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Railway Land Scheme: 1 रुपये के शुल्क पर मिलेगी रेलवे की जमीन, बनेंगे स्कूल और अस्पताल

Railway Land Scheme: केंद्र के एक फैसले के अनुसार, रेलवे की जमीन का इस्तेमाल अब 35 साल तक के लिए 1 रुपये प्रति वर्ग मीटर प्रति वर्ष की दर से आप कर सकते हैं।

Yogesh Mishra
Written By Yogesh Mishra
Published on: 10 Nov 2022 3:35 PM GMT (Updated on: 10 Nov 2022 3:41 PM GMT)
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Railway Land Scheme: भारत में कहा जाता है कि सबसे ज़्यादा संपत्तियाँ रेलवे और रक्षा महकमे के पास हैं। इसके बाद संपत्तियों के मालिकाना हक़ के मामले में वक़्फ़ प्रापर्टियां आती हैं। यानी वक़्फ़ समितियाँ आती हैं। सरकार ने रेलवे की अचल संपत्तियों के उपयोग का एक नायाब रास्ता ढूँढ निकाला है। आने वाले समय में एक रूपये के लीज़ पर रेलवे की परिसंपत्तियाँ अस्पताल या स्कूल खोलने के लिए आप को मिल सकती हैं।

भारतीय रेलवे के पास देश भर में लगभग 4.84 लाख हेक्टेयर जमीन है, जिसमें से 0.62 लाख हेक्टेयर खाली पड़ी है। इसमें वह भूमि शामिल है जो पटरियों के समानांतर है। केंद्र के एक फैसले के अनुसार, रेलवे की जमीन का इस्तेमाल अब 35 साल तक के लिए 1 रुपये प्रति वर्ग मीटर प्रति वर्ष की दर से आप कर सकते हैं।

उसमें सोलर प्लांट लगा सकते हैं। सीवेज और वाटर ट्रीटमेंट सुविधाएं स्थापित कर सकते हैं। इसके अलावा, पीपीपी के माध्यम से इन जमीनों का इस्तेमाल अस्पतालों और केंद्रीय विद्यालय संगठन के साथ स्कूलों को 1 रुपये प्रति वर्ग मीटर प्रति वर्ष में 60 वर्ष तक के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है।

रेलवे की जमीनों पर इंफ्रास्ट्रक्चर स्थापित करने में कार्गो से संबंधित उद्यम, पब्लिक यूटिलिटी की चीजें, नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाएं और यहां तक ​​कि स्कूल भी शामिल हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की एक बैठक में यह फ़ैसला लिया गया है।

इस फ़ैसले से देश में बेकार पड़ी औद्योगिक ज़मीन का ठीक से इस्तेमाल हो सकेगा। नीति में संशोधन का जोर पूरे रेलवे नेटवर्क में कार्गो टर्मिनल स्थापित करने में मदद करना है। सरकार रसद लागत को कम करने और अर्थव्यवस्था में प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देने के लिए रेलवे में माल ढुलाई के एक सामान्य बदलाव को प्रोत्साहित करना चाहती है।

रेलवे की जमीन पर कार्गो टर्मिनलों और कार्गो से संबंधित गतिविधियों की स्थापना पर दर जमीन के मौजूदा बाजार मूल्य के 1.5 फीसदी सालाना की दर से लगेगी और 35 साल तक मुद्रास्फीति के लिए 6 फीसदी की वार्षिक वृद्धि होगी।

इससे निजी कंपनियों, सार्वजनिक उद्यमों को रेलवे की जमीन को लीज़ पर लेना आसान हो जायेगा। क्योंकि अब ये ज़मीनें 35 साल के लिए लीज़ पर मिलेंगी। पहले केवल पाँच साल तक के लिए लीज़ पर मिल सकती थीं।

नीति भविष्य के भूमि-पट्टा समझौतों पर लागू होगी। जो पहले से ही पट्टे पर रेलवे भूमि पर कार्गो से संबंधित गतिविधियों को अंजाम दे रहे हैं, वे मौजूदा नीति द्वारा शासित होते रहेंगे। मौजूदा दर वार्षिक वृद्धि के साथ 6 प्रतिशत का वार्षिक पट्टा शुल्क शेष लीज अवधि या 35 वर्षों के लिए 7 प्रतिशत है।

सरकार ने कहा है कि अगले पांच वर्षों में, पीएम गति शक्ति कार्यक्रम के लिए 300 से अधिक कार्गो टर्मिनल खुलेंगे। नई भूमि नीति के तहत कार्गो से संबंधित गतिविधियों को कोई भी संचालित कर सकता है। कार्गो टर्मिनल पर मौजूदा लीज धारक को नई नीति व्यवस्था में स्थानांतरित करने में सक्षम बनाने के लिए, सरकार उन्हें मौजूदा लीज समझौते के समाप्त होने के बाद माइग्रेट करने का विकल्प भी देगी।

अक्षय ऊर्जा संयंत्र, जल रीसाइक्लिंग और ट्रीटमेंट संयंत्र रेलवे के अनन्य उपयोग के लिए होने चाहिए। जबकि स्कूल और अस्पताल जैसे सामुदायिक बुनियादी ढांचे रेलवे लाभार्थियों और बड़े पैमाने पर जनता के लिए हो सकते हैं।

गति शक्ति कार्यक्रम की प्रमुख अवधारणाओं में से एक के रूप में सभी बुनियादी ढांचे और उपयोगिता परियोजनाओं को एक दूसरे के साथ समन्वयित करना है। सरकार ने रेलवे भूमि के संबंध में मार्ग के अधिकार को भी बहुत सहज बनाया है।

रेलवे भूमि के माध्यम से गैस, बिजली, ऑप्टिक फाइबर केबल, जल आपूर्ति और सीवेज निपटान जैसी उपयोगिताओं को 35 वर्षों के लिए 6 प्रतिशत वार्षिक वेतन वृद्धि पर भूमि मूल्य के 1.5 प्रतिशत पर राइट ऑफ वे चार्ज का भुगतान करने की अनुमति दी जाएगी।

इस लिहाज़ से हम देखें तो रेलवे की भूमि मिल जाने के बाद जिस तरह गैस पाइप लाइन बिछाने का सरकारी अभियान है। जिस तरह 5- जी के लिए केबिल डालने का अभियान है, सब बहुत आसान हो जायेगा। और देश के प्रगति के आँकड़े तेज़ी से बढ़ेंगे।

Durgesh Sharma

Durgesh Sharma

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