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Year Ender 2022: म्युनिसिपल कॉरपोरेशन बांड के लिए नहीं रहा उत्साहित 2022, फिर भी लखनऊ ने जुटाया पैसा

Year Ender 2022: देश में पहली बार बांड की शुरुआत गुजरात की अहमदाबाद नगर निगम ने की थी। तब अहमदाबाद की निकाय ने राज्य सरकार की बिना गांरटी के 100 करोड़ रुपये का म्युनिसिपल कॉरपोरेशन बांड उतार दिया था।

Viren Singh
Written By Viren Singh
Published on: 24 Dec 2022 3:02 PM GMT
Municipal Corporation Bond
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Municipal Corporation Bond (सोशल मीडिया) 

Year Ender 2022: देश में लोगों को मुलभूत सुविधा मिलती रहें इसका सबसे बड़ा जिम्मा अगर किसी चुनी हुई सरकार का होता है तो वह शहर सरकार का होता है। अब सोच रहेंगे होंगे कि यह शहर सरकार क्या होती है ? आपको बता दें शहर सरकार साधारण भाषा में निगम सरकार कहा जाता है। दरअसल, हम लोग देश में तीन प्रकार की सरकारों को चुनते हैं। यह सरकारें केंद्र, राज्य और निकाय की होती हैं। वैसे तो लोगों को मूलभूत सविधा मिले यह जिम्मेदारी सब सरकार की होती है। लेकिन सबसे बड़ी जिम्मेदारी की बात करें तो देश में निकाय की होती हैं। इस सरकार को क्षेत्रीय मुद्दों पर ज्यादा ध्यान देना होता है। लोगों का निकाय सरकार से अधिक जुड़ाव होता है। शहरी सरकारें लोगों को मलूभूत सुविधा मिले। शहर में विकास अधिक हो, इसके लिए धन की अधिक आवश्यकता होती है।

अगर बीते 15 या 20 साल में नजर डालें तो देश के प्रमुख शहरों की निकाय सरकार को छोड़ दें तो अधिकांश राज्य की शहर व ग्रामाणी निकाय सरकारों की हालत हमेशा ही माली रही। पर्याप्त मात्र में धन ना मिलने की चलते अधिकांश शहरी सरकार का हाल खस्ता रहा, जिसकी वजह से लोगों को वह मूलभूत सुविधा या यूं कहें कि विकास नहीं मिल पाया, जिसकी उनको जरूरत थी। शहरों में कूड़े का अंबार लगा रहता था। नालियां बजबाजती थीं। लोगों को शुद्ध जल नहीं मिल पाता था। शहर का ड्रेनेज सिस्टम तो इतना खराब था कि बरसात के दिनों में शहर मानो नहरों में तब्दील हो जाते थे। पानी काफी दिनों तक भरा रहता है, जिससे मौसामी बीमारी का खतरा बढ़ा जाता था। हालांकि बीते कुछ सालों में देश की शहरी सरकारों की स्थिति सुधरी है। केंद्र व राज्य सरकार ने शहरी सरकार की ओर ध्यान देना शुरू किया है। अब पहले ही तुलना में निकाय सरकारों का बजट भी बढ़ा है। निकाय अपने संसाधानों से अतिरिक्त धन भी अर्जित करने लगे हैं। इन्ही अतिरिक्त धन अर्जित में से एक है म्युनिसिपल कॉरपोरेशन बांड। यह बांड देश में पहले आ चुके हैं। लेकिन सबसे अधिक इनका चलन बीते दो तीन सालों में ज्यादा बढ़ा है। साल 2022 में भी कई राज्य की सरकारों ने अपने अपने निगम बांड जारी किये और स्टॉक मार्केट में लिस्ट हुए। अब बांड शहरी सरकारों का धन अर्जित करने का एक अच्छा माध्यम बना गया है। लोग जैसे अन्य बांडों में निवेश करते हैं, वैसे म्युनिसिपल कॉरपोरेशन बांड में भी निवेश कर रहे हैं। अधिक संख्या में लोगों को म्युनिसिपल बांड में निवेश करें इसके लिए निकाय सरकारें अन्य जहगों की तुनला में ब्याज दरें भी ज्यादा ऑफर कर रही हैं।

2 दिसबंर को लॉन्च हुआ एलएमबी

वैसे देखा जाए तो लोगों को अपने शहर के विकास के लिए कुछ योगदान के रूप में पैसा निवेश करना और उस निवेश में कुछ लाभ मिल जाए तो कोई खराब सौदा नहीं है। इस साल 2 दिसंबर, 2022 को उत्तर प्रदेश की सरकार ने लखनऊ म्युनिसिपल कॉरपोरेशन बांड (एलएमबी) को बॉम्बे स्कॉट मार्केट यानी बीएसई पर लिस्ट करवाया। यह यूपी के नगर निगम इतिहास का पहला म्युनिसिपल कॉरपोरेशन बांड था । ऐसा करने वाला यूपी उत्तर भारत का पहला राज्य बना। एलएमबी को स्टॉक मार्केट में लिस्ट करवाने पर यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ खुद बीएसई पर मौजूद रहे है। इस बांड के जरिये लखनऊ नगर निगम ने 200 करोड़ रुपये हासिल कर लिये। इस बांड पर निवेश करने पर लखनऊ नगर निगम निवेशकों को 8.5 फीसदी ब्याज पेश कर रहा है।इसकी परिपक्वता अवधि 10 साल तय की गई है। लखनऊ नगर निगम के एक अधिकारी ने कहा कि इस बांड से जुटाई गई राशि का उपयोग शहर के निकाय के विभिन्न बुनियादी ढांचागत योजनाओं में लगाई जायेगी, ताकि शहर की जनता को और सहूलियत मिल सके।

गाजियाबाद बना देश का पहला ग्रीन म्युनिसिपल बॉन्ड

हालांकि देश का पहला ग्रीन म्युनिसिपल बॉन्ड लाने की उपाधि उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद नगर निगम को मिली। यह ग्रीन म्युनिसिपल बॉन्ड 31 मार्च, 2021 को लॉन्च किया गया था। इस बांड के माध्म से नगर निगम ने 150 करोड़ रुपये का फंड हासिल किया था। इसमें 100 करोड़ रुपये बेस इशू से और 50 करोड़ रुपये ग्रीन इशू से हासिल किये थे। इसके अलावा बीएसई की ऑनलाइन बिडिंग प्लेटफार्म के जरिए 401 करोड़ रुपये 40 ऑनलाइन बोली के जरिये मिली थी। इस बांड को 4 गुना सब्सक्रिप्शन मिला। यह बांड म्युनिसिपल बांड की हिस्ट्री में सबसे कम दर में से एक था। इस बांड को लोगों ने हाथों हाथ लिया था। एक मिनट के अंदर पूरा इशू फुल हो गया था। राज्य सरकार ने साल 2019 में गाजियाबाद और लखनऊ नगर निगम बांड जारी की अनुमति दी थी।

यह होता है ग्रीन बांड

दरअसल, ग्रीन बांड वे बांड होते हैं, जिनका उपयोग केवल पर्यावरण के उद्देश्य के लिए किया जाता है। ग्रीन ब्रांड से प्राप्त हुई राशि का प्रयोग शहरी सरकारें केवल पर्यावरण प्रोजेक्ट के लिए ही करती हैं। यह बांड किसी भी इकाई, सरकारी समूह या गठबंधन और कॉरपोरेट्स द्वारा जारी किये जाते हैं।

यूपी में और आएंगे निकाय बांड

राज्य सरकार गाजियाबाद व लखनऊ नगर निगम के बांड से मिली सफलता के बाद अगले साल के शुरुआत महीनों में वाराणसी, आगरा और कानपुर के नगर निगम बांड भी जारी करने की योजना बना रही है। लखनऊ नगर निगम के एक अधिकारी ने कहा था कि इस बांड से जुटाई गई राशि का उपयोग शहर के निकाय के विभिन्न बुनियादी ढांचागत योजनाओं में लगाएगी,ताकि शहर की जनता को और सहूलियत मिल सके।

देश में पहली बार इस शहर ने जारी किया बांड

देश में पहली बार बांड की शुरुआत गुजरात की अहमदाबाद नगर निगम ने की थी। तब अहमदाबाद की निकाय ने राज्य सरकार की बिना गांरटी के 100 करोड़ रुपये का म्युनिसिपल कॉरपोरेशन बांड उतार दिया था। यह बांड 1998 में जनवरी महीने में उतारा गया था। वहीं देश में अब तक कुल 11 नगर निगम बांड जारी किये जा चुके हैं। इन बांडों के जरिये इन निगमों ने कुल 3690 करोड़ रुपये का फंड हासिल किया है,जिसमें बीएसई बांड प्लेटफार्म से 3,175 करोड़ रुपये हासिल हुए। इन बांडों से अमरावती ने 2000 करोड़ रुपये, विशाखापत्तनम ने 80 करोड़ रुपये, अहमदाबाद ने 200 करोड़ रुपये, सूरत ने 200 करोड़ रुपये, भोपाल ने 175 करोड़ रुपये, इंदौर ने 140 करोड़ रुपये, पुणे ने 495 करोड़ रुपये और हैदराबाद ने 200 करोड़ रुपये फंड हासिल किये हैं।

किसको बोलते हैं म्युनिसिपल बॉन्ड?

बांड को एक प्रकार से लेटर ऑफ क्रेडिट कहा जाता है। बांड जारी कर इकाई या संस्था बाजार से पैसा जुटाती है। इन बांड जारी कर संस्था या इकाई बाजार से पैसा उधार के रूप में लेती है। एक निश्चित रिटर्न के साथ पैसा वापस करती है। जब भी देश में म्युनिसिपल या नगर निगम बॉन्ड जारी किये जाते हैं। इन बांड की खास बात यह है कि जब भी कोई निवेशक लंबी अवधि के लिए म्युनिसिपल बॉन्ड को खरीदता है तो उसको अन्य बाजार की तुलना की में यहां अच्छा रिटर्न मिलता है। सरकार इन बांड को टैक्स फ्री रखती है।

सेबी ने दिए ये निर्देश

निवेशकों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए सेबी ने एक दिशानिर्देश जारी किया था। सेबी का निर्देश यह था कि देश में वही नगर निगम अपना बांड ला सकती है, जिसने लगातार तीन वित्त वर्ष में नेटवर्थ पॉजिटिव रहा हो और कोई लोन डिफॉल्ट न किया हो। इसके अलावा बांड की रेटिंग BBB या इससे अधिक रही हो। अगर इनमें से कुछ भी नगर निगम के खिलाफ जाता है तो वह अपना बांड बाजार में नहीं जारी कर सकती है। सेबी ने यह दिशानिर्देश साल 2015 में जारी किये थे।

Viren Singh

Viren Singh

पत्रकारिता क्षेत्र में काम करते हुए 4 साल से अधिक समय हो गया है। इस दौरान टीवी व एजेंसी की पत्रकारिता का अनुभव लेते हुए अब डिजिटल मीडिया में काम कर रहा हूँ। वैसे तो सुई से लेकर हवाई जहाज की खबरें लिख सकता हूं। लेकिन राजनीति, खेल और बिजनेस को कवर करना अच्छा लगता है। वर्तमान में Newstrack.com से जुड़ा हूं और यहां पर व्यापार जगत की खबरें कवर करता हूं। मैंने पत्रकारिता की पढ़ाई मध्य प्रदेश के माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्विविद्यालय से की है, यहां से मास्टर किया है।

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