पोशाक लोगों की सुंदरता पर चार चांद लगा देता है।


ओडीओपी (ODOP) से संभला जरदोजी उद्योग

उन्नाव में सदियों से चली आ रही जरी-जरदोजी कला को संवारने के लिए यूपी की सत्ता पर आसानी योगी सरकार ने अपनी महत्वाकांक्षी योजना ‘एक जिला एक उत्पाद’ (ODOP) के तहत उन्नाव के जरी-जरदोजी उद्योग को शामिल किया है। इस उद्योग को शामिल करने का लक्ष्य सरकार का यह है कि उन्नाव के जरी-जरदोजी कला की अंतरराष्ट्रीय फलक पर और बड़ी पहचान मिले। सत्ता के रहनुमाओं ने हमेशा से उन्नाव इस उद्योग के साथ अन्य उद्योग पर अपनी नजर फेरे रखी, जिसका आलम यह हुआ कि जो उद्योग उन्नाव को वैश्विक स्तर पर एक नई पहचान दिलाने की क्षमता रखते थे, वह खराब हालत पर पहुंच गए। हालांकि ओडीओपी से जरी-जरदोजी उद्योग जुड़ने के बाद कुछ केवल इसी में इसकी हालात सुधरी है, बाकी जैसे-तैसे चल ही रहे हैं।


कारीगरों के लिए तैयार हो रहा कॉमन फैसिलिटी सेंटर

यूपी सरकार द्वारा उन्नाव के जरी-जरदोजी को ओडीओपी (ODOP) योजना में किये जाने के बाद केंद्र सरकार से भी इस उद्योग के लिए मदद की। जनपद के जरी-जरदोजी (साड़ियों में कढ़ाई) के लिए मियागंज में कॉमन फैसिलिटी सेंटर (सीएफसी) का निर्माण कराया गया। यह निर्माण जरी-जरदोजी से जुड़े कारीगरों की अधिक संख्या को देखते हुए हो रहा है, ताकि जरी-जरदोजी से जुड़े कारीगरों को कच्चा माल के लिए दर-दर तक भटकना न पड़े।


देश व विदेश की कंपनियों से सीधे आर्डर मिलेंगे

जनपद के मियागंज में 3.15 करोड़ की लागत से सीएससी का निर्माण करवाया जा रहा है। खुद इसका काम जिले की सफीपुर विधानसभा क्षेत्र के भाजपा विधायक बंबालाल देख रहे हैं। इस सेंटर में 250 स्वयं सहायता समूहों के 2500 सदस्य को प्रशिक्षण भी दिया जाएगा। सेंटर में देश व विदेश की कंपनियों से सीधे आर्डर आएंगे और उनकी मांग के मुताबिक कपड़े और उस पर डिजाइन बनाकर सप्लाई की होगी। हालांकि, उन्नाव में एक सीएफसी पहले से चल रही है।


लाभार्थी ने कहा- प्रशंसा शब्दों में नहीं हो सकती बयां

उन्नाव में सदर कुरसठ, बारीथाना, मियागंज, आसीवन, हैदराबाद, मोहान, हसनगंज, सफीपुर आदि स्थानों में करीब 1500 कारीगर कई पीढ़ियों से जरी-जरदोजी (साड़ियों में कढ़ाई का कार्य) के काम जुड़े हुए हैं। मियागंज की जरी-जरदोजी की महिला कारीगर सरोजिनी ने ‘न्यूजट्रैक’ से बात करते हुए बताया कि OPDP से जुड़ने के बाद हमारी लाइफ ही बदल गई है, जो कल तक हमें पूछते नहीं थे, वह आज हमारी तारीफ करते हुए नहीं थकते। योगी सरकार की इस महत्वाकांक्षी योजना की प्रशंसा शब्दों में बयां नहीं की जा सकती।


ओडीओपी से कारीगरों को मिला लोन

योजना की लाभार्थी कारीगर सरोजिनी ने कहा कि हम ओडीओपी से साल 2018 में जुड़े थे। उसके बाद हमारे साथ अन्य महिलाएं भी जुड़ीं। जरी-जरदोजी कला के लिए योजना सेजुड़ने के बाद सरकार ने हमारी ट्रेनिंग भी कराई। ओडीओपी के तहत सरकार ने हमारे 5लाख रुपये का लोन भी दिया है, जिसमें 25 फीसदी हमें सब्सिडी प्राप्त हुई है और कई जरी-जरदोजी से जुड़े कारीगरों को भी सहायता मिली है। इसमें इससे जुड़ी कई मशीनें भी शामिल हैं। सरोजनी ने बताया कि पहले गृहिणी थे, फिर काम के लिए 2014 में कुछ महिलाओं के साथ मिलकर स्वंय सहायता समूह बनाया, जिसके बाद हमें काम मिलने लगा और बाद में हमारा समूह ओडीओपी से जोड़ा गया। इस योजना से जुड़ने के बाद से हमारे आर्थिक स्थिति में सुधार हुई है। एक बार सीएससी के आर्थिक स्थिति में और सुधार आने की उम्मीद है, क्योंकि अभी हम कारीगरों को जरी-जरदोजी से जुड़े कुछ कच्चे माल के लिए अन्य शहरों की ओर रुख करना पड़ता था, लेकिन इसके निर्माण होने के बाद यह सब एकस्थान यानी सीएससी पर मिलने लगेगा।


आय के साथ बढ़ा रोजगार

‘न्यूजट्रैक’ ने जब सरोजिनी से ओडीओपी योजना से जुड़ने के बाद उनकी आय को लेकर सवाल किया तो उन्होंने कहा कि यहां पहले हम दिन में 100 रुपये नहीं कमा पाते थे। अब ओडीओपी से जुड़ने के बाद जरदोजी के माध्यम से महीने में 25 से 30 रुपये की कमाई होने लगी है। साथ ही, सैकड़ों की संख्या में महिलाओं को रोजगार मिल रहा है। आज हर महिला दिन में 500 रुपये की कारीगरी से कमाई कर रही है। भारत सहित विदेशों में हो रही मांग उन्होंने कहा कि ODOP से जुड़े के बाद उन्नाव जिले के जरी-जरदोजी कढ़ाई पोशाकों की मांग भारत के कई राज्यों में होने लगी है। यहां पर पहले इस कढ़ाई के कपड़े उन्नाव में ही नहीं बिकते थे, वह अब भारत के अन्य राज्यों जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि अब तो विदेशों से भी मांग होने लगी है। सरोजिनी ने बताया कि प्रथम संस्था के माध्यम से हमारे समूह को विदेश से दो लहंगे का ऑर्डर मिला है। इन लहंगों पर जर-जरदोजी की कढ़ाई होनी है, जिसके बाद एक लहंगे की कीमत 55 हजार रुपये होगी। यह लहंगा तैयार करके हमने दे दिए हैं।

विधायक फोन कर हाल-चाल लेते हैं

सरोजिनी ने कहा कि सीएम योगी की ओडीओपी स्कीम ने हमें जीने का सहारा दिया है। पहले घर के लिए ही नहीं जानते थे, आज शहर व अन्य राज्य के लोग पहचाने रहे हैं। यहां तक कुछ लोग मेरे नाम से शहर में अपना काम तक करवा लेते हैं। लोग ने मेरा मजाक उड़ाया है, और कहा कि हमने बहुत बड़ी-बड़ी कंपनियां देखी हैं, काम बंद भी होते है, तुम्हारा ये भी काम बंद होते देखेंगे। आज हालत यह है कि विधायक फोन कर हाल-चाल लेते हैं। सरोजनी ने कहा कि आज हमारे समूह में 350 दीदी यानी महिलाएं काम कर रही हैं। हम इन दीदियों को काम के हिसाब से वेतन मुहैया करवा रहे हैं। आजकल चिकन पर जरी काम की मांग अधिक है, तो इस काम के लिए हम अपनी दीदियों को 150 से लेकर 500 रुपये तक एक सूट पर कढ़ाई करने के लिए मेहनत देते हैं। वह हमारे एक से दो दिन यह सूट कढ़ाई के बाद दे देती हैं।


कड़े संघर्ष के बाद जरदोजी को मिली नई पहचान

जरी-जरदोजी क्लस्टरउत्थान समिति के अध्यक्ष जाहिरा ने कहा कि महिलाओं को मेहनत का वाजिब हक दिलाने के लिए 2008 में पहल की शुरूआत की। तब हम मुख्यमंत्री और गर्वनर से मिले और भरोसा दिलाया, लेकिन जरी-जरदोजी को मुकाम नहीं मिल सका। हालांकि हम लोगों ने हार नहीं मानी और देश के कई बड़े शहरों की प्रदर्शनियों में हिस्सा लेकर इस कला को विदेशों तक पहुंचाया। जिसके बाद जिले की जरी-जरदोजी को योगी सरकार की एक जिला एक उत्पाद योजना में हुआ। अपनी कला को बचाने के लिए हमलोगों ने एक लंबी लड़ाई है। जरदोजी कला का इतिहास हिंदुस्तान में जरदोजी की कला 12वीं शताब्दी में दिल्ली में हुकूमत करने वाले तुर्की सुल्तानों ने लाई। जरदोजी एक फारसी शब्द है। यहां पर जर का मतलब सोना होता है और दोजी का अर्थ कढ़ाई होता है। हालांकि जरदोजी को कौन लेकर आया इसको लेकर भी कई मिथक हैं। कहा जाता है कि जरदोजी को ईरान से भारत लाने वाला शख्स मुगल बादशाह अकबर था। जरदोजी का काम भारत में सबसे पहले दिल्ली में शुरू हुआ। फिर यह अवध लखनऊ में आई। फिर क्या जैसे-जैसे मुगल सल्तनत बढ़ती गई तो जरदोजी भी फैलने लगा। आज यह कला दिल्ली, लखनऊ में नारह कर यूपी के शहरों में फैल गई है, जिसमें फर्रुखाबाद, आगरा, हरदोई और रायबरेली शामिल हैं। हालांकि उन्नाव इस कला का हब बना हुआ है।





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Viren Singh

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पत्रकारिता क्षेत्र में काम करते हुए 4 साल से अधिक समय हो गया है। इस दौरान टीवी व एजेंसी की पत्रकारिता का अनुभव लेते हुए अब डिजिटल मीडिया में काम कर रहा हूँ। वैसे तो सुई से लेकर हवाई जहाज की खबरें लिख सकता हूं। लेकिन राजनीति, खेल और बिजनेस को कवर करना अच्छा लगता है। वर्तमान में Newstrack.com से जुड़ा हूं और यहां पर व्यापार जगत की खबरें कवर करता हूं। मैंने पत्रकारिता की पढ़ाई मध्य प्रदेश के माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्विविद्यालय से की है, यहां से मास्टर किया है।

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