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WPI Inflation: थोक महंगाई में आई नरमी, लेकिन ये अब भी 15 फीसदी के पार
WPI Inflation: महंगाई को लेकर देश में मचे हाहाकार के बीच एक राहत पहुंचाने वाली खबर आई है। सरकार द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक, जून महीने में थोक मूल्य सूचकांक की दर 15.18 फीसदी रही।
WPI Inflation: महंगाई (Inflation) को लेकर देश में मचे हाहाकार के बीच एक राहत पहुंचाने वाली खबर आई है। सरकार (Government) द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक, जून महीने में थोक मूल्य सूचकांक (WPI) की दर 15.18 फीसदी रही। बीते माह यानी मई में ये 15.88 फीसदी पर थी। इससे पहले अप्रैल में ये 15.08 फीसदी और मार्च में 14.55 फीसदी था। बता दें कि बीते साल यानी 2021 में जून में थोक महंगाई दर 12.07 फीसदी रही थी।
नरमी के बावजूद आंकड़े चिंताजनक
थोक महंगाई दर में जरूर थोड़ी नरमी आई है लेकिन ये अब भी 15 फीसदी के ऊपर बना हुआ है। डिपार्टमेंट ऑफ प्रमोशन ऑफ इंडस्ट्री एंड इंटरनल ट्रेड (DPIIT) के ताजा आंकड़े के मुताबिक, मई में थोक महंगाई दर (wholesale inflation rate) ने 15.88 फीसदी के साथ रिकॉर्ड बना दिया था। वर्ष 1998 के बाद ऐसा पहली बार हुआ है जब थोक महंगाई की दर 15 फीसदी के पार निकली है। इससे पहले साल 1998 के दिसंबर माह में थोक महंगाई 15 फीसदी से ऊपर रही थी।
थोक महंगाई का आम जनजीवन पर असर
जानकारों के मुताबिक, थोक महंगाई का लंबे समय तक बढ़े रहना चिंता का विषय है। ये अधिकतर प्रोडक्टिव सेक्टर को प्रभावित करती है। अगर होलसेल प्राइस अधिक समय तक उच्च रहता है तो निर्माता उसकी भरपाई उपभोक्ता से करवाते हैं यानी बढ़ी हुई कीमत कंज्यूमर्स को देनी होती है। सरकार केवल टैक्स के जरिए थोक मूल्य सूचकांक (WPI) को कंट्रोल कर सकती है। जैचे कच्चे तेल में तेजी के चलते सरकार ने ईंधन पर एक्साइड ड्यूटी कम की थी। यहां आपको बता दें कि सरकार एक सीमा तक ही टैक्स में कटौती कर सकती है, क्योंकि उसे भी अपने कर्मचारियों को वेतन देना होता है।
सरकार ने बताया क्यों ज्यादा है थोक महंगाई दर
वाणिज्य मंत्रालय (Ministry of Commerce) का कहना है कि इस साल जून के माह में महंगाई की ऊंची दर के लिए मुख्य तौर पर खनिज तेलों, खाने-पीने के तेलों, कच्चे तेल, प्राकृतिक गैस केमिकल्स, केमिकल प्रोडक्ट आदि की अधिक कीमतें जिम्मेदार है।