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सावधान: ये ऑक्सिजन सिलेंडर हो सकते हैं घातक, कैमिकल रिएक्शन का खतरा
विशेषज्ञों की माने तो यदि इसकी सही से मानिटरिंग नहीं की गई तो बड़े हादसे को दावत दे सकता है।
नई दिल्ली: कोरोना संक्रमण काल में ऑक्सीजन की किल्लत चारो तरफ है। कालाबाजारी भी चरम पर है। पीड़ितों व परिजनों को जहां भी खाली सिलेंडर मिल रहा है। वह उसे लेकर भरवाने में लगे है। यह कितना घातक हो सकता है इसका अंदाजा लगा पाना भी मुश्किल है। यह एक प्रकार का चलता फिरता विस्फोटक ही है। विशेषज्ञों की माने तो यदि इसकी सही से मानिटरिंग नहीं की गई तो बड़े हादसे को दावत दे सकता है। ऐसे में लोगों की अपील है कि वह सावधानी बरते।
शहर में 2० हजार औद्योगिक इकाईयां है। इनकी श्रेणियां अलग-अलग है। प्रमुख रूप से चार प्रकार की गैस का प्रयोग औद्योगिक इकाईयों में किया जाता है। इसमे कार्बन डाई ऑक्साइड, हाइड्रोजन, नाइट्रोजन, नाइट्रस आक्साइड, ऑक्सीजन, अमोनियां, क्लोरीन, मिथेन, हाइड्रोजन सल्फाइड, कार्बन मोनो ऑक्साइड, हाइड्रोजन क्लोराइड, हीलीयम, फ्लोरीन। इसमे चार से पांच गैसे हाइड्रोन, एसीटलीन, आक्सीजन, मिथेन जिनको सिलेंडर में भरा जाता है। कालाबाजारी के खेल में खाली सिलेंडर की होड़ लगी है। लोग बिना देखे ही सिलेंडर ले जा रहे है। इनको रिफिल करवा रहे हैं।
हो सकता है विस्फोट
विशषेज्ञों की माने तो जिस गैस का सिलेंडर होता है उसमे वहीं गैस भरी जानी चाहिए। सिलेंडरों की कमी है। ऐसे में जिन सिलेंडरों में आक्सीजन भरी जाती है उसी तरह के सिलेंडरों में अन्य गैसे भी रिफिल की जाती है। जैसे गुब्बारों में हीलियम गैस भरी जाती है। उसका सिलेंडर और आक्सीजन के सिलेंडर में ज्यादा अंतर नहीं होता। ऐसे में सिलेंडर की सफाई करने के बाद ही उनमे गैस रिफिल की जाती है। यदि उनको बिना साफ करे गैस भरी जाए तो कैमिकल रिएक्शन हो सकता है। इससे विस्फोट भी हो सकता है।
हाइड्रोलिक प्रेशर टेस्ट
सभी ऑक्सीजन सिलेंडरों पर छोटा सा कोड-वर्ड होता है। कोड में ए, बी, सी और डी के साथ वर्ष अंकित होता है। ए मतलब जनवरी से मार्च, बी मतलब अप्रैल से जून, सी मतलब जुलाई से सितंबर और डी मतलब अक्टूबर से दिसंबर होता है। इसके साथ वर्ष भी अंकित होता है। आम तौर पर यह फटता नहीं है लेकिन पुराने सिलेंडर या एक्पायरी सिलेंडर फट भी सकते है। दरअसल इसका टेस्ट हाइड्रोलिक प्रेशर से होता है। ऑक्सीजन सिलेंडर का दस साल में पहला टेस्ट और फिर पांच साल पर अगला टेस्ट होता है। टेस्ट में सब कुछ सही है तो ठीक है। .फेल हो गया तो उसे डैमेज कर फिर से तैयार करना चाहिए।
कोरोना संक्रमण को देखते हुए लोगों में डर इस तरह भर गया है कि वह आक्सीजन सिलेंडर स्टॉक कर रहे है। सीधे शब्दो में इसे जमाखोरी कहते है। कालाबाजार से लिए गए गैस सिलेंडर पुराने है इनका टेस्ट हुआ है या नहीं पता नहीं यह भी नहीं पता कि इसमे ऑक्सीजन ही भरी थी या फिर कोई और गैस । यह बड़े हादसे को दावत देने के लिए तैयार है।