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Chhattisgarh: 136 करोड़ की राम वन गमन परियोजना का उद्घाटन, सीएम बघेल का है ड्रीम प्रोजेक्ट

छत्तीसगढ़ मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने अपने ड्रीम प्रोजेक्ट राम वन गमन परियोजना के पहले चरण का उद्घाटन भगवान राम के जन्मदिन राम नवमी के अवसर पर किया।

Deepak Kumar
Written By Deepak KumarPublished By Network
Published on: 10 April 2022 4:23 PM IST
Bhupesh Baghel
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भूपेश बघेल 

Chhattisgarh: छत्तीसगढ़ सीएम भूपेश बघेल (CM Bhupesh Baghel) के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ सरकार (Chhattisgarh Government) ने राम वन गमन प्रोजेक्ट शुरू की गई है। इस राम वन गमन प्रोजेक्ट के जरिए भगवान राम के वनवास काल से जुड़ी की स्मृतियों को सहेजने और पर्यटन को बढ़ावा दिया जाएगा। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने राम वन गमन पर्यटन सर्किट' परियोजना के पहले चरण का उद्घाटन भगवान राम के जन्मदिन राम नवमी के अवसर पर किया। सीएम बघेल के ड्रीम प्रोजेक्ट का 136 करोड़ रुपये खर्च आएगा।

प्रोजेक्ट का उद्देश्य भगवान राम से जुड़ी यादों को संरक्षित करना: सीएम बघेल

वहीं, छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि राम वन गमन पर्यटन प्रोजेक्ट का उद्देश्य अयोध्या से वनवास के दौरान भगवान राम के राज्य में प्रवास से जुड़ी यादों को संरक्षित करना है। जब धार्मिक महत्व के स्थानों की बात आती है, तो छत्तीसगढ़ में पर्यटकों के लिए एक लंबी सूची है।

पर्यटक को मिलेगा बढ़ावा

इस राम वन गमन प्रोजेक्ट के शुरू होने से छत्तीसगढ़ में पर्यटकों को बढ़ावा मिलेगा। बता दें कि छत्तीसगढ़ को पहचान भगवान श्रीराम के ननिहाल कहा जाता है। वनवास काल में श्रीराम ने महत्वपूर्ण समय बिताया। इसको देखते हुए पर्यटन विभाग ने इतिहासकारों से विचार-विमर्श कर राम वन गमन पथ के 75 स्थलों को प्राचीन मान्यताओं के आधार पर चिन्हित किया है। जिसमें भगवान राम, माता सीता और लक्ष्मण ने अपना समय बिताया था। पहले चरण में चंद्रखुरी में मां कौशल्या की जन्मस्थली का विकास किया गया है और शिवरीनारायण क्षेत्र उन नौ 'राम गमन टूरिस्ट सर्किट' स्थलों में शामिल है, जिन्हें इस परियोजना के तहत विकसित किया जाएगा।

पौराणिक मान्यता

पौराणिक मान्यता के अनुसार श्रीराम के साथ माता सीता और लक्ष्मण ने अपने वनवास के 10 वर्ष का समय छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) में बिताया था। साथ में जिन जगहों पर भगवान राम आए थे, ऐसे स्थानों की पहचान कर पर्यटन के अनुरूप विकसित करने का लक्ष्य रखा गया है। वहीं, सुकमा का रामाराम उनका अंतिम पड़ाव था।

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