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Uttarakhand Bamboo Jewellery: विदेशी महिलाओं को लुभा रही उत्तराखंड बांस की ज्वेलरी, US से लेकर चीन तक हो रही इनकी जबरदस्त मांग

Uttarakhand Bamboo Jewellery Business: आज कल उत्तराखंड में तैयार किए जा रहे बैंबू या रिंगाल के आभूषण अपनी भारी डिमांड से बाजार में जमकर सुर्खियां बटोर रहे हैं। आइए जानते हैं बैंबू से बने ज्वेलरी से जुड़े डिटेल्स के बारे में-

Jyotsna Singh
Written By Jyotsna Singh
Published on: 20 Jan 2025 12:48 PM IST
Uttarakhand Bamboo Jewellery: विदेशी महिलाओं को लुभा रही उत्तराखंड बांस की ज्वेलरी, US से लेकर चीन तक हो रही इनकी जबरदस्त मांग
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Uttarakhand Bamboo Jewellery Business: पूरी दुनिया में भारत अपनी हस्तशिल्प (Handicrafts) और कला कौशल (Arts Skills) के लिए मशहूर माना जाता है। फिर चाहे चिकनकारी हो, जरदोजी हो या काष्ठ एवं शिल्प कला हो, ऐसे अनगिनत उदाहरण यहां मौजूद हैं। भारतीय कला संस्कृति से जुड़ी हस्तनिर्मित कलाकृतियों के कद्रदान देश के साथ ही साथ कहीं ज्यादा विदेशों में नजर आते हैं। इसी कड़ी में भारत में हस्तनिर्मित बांस के आभूषण (Handmade Bamboo Jewellery) आज कल विदेशी धरती पर चर्चा का विषय बने हुए हैं। एक ओर महिलाएं जहां कीमती धातुओं और रत्नों से जड़ी हुई ज्वेलरी को पहनना पसंद करती हैं, वहींं आज कल उत्तराखंड (Uttarakhand) में तैयार किए जा रहे बैंबू या रिंगाल के आभूषण अपनी भारी डिमांड से बाजार में जमकर सुर्खियां बटोर रहे हैं। आइए जानते हैं बैंबू से बने आभूषणों (Bans Se Bane Abhushan) से जुड़े डिटेल्स के बारे में-

उत्तराखंड में बैंबू बोर्ड और जायका कर रहा महिलाओं को प्रशिक्षित

(फोटो साभार- सोशल मीडिया)
(फोटो साभार- सोशल मीडिया)

देश के साथ विदेशों में फैशन ट्रेंड (Fashion Trend) बन रहे बांस से निर्मित आभूषण इन दिनों ट्रेंड बन चुके हैं। यही वजह है कि स्वरोजगार और कुटीर उद्योग को बढ़ावा देने के लिए उत्तराखंड (Uttarakhand) में बांस की ज्वेलरी को बाजार में उतारने की तैयारी की जा रही है। इसके लिए उत्तराखंड की कई महिलाओं और पुरुषों को ट्रेंड भी किया जा रहा है। देहरादून, काशीपुर और हल्द्वानी में ये प्रशिक्षण शिविर रखे भी जा चुके हैं। वहीं उत्तराखंड में बैंबू बोर्ड और जायका की ओर से देहरादून में एक सप्ताह का ट्रेनिंग सेशन महिलाओं के लिए रखा जा रहा है। यहां उन्हें बांस की ज्वेलरी बनाने का प्रशिक्षण दिया जा रहा है।

बांस की जगह पर रिंगाल की लकड़ी का हो रहा इस्तेमाल

पर्वतीय क्षेत्रों में बांस की उपलब्धता संभव नहीं है इसलिए यहां पर आसानी से सुलभ रिंगाल के पेड़ की लकड़ी से फैंसी आभूषण तैयार किए जा रहें हैं। एक्सपर्ट के अनुसार, इस प्रोडक्ट की बाजार में हो रही डिमांड से इसकी बिक्री में 80 प्रतिशत तक का प्रॉफिट मार्जिन का लाभ हो रहा है। एक्सपर्ट बताते हैं कि ज्वैलरी मेकिंग के लिए करीब ढाई सौ से ₹300 की कीमत में बॉस की एक लंबी ब्रांच को खरीदा जाता है। इस एक ब्रांच से एक लाख रुपय के कीमत प्रोडक्ट बन कर तैयार होते हैं। यानी करीब ₹300 लगाकर ₹100,000 का सामान तैयार किया जा सकता है।

महिलाओं को घर बैठे मिल रहा रोजगार

(फोटो साभार- सोशल मीडिया)
(फोटो साभार- सोशल मीडिया)

महिलाओं की आर्थिक स्थिति को बेहतर बनाने और उन्हें रोजगार से जोड़ने के लिए उत्तराखंड में बैंबू बोर्ड और जायका मिलकर महिलाओं की ज्वेलरी से जुड़े इस बाजार को अब राज्य स्तर तक इसका विस्तार करना चाहते हैं और इसीलिए प्रदेश में विभिन्न महिला समूहों को इस हुनर से जोड़ा जा रहा है। हाल ही ने देहरादून में सात दिन का ट्रेनिंग सेशन महिलाओं द्वारा सम्पन्न किया गया है। इसी तरह काशीपुर और हल्द्वानी में भी महिला समूहों के लिए ऐसे प्रशिक्षण दिए जा रहे हैं। इसमें घर बैठे मिलने वाले रोजगार को देखते हुए महिलाएं इससे जुड़ने के लिए उत्साहित दिखाई दे रहीं हैं।

साथ ही इस हुनर को दिलचस्पी के साथ सीखने वाली महिलाओं को भविष्य में बाजार में इसके विस्तार के लिए एडवांस ट्रेनिंग देने की योजना तैयार की गई है। बॉस की ज्वेलरी मेकिंग का प्रशिक्षण ले रही टिहरी की गुनसोला कहती हैं, कि बाजार में इन आभूषणों की काफी मांग है और इसे सीखने के बाद वह उत्तराखंड में इसके बाजार को आगे बढ़ाने का काम करने के साथ ही दूसरी महिलाओं को भी इसका प्रशिक्षण देंगी।

प्रशिक्षण के लिए आ रहे त्रिपुरा से एक्सपर्ट्स

उत्तराखंड में बांस की पैदावार नहीं होती है। ज्यादातर बॉस की पैदावार करने वाले नॉर्थ ईस्ट के कई राज्यों में बांस से बने विभिन्न प्रोडक्ट का बाजार अब तक अपनी यह पहचान कायम किए हुए था लेकिन अब महिलाओं के आभूषण के रूप में उत्तराखंड का नाम चर्चित हो रहा है। यही वजह है कि बांस से जुड़े बाजार को विस्तार देने के लिए इससे बने प्रोडक्ट बनाने वाले त्रिपुरा के एक्सपर्ट उत्तराखंड पहुंचकर प्रशिक्षण शिविर में महिलाओं को ट्रेनिंग दे रहे हैं। त्रिपुरा से आए मास्टर ट्रेनर बताते हैं कि भारत में महिलाओं के बांस से बने आभूषण का एक बड़ा बाजार है। देश के बड़े शहरों में इसकी भारी डिमांड की जा रही है।

उत्तराखंड में उत्तरकाशी, चमोली, टिहरी और कुमाऊं के बागेश्वर चंपावत जैसे पर्वतीय जनपदों से भी महिलाएं ट्रेनिंग सेंटर में पहुंचकर स्वरोजगार से जुड़कर आर्थिक तौर पर सशक्त बन रही हैं। इस तरह बांस से जुड़े इस उद्यम की सफलता और लाभ को देखते हुए अब ज्यादा से ज्यादा पुरुष वर्ग भी इस हुनर का प्रशिक्षण ले रहे हैं।



Shreya

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