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Chhattisgarh: पूर्व सीएम भूपेश बघेल के पिता का निधन, रायपुर के अस्पताल में ली आखिरी सांस

Chhattisgarh: पूर्व मुख्यमंत्री के पिता के निधन की खबर लगते ही अस्पताल के बाहर कांग्रेस कार्यकर्ताओं की भीड़ जुटने शुरू हो गई है।

Krishna Chaudhary
Published on: 8 Jan 2024 3:50 AM GMT (Updated on: 8 Jan 2024 4:08 AM GMT)
Bhupesh Baghel father nandkumar baghel
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Bhupesh Baghel father nandkumar baghel   (photo: social media )

Chhattisgarh: छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस नेता भूपेश बघेल के पिता नंद कुमार बघेल का आज सुबह निधन हो गया। 89 वर्षीय बघेल लंबे समय से बीमार चल रहे थे। बीते करीब तीन माह से उनका राजधानी रायपुर के श्रीबालाजी अस्पताल में इलाज चल रहा था। जहां सोमवार सुबह 6 बजे उन्होंने आखिरी सांस ली। अस्पताल के सुपरिटेंडेंट डॉ. दीपक जायसवाल ने इसकी पुष्टि की है।

पूर्व सीएम भूपेश बघेल अभी दिल्ली में हैं। जानकारी के मुताबिक, सुबह 11.55 की फ्लाइट से वह रायपुर के लिए रवाना होंगे। उनके पिता के पार्थिव शरीर को शांतिनगर पाटन सदन में रखा जाएगा। पूर्व मुख्यमंत्री के पिता के निधन की खबर लगते ही अस्पताल के बाहर कांग्रेस कार्यकर्ताओं की भीड़ जुटने लगी है।

पूर्व सीएम बघेल ने किया भावुक ट्वीट

पूर्व छत्तीसगढ़ सीएम ने पिता के साथ एक तस्वीर शेयर करते हुए भावुक ट्वीट किया है। उन्होंने लिखा, दु:ख के साथ सूचित करना पड़ रहा है कि बाबूजी श्री नंद कुमार बघेल जी का आज सुबह निधन हो गया है। अभी पार्थिव शरीर को पाटन सदन में रखा गया है। मेरी छोटी बहन के विदेश से लौटने के बाद अंतिम संस्कार 10 जनवरी को हमारे गृह ग्राम कुरुदडीह में होगा।

कई बीमारियों से लड़ रहे थे नंदकुमार बघेल

नंदकुमार बघेल को कई बीमारियों ने जकड़ रखा था। उन्हें ब्रेन और स्पाइन से संबंधित पुरानी बीमारी थी। इसके साथ-साथ उन्हें अनियंत्रित मधुमेह भी था। उनके शरीर के दाहिने भाग को लकवा मार गया था और बायां भाग पूरी तरह से काम नहीं कर रहा था। 21 अक्टूबर को अचानक उनकी तबियत ज्यादा बिगड़ जाने के बाद उन्हें रायपुर के श्रीबालाजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था।

भूपेश बघेल के पिता से रहे हैं वैचारिक मतभेद

पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के अपने पिता नंदकुमार बघेल से गहरे वैचारिक एवं सियासी मतभेद रहे हैं। स्वर्गीय नंदकुमार बघेल सामाजिक रूप से काफी सक्रिय थे और ब्राह्मण विरोधी टिप्पणियों के कारण विवादों में भी रहे थे। बताया जाता है कि ब्राह्मण और सवर्ण समाज के खिलाफ उनकी तल्ख टिप्पणियों की वजह से ही भूपेश बघेल से उनकी पटती नहीं थी। नंदकुमार बघेल छत्तीसगढ़ में कांग्रेस के सवर्ण नेताओं के खिलाफ भी मोर्चा खोल चुके हैं। वो चुनावों में उन्हें हराने की अपील किया करते थे।

2001 में उन्होंने ‘ब्राह्मण कुमार रावण को मत मारो’ नामक एक किताब प्रकाशित की थी। जिसको लेकर बवाल हो गया था। उस दौरान राज्य में अजित जोगी के नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार थी और भूपेश बघेल कैबिनेट मंत्री थी। किताब पर बैन तो लगा ही साथ ही नंदकुमार बघेल को जेल भी जाना पड़ा। बताया जाता है कि भूपेश बघेल ने अपने पिता को छुड़वाने के लिए किसी तरह के राजनीतिक प्रभाव का इस्तेमाल नहीं किया था। बाप-बेटे के बीच के मतभेद के कई और ऐसे किस्से हैं।

Monika

Monika

Content Writer

पत्रकारिता के क्षेत्र में मुझे 4 सालों का अनुभव हैं. जिसमें मैंने मनोरंजन, लाइफस्टाइल से लेकर नेशनल और इंटरनेशनल ख़बरें लिखी. साथ ही साथ वायस ओवर का भी काम किया. मैंने बीए जर्नलिज्म के बाद MJMC किया है

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