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Career in dance: नृत्य से स्वर्णिम भविष्य बनाएं
Career in Dance: विशेषकर नृत्य जैसी विधाओं में आगे बढ़ने के लिए उच्च कोटि के गुरु के निरंतर परामर्श के अलावा कड़ी मेहनत, सच्ची लगन एवं धैर्य का होना आवश्यक है।
Career in Dance: भारत वर्ष में प्राचीन काल से ही नृत्य कला की मनोरंजन के क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका रही है। नृत्य वास्तव में एक शौक ही नहीं बल्कि एक साधना भी है। किसी बच्चे को यदि इस कला के संस्कार की नींव उसके आरंभिक उम्र में डाल दी जाए तो वह बच्चा बड़ा होकर न केवल उच्च कोटि का कलाकार बन सकता है अपितु समाज में उसका नाम अत्यंत प्रतिष्ठा के साथ लिया जाता है। आज के जमाने में इस कला के क्षेत्र में आगे बढ़ना एक चुनौतीपूर्ण कार्य है परंतु असंभव नहीं।
विशेषकर नृत्य जैसी विधाओं में आगे बढ़ने के लिए उच्च कोटि के गुरु के निरंतर परामर्श के अलावा कड़ी मेहनत, सच्ची लगन एवं धैर्य का होना आवश्यक है। हमारे देश में जिन महत्वपूर्ण शिक्षण संस्थानों में नृत्य की उच्च कोटि की शिक्षा दी जाती है उनका विवरण इस प्रकार है:
भारतखंडे कॉलेज ऑफ हिंदुस्तानी म्यूजिक , लखनऊ संगीत एवं ललित कला संकाय , काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणसी
- * धर्म समाज कॉलेज, अलीगढ़
- * संगीत समाज कॉलेज, मेरठ
- *श्री टीका राम गर्ल्स डिग्री कॉलेज, अलीगढ़
- * विमेंस ट्रेनिंग कॉलेज दयालबाग, मेरठ
- * आर्य संगीत विद्यापीठ, कोलकाता
- *गंधर्व महाविद्यालय, दिल्ली
- * कॉलेज ऑफ इंडियन म्यूजिक , एम एस यूनिवर्सिटी बड़ौदा
- *कला केंद्र , भागलपुर
- *ललितकला केंद्र, ग्वालियर
- इसके अलावा दिल्ली स्थित कथक केंद्र, कत्थक नृत्य के क्षेत्र में राष्ट्रीय स्तर का संस्थान माना जाता है जो केंद्रीय संगीत नाटक अकादमी द्वारा स्थापित एवं संचालित है। यहां कत्थक के निम्न पाठ्यक्रम चलाए जाते हैं:
- * पांच वर्षीय प्रारंभिक पाठ्यक्रम ,इसके लिए आयु सीमा 7 से 16 वर्ष है।
- * तीन वर्षीय डिप्लोमा( पास) पाठ्यक्रम, आयु सीमा 13 से 22 वर्ष
- * तीन वर्षीय डिप्लोमा ऑनर्स पाठ्यक्रम, आयु सीमा 16 से 24 वर्ष
- *दो वर्षीय स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम, आयु सीमा 19 से 26 वर्ष निर्धारित है।
- *छमाही रिफ्रेशर पाठ्यक्रम (केवल कथक नृत्य के शिक्षकों के लिए) यह पाठ्यक्रम 40 वर्ष से कम उम्र के लोगों के लिए है।
कथक केंद्र, दिल्ली में बहावलपुर हाउस, भगवानदास रोड पर स्थित है। यहां नए प्रवेशार्थियों को योग्यता के आधार पर छात्रवृत्तियां भी दी जाती है। योग्य आवेदनकर्ताओं को एक प्रवेश परीक्षा में बैठना होता है। जिसके द्वारा उनकी अभिरुचि एवं पूर्व शिक्षण के स्तर का मूल्यांकन किया जाता है ताकि आवेदनकर्ताओं को उसकी योग्यता के अनुरूप संस्था में प्रवेश दिया जा सके।
श्रीराम भारतीय कला केंद्र में ओडिसी , भरतनाट्यम कथक और छऊ जैसे नृत्यों की शैलियों का प्रशिक्षण दिया जाता है। सर्टिफिकेट कोर्स में स्कूल शिक्षण अनिवार्य नहीं है। यहां चयन का आधार साक्षात्कार है। यहां बाहर के छात्रों हेतु छात्रावास भी है। इंदिरा कला संगीत महाविद्यालय, खैरागढ़ मध्य प्रदेश, पिनकोड-491881 द्वारा नृत्य में पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा पाठ्यक्रम संचालित किया जाता है। यहां भरतनाट्यम का कोर्स भी उपलब्ध है।
नृत्य कला के क्षेत्र में धन भी है और प्रतिष्ठा भी। समाज में शायद ही कोई व्यक्ति दिखाई दे जिसे संगीत या नृत्य में कोई रुचि न हो। परंतु बहुत कम लोगों ने ऐसा सोचा होगा कि नृत्य का शौक भी उज्ज्वल भविष्य के लिए मार्ग प्रशस्त कर सकता है। शोभना नारायण, संयुक्ता पाणिग्रही एवं सोनल मानसिंह जैसे कई सफलतम नृत्यांगनाओं से सभी परिचित हैं। इसी प्रकार पंडित बिरजू महाराज जैसे कई नामधारी नृत्य साधक भी हैं जो हर दृष्टि से इस क्षेत्र में सफल हैं और भारतीय शास्त्रीय नृत्य की परंपरा को कायम रखे हुए हैं।जिन युवाओं को नृत्य में रुचि है उनके लिए इस क्षेत्र में उज्ज्वल भविष्य बनाने हेतु हर संभावनाएं हैं। आज के युवक एवं युवतियां नृत्य सीखकर करियर के क्षेत्र में अपनी पहचान बना सकते हैं।
नृत्य की एक विधा है शास्त्रीय नृत्य। इसके अंतर्गत भरतनाट्यम, ओडिसी, कुचिपुड़ी, कथक, कथककली इत्यादि शैलियां आती हैं। आधुनिक स्टाइल के नृत्यों में डिस्को से लेकर कई स्टाइल के ढेरों ऐसे कृत्य हैं जिन्हे आसानी से सीखा जा सकता है।
शास्त्रीय नृत्य के जानकार सोलो परफॉर्मेंस देकर प्रतिष्ठित दर्शकों की वाहवाही बटोर सकते हैं और डिस्को डांसरों को ऑर्केस्ट्रा, मंच कार्यक्रम, डिस्कोथेक, फिल्म सीरियल इत्यादि क्षेत्रों में मौका मिलते हैं। लेकिन शास्त्रीय नृत्यों में प्रवीणता हासिल करने के उपरांत जितना सम्मान व संतुष्टि हासिल की जा सकती है उतनी दीगर विदेशी नृत्यों में नहीं पाई जा सकती।
नृत्य के क्षेत्र में पूर्णकालिक करियर बनाने के भी आजकल अनेक मौके मिलते हैं। कई संस्थाएं सालभर नृत्य प्रदर्शन कार्यक्रम आयोजित करती रहती हैं। इन संस्थाओं का एकमात्र उद्देश्य अपनी कला, अपनी संस्कृति को जीवित रखना होता है। हमारे देश में कई महत्वपूर्ण संस्थाएं इस कार्य में कई वर्षों से लगी हुई हैं।इनका कार्य युवा कलाकारों को प्रोत्साहन के अवसर प्रदान करना होता है।
नृत्य के अखिल भारतीय कार्यक्रम में दूरदर्शन द्वारा कलाकारों को पूरे अवसर दिए जाते हैं। वास्तव में नृत्य महिलाओं के लिए तो अनुकूल है ही। वैजंती माला, हेमा मालिनी, मीनाक्षी शेषाद्रि और कुछ अन्य दक्षिण की अभिनेत्रियों की शोहरत के पीछे उनकी नृत्य प्रतिभा भी रही है मगर पुरुष भी इस क्षेत्र में पीछे नहीं रहे हैं। कमल हासन का नाम फिल्मों में अच्छे एक्टर के रूप में लिया जाता है।इस प्रकार नृत्य प्रतिभा आपके व्यक्तित्व में निखार ला सकती है एवं आपके उज्ज्वल भविष्य के निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान दे सकती है।