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WPI inflation: आर्थिक मोर्चे पर लगा झटका, दिसंबर में पहुंची थोक महंगाई दर नौ महीने के उच्चतम स्तर पर
WPI inflation: दिसंबर, 2023 में देश की थोक मुद्रास्फीति 0.73% दर्ज की गई है, जो कि इसका नौ महीने का उच्चतम स्तर है। पिछले महीने अपनी द्विमासिक मौद्रिक नीति में रिज़र्व बैंक ने नवंबर और दिसंबर में बढ़ती खाद्य मुद्रास्फीति से जुड़े संभावित जोखिमों पर प्रकाश डालते हुए इसमें वृद्धि के संकेत दिये थे।
Wholesale Inflation: भारत सरकार ने सोमवार दिसंबर महीने के लिए थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) डेटा जारी कर दिये हैं। जारी हुए आंकड़ों से देश वासियों को आर्थिक मोर्चे पर झटका मिला है। दिसंबर, 2023 में देश की थोक मुद्रास्फीति 0.73% दर्ज की गई है, जो कि इसका नौ महीने का उच्चतम स्तर है। दिसंबर में WPI मुद्रास्फीति में वृद्धि का कारण खाद्य कीमतों में आई उल्लेखनीय इजाफा से हुआ है। इससे पहले खुदरा महंगाई दर (सीपीआई) के आंकड़ों से लोगों को झटका मिला था, जो कि अपने चार महीने के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई थी।
अप्रैल से अक्टूबर तक दिखाई गिरावट
वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय ने 15 जनवरी को एक बयान में बताया कि दिसंबर 2023 में सकारात्मक मुद्रास्फीति दर मुख्य रूप से खाद्य वस्तुओं, मशीनरी और उपकरण, अन्य विनिर्माण, अन्य परिवहन उपकरण और कंप्यूटर, इलेक्ट्रॉनिक्स और ऑप्टिकल उत्पादों की ऊंची कीमतों से प्रेरित है। इस वजह से इसमें दिसंबर महीने में 0.73 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। WPI मुद्रास्फीति अप्रैल से अक्टूबर तक नकारात्मक क्षेत्र में थी, लेकिन नवंबर में 0.26 प्रतिशत पर सकारात्मक हो गई।
जानिए नवंबर और अक्टूबर में थोक महंगाई के आंकड़े
इससे पहले बीते नवंबर महीने में थोक महंगाई दर 0.26 फीसदी रिकॉर्ड की थी। हालांकि अक्टूबर में इसमें गिरावट आई और यह -0.52 फीसदी पर आ गई थी।
दिसंबर में इतनी रही खुदरा महंगाई
पिछले हफ्ते वित्त मंत्रालय ने देश के दिसंबर माह के खुदरा महंगाई दर (सीपीआई) के आंकड़ें जारी किये थे। दिसंबर में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) बढ़कर चार महीने के उच्चतम स्तर 5.69 प्रतिशत पर पहुंच गया था। खास तौर पर दिसंबर में सब्जियों की महंगाई दर 26.30 फीसदी और दालों की महंगाई दर 19.60 फीसदी पर पहुंच गई थी, जिसके चलते खुदरा महंगाई दर में वृद्धि देखने को मिली थी।
आरबीआई ने दिए थे वृद्धि के संकेत
पिछले महीने अपनी द्विमासिक मौद्रिक नीति में रिज़र्व बैंक ने नीतिगत दरों को स्थिर रखते हुए नवंबर और दिसंबर में बढ़ती खाद्य मुद्रास्फीति से जुड़े संभावित जोखिमों पर प्रकाश डाला था। आरबीआई ने दिसंबर में थोक व खुदरा महंगाई दर में वृद्धि के संकेत दिये थे।