Good News: असिस्‍टेंट प्रोफेसर भर्ती के लिए अब PHD की अनिवार्यता खत्म, UGC ने दो साल बढ़ाई छूट

यूजीसी ने विश्वविद्यालयों में असिस्टेंट प्रोफेसर भर्ती के लिए निर्धारित योग्यताओं में बदलाव करके दी बड़ी राहत

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Report amanPublished By Raghvendra Prasad Mishra
Published on: 13 Oct 2021 12:20 PM GMT
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यूजीसी की फाइल तस्वीर (फोटो साभार-सोशल मीडिया)

Good News: विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (University Grants Commission) यानि यूजीसी (UGC) ने देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों में असिस्टेंट प्रोफेसर भर्ती (assistant professor recruitment) के लिए निर्धारित योग्यताओं में पुनः एक बार बदलाव किया है। केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान की घोषणा के अनुसार, यूजीसी ने अब असिस्टेंट प्रोफेसर भर्ती के लिए अनिवार्य पीएचडी की आवश्यकता को फिलहाल हटा दिया है। आयोग ने अगले दो वर्षों के लिए यह छूट बढ़ाई है। आयोग की तरफ से जारी नए नियम के अनुसार, जुलाई 2023 तक पीएचडी की अनिवार्यता खत्म रहेगी।

देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों में असिस्टेंट प्रोफेसरों की भर्ती को सुविधाजनक बनाने की दिशा में एक कदम के तहत UGC ने अनिवार्य पीएचडी की प्रयोज्यता की तारीख 01 जुलाई, 2021 से बढ़ाकर 01 जुलाई, 2023 करने का निर्णय लिया है।

क्या कहा UGC ने नोटिस में?

विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा जारी नोटिस के अनुसार, 'उच्च शिक्षा के शीर्ष निकाय यूजीसी (UGC) ने विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में शिक्षकों सहित अन्य शैक्षणिक कर्मचारियों की नियुक्ति के लिए न्यूनतम योग्यता तथा उच्च शिक्षा में मानकों के नियमों में संशोधन किया है। अब 01 जुलाई, 2023 तक विश्वविद्यालयों के विभाग में सहायक प्रोफेसर (assistant professor) के पद पर सीधी भर्ती के लिए पीएचडी डिग्री अनिवार्य योग्यता नहीं होगी।'

विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने आगे कहा है, कि यह संशोधन भारत के राजपत्र के भाग- III, खंड- 4 में हिंदी और अंग्रेजी में प्रकाशित किया गया है, जिसे आधिकारिक वेबसाइटों से डाउनलोड किया जा सकता है।

रिक्त पदों को भरने के लिए उठाया कदम

मीडिया से बात करते हुए शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा, "देश के उच्च शिक्षण संस्थानों में असिस्टेंट प्रोफेसर (assistant professor) पद पर नियुक्ति के लिए पीएचडी (PHD) अनिवार्य है। लेकिन अब इस मानदंड को शिक्षा मंत्रालय की तरफ से सिर्फ इसी सत्र के लिए हटा दिया गया है, ताकि संस्थानों में रिक्त पदों को समय पर भरा जा सके तथा संकाय और प्रोफेसरों की संभावित कमी के कारण शिक्षा प्रभावित न हो। दरअसल, हमें उन उम्मीदवारों से बहुत सारे अनुरोध प्राप्त हो रहे थे, जो रिक्त पदों के लिए आवेदन करना चाहते थे। लेकिन पीएचडी पूरा करने में असमर्थ थे। इसलिए इस बाध्यता को महज इसी साल के लिए खत्म किया गया है।

कोविड- 19 को ध्यान में रखकर लिया निर्णय

कोविड- 19 महामारी से उत्पन्न समस्याओं को ध्यान में रखते हुए यह निर्णय लिया गया है। आधिकारिक अधिसूचना केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान द्वारा पीएचडी आवश्यकता पर एक वर्ष की छूट की घोषणा के बाद जारी की गई है। अधिकांश उच्च शिक्षण संस्थानों और विश्वविद्यालयों में शिक्षकों की भारी कमी से जूझ रही है। इस निर्णय से इन भर्तियों में तेजी आ सकेगी।

2018 में पीएचडी को अनिवार्य किया गया था

अब पोस्ट ग्रेजुएशन (पीजी) डिग्री वाले उम्मीदवार, जिन्होंने राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा (नेट) उत्तीर्ण की है, असिस्टेंट प्रोफेसर पद पर भर्ती के लिए पात्र होंगे। वर्तमान में कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में काफी सीट खाली हैं, जिन्हें अब भरना आसान हो जाएगा। ज्ञात हो कि पहले कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में असिस्टेंट प्रोफेसर भर्ती के लिए 'नेट' क्वालीफाई होना आवश्यक था। लेकिन साल 2018 में केंद्र सरकार ने आदेश जारी किया था कि इस स्तर पर नौकरी पाने के लिए 'नेट' के अलावा उम्मीदवारों के लिए पीएचडी आवश्यक होगी।

Raghvendra Prasad Mishra

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