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छत्तीसगढ़: न ऑक्सीजन न ही बेड, मर रहे मरीज, ऐसा है बदहाली का आलम
सोमवार को देश में 879 मरीजों की मौत हुई है, इसमें अकेले 107 छत्तीसगढ़ से हैं। अंदाजा लगा सकते हैं कि वहां हालात क्या हैं
रायपुर: देश में कोरोना वायरस का कहर हर दिन बढ़ता ही जा रहा है। इन दिनों भारत में रोजाना डेढ़ लाख से ऊपर नए केस आ रहे हैं। देश में एक्टिव केसों की संख्या भी 12 लाख को पार कर गई है। छत्तीसगढ़ में भी कोरोना से हालात बिगड़ते ही जा रहे हैं। संक्रमण तो बढ़ ही रहा है, छत्तीसगढ़ के अस्पतालों में इलाज के लिए बुनियादी सुविधाएं तक नहीं मिल पा रही हैं।
मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो, कोरोना मरीजों के लिए छत्तीसगढ़ के सबसे बड़े अस्पताल में बेड नहीं हैं। यहां तक कि मरीजों के इलाज में लगे जूनियर डॉक्टरों को पहनने के लिए एन-95 मास्क और पीपीआई किट तक नहीं मिल रहे हैं। इस वजह से ज्यादातर जूनियर डॉक्टर संक्रमित हो रहे हैं। इससे नाराज होकर डॉक्टर हड़ताल पर चले गए हैं।
एक रिपोर्ट के मुताबिक डॉ अंबेडकर अस्पताल के जूनियर डॉक्टरों ने राज्य के सबसे बड़े अस्पताल की पूरी कहानी बताई है। कोरोना के भयावह स्तर पर पहुंचने के बावजूद इससे निपटने के इंतजाम अस्पतालों में नहीं हैं। इसकी वजह से मरीजों की मौत भी सबसे ज्यादा हो रही है। सोमवार की बात करें तो पूरे देश में 879 कोविड मरीजों की मौत हुई है, इसमें अकेले 107 छत्तीसगढ़ से हैं। इसी से अंदाजा लगा सकते हैं कि वहां हालात क्या हैं।
अस्पताल में डॉक्टरों को मास्क तक नहीं मिल रहा
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक डॉ भीमराव अंबेडकर मेमोरियल अस्पताल के एक जूनियर डॉक्टर प्रेम मेकाहारा ने कहा कि हम मजबूरी में स्ट्राइक पर हैं। पिछले एक साल से हमलोग कोरोना वार्ड में ड्यूटी कर रहे हैं। करीब आठ घंटे तक हम पीपीई किट पहने रहते हैं। अस्पताल की व्यवस्था हमारे कार्य करने के अनुकूल बिल्कुल नहीं है। हमें न तो पीपीई किट मिल रहा, न मास्क मिल रहा और न ही ग्लव्स मिल रहा है। यहां तक कि मरीजों के लिए हमारे अस्पताल में बेड नहीं है।
अस्पताल में बेड नहीं
डॉक्टरों की मानें तो अस्पताल में मरीजों के लिए ऑक्सीजन और आईसीयू बेड बिल्कुल भी खाली नहीं है। ऐसे में उनका कहना है कि अगर मरीजों को हमलोग यहां लौटा देंगे तो वह इलाज कहां करवाएगा। डॉक्टरों ने बताया कि अस्पताल की स्थिति ऐसी है कि कोविड एडमिशन एरिया के बाहर लोग पड़े हुए हैं। उन्हें ऑक्सीजन बेड नहीं मिल रहा है, सांस लेने में दिक्कत हो रही है, वह जमीन पर लेटे हुए हैं। उन्होंने कहा कि इसे लेकर हमारे जिम्मेदार लोग कहते हैं कि मरीजों से कह दो कि यहां बेड नहीं है।
वहीं, एक और दूसरे जूनियर डॉक्टर अविनाश ने कहा कि हम ड्यूटी के बाद जाते हैं तो मरीजों को मरते देखते हैं क्योंकि अस्पताल में ऑक्सीजन बेड नहीं हैं। हम ऐसे कैसे देख सकते हैं। सरकारी सारी चीजें देखकर भी उनके लिए कोई व्यवस्था नहीं कर रही है। बदहाली से लाचार डॉक्टर सरकार को भी कोसते नजर आये। उन्होंने कहा कि सरकार ने प्रदेश में बेड बढ़वाने की जगह क्रिकेट मैच करवाया है।