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Chhattisgarh : छत्तीसगढ़ पहुंची पंजाब की बयार, सिंह देव फिर पहुंचे दिल्ली दरबार,CM बदलने की अटकलें तेज

Chhattisgarh : मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के खिलाफ मोर्चा खोलने वाले वरिष्ठ कैबिनेट मंत्री टीएस सिंह देव एक बार फिर दिल्ली पहुंच गए हैं।

Anshuman Tiwari
Written By Anshuman TiwariPublished By Shraddha
Published on: 21 Sept 2021 2:39 PM IST
CM भूपेश बघेल के खिलाफ टीएस सिंह देव एक बार फिर पहुंच गए दिल्ली
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मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (फाइल फोटो - सोशल मीडिया)

Chhattisgarh : पंजाब में कैप्टन अमरिंदर सिंह (Capt Amarinder Singh) के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दिए जाने के बाद सीएम बदलने की बयार छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) भी पहुंच गई है। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (Chief Minister Bhupesh Baghel) के खिलाफ मोर्चा खोलने वाले वरिष्ठ कैबिनेट मंत्री टीएस सिंह देव (Cabinet Minister TS Singh Deo) एक बार फिर दिल्ली दरबार में पहुंच गए हैं। हालांकि उन्होंने अपनी यात्रा को व्यक्तिगत बताया है मगर उनका दिल्ली में पार्टी के कई वरिष्ठ नेताओं से मिलने का कार्यक्रम है।


पंजाब में नेतृत्व परिवर्तन के बाद सिंह देव के दिल्ली दौरे को सियासी नजरिए से काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। सिंह देव के दिल्ली दौरे के मद्देनजर सियासी हलकों में यहां भी नेतृत्व परिवर्तन की अटकलें तेज हो गई हैं। हालांकि अभी तक कांग्रेस का कोई नेता इस मुद्दे पर खुलकर बोलने को तैयार नहीं है। वैसे पार्टी में ढाई-ढाई साल के फार्मूले की चर्चा काफी दिनों से होती रही है। बघेल मुख्यमंत्री के रूप में 17 जून को ही ढाई साल का कार्यकाल पूरा कर चुके हैं।

वरिष्ठ नेताओं से हो सकती है मुलाकात

दिल्ली पहुंचने के बाद सिंह देव ने मीडिया से बातचीत के दौरान अपने दौरे को पूरी तरह व्यक्तिगत बताया है। उन्होंने कहा कि मैं अपनी बहन का जन्मदिन मनाने के लिए दिल्ली आया हूं। इस यात्रा का कोई सियासी कनेक्शन नहीं है। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ में सब कुछ पूर्व की भांति सामान्य चल रहा है। पार्टी में जो भी मुद्दे उठे थे, उनका समाधान किया जा चुका है।


सिंह देव के करीबी सूत्रों का भी कहना है कि उनकी यात्रा पूरी तरह से व्यक्तिगत है। उनका बुधवार को दिल्ली से रायपुर लौटने का कार्यक्रम है। सिंह देव के करीबियों का कहना है कि उनकी यात्रा का राजनीति से कोई लेना-देना नहीं है। हालांकि सिंह देव ने अपने दिल्ली दौरे के दौरान पार्टी के वरिष्ठ नेताओं से मुलाकात की संभावना से इनकार नहीं किया है। इस कारण माना जा रहा है कि वे राज्य के सियासी हालात पर वरिष्ठ नेताओं से चर्चा कर सकते हैं।

पिछले महीने भी उठा था बदलाव का मुद्दा

दरअसल, पंजाब की तरह राजस्थान और छत्तीसगढ़ में भी कांग्रेस में गुटबाजी चरम पर है। राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के खिलाफ सचिन पायलट गुट और छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के खिलाफ सिंह देव गुट ने मोर्चा खोल रखा है। छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री बदलने के मुद्दे पर पिछले महीने कांग्रेस हाईकमान के साथ सिंह देव की लंबी चर्चा हुई थी। राज्य में ढाई-ढाई साल के फार्मूले का मुद्दा काफी दिनों से गरमाया हुआ है और मुख्यमंत्री बघेल जून महीने के दौरान ही अपना ढाई साल का कार्यकाल पूरा कर चुके हैं।

गत 28 अगस्त को इस मुद्दे पर चर्चा के लिए मुख्यमंत्री बघेल को भी दिल्ली तलब किया गया था। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री बदलने के इच्छुक थे मगर बाद में कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी के दखल के कारण भूपेश बघेल को अभयदान मिल गया। कांग्रेस सूत्रों के मुताबिक प्रियंका गांधी की दलील थी कि छत्तीसगढ़ में अभी मुख्यमंत्री बदलना सियासी नजरिए से उचित नहीं होगा।



वरिष्ठ कैबिनेट मंत्री टीएस सिंह देव (फाइल फोटो - सोशल मीडिया)


अभी नहीं बुझी है नेतृत्व परिवर्तन की आग

अगस्त महीने में हाईकमान से चर्चा के बाद मुख्यमंत्री बघेल ने राहुल गांधी के जल्द छत्तीसगढ़ पहुंचने की बात कही थी। सिंह देव का भी कहना था कि राहुल गांधी जल्द बस्तर का दौरा करेंगे और विभिन्न विकास परियोजनाओं का जायजा लेंगे। दोनों नेताओं के बयान के बावजूद अभी तक राहुल गांधी के बस्तर दौरे का कार्यक्रम नहीं तय हो चुका है। अगस्त में दिल्ली दौरे से लौटने के बाद सियासी हलकों में सिंह देव का एक बयान काफी चर्चा का विषय बना था।


सिंह देव का कहना था कि हाईकमान से छत्तीसगढ़ के मुद्दे पर विस्तृत चर्चा हुई है। हाईकमान ने फिलहाल अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है। उनका यह भी कहना था कि हाईकमान की ओर से उचित समय पर उचित फैसला लिया जाएगा। सिंह देव के इस बयान को राज्य में नेतृत्व परिवर्तन का संकेत माना गया था। हालांकि छत्तीसगढ़ के प्रभारी पी एल पुनिया इस बात से इनकार करते रहे हैं। मगर कांग्रेस सूत्रों का ही कहना है कि राज्य में नेतृत्व परिवर्तन की आग अभी ठंडी नहीं हुई है।

ढाई-ढाई साल के फार्मूले का दबाव

छत्तीसगढ़ में 2018 में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस ने भाजपा को पटखनी देते हुए 90 में से 68 सीटों पर जीत हासिल की थी। कांग्रेस की जोरदार जीत के बाद राज्य में नेतृत्व के मुद्दे को लेकर पेंच फंस गया था। शुरुआत में भूपेश बघेल, सिंह देव और ताम्रध्वज साहू के बीच नेतृत्व को लेकर खींचतान चल रही थी। मगर आखिर में सीएम की कुर्सी के लिए दो मुख्य दावेदार भूपेश बघेल और सिंह देव ही रेस में रह गए थे।

कांग्रेस सूत्रों के मुताबिक दो दावेदारों के होने के कारण पार्टी हाईकमान की ओर से ढाई-ढाई साल के फार्मूले की बात कही गई थी। अब इस फार्मूले को लेकर राज्य में दबाव बढ़ता जा रहा है। ऐसे में सिंह देव की दिल्ली यात्रा को सियासी नजरिए से देखा जा रहा है। पंजाब में नेतृत्व परिवर्तन के बाद छत्तीसगढ़ में सिंह देव के गुट को नई संजीवनी मिली है। इसका असर आने वाले दिनों में दिख सकता है।



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Shraddha

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