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कोरोना टीकों का वर्षों तक रहेगा असर, बूस्टर डोज से बढ़ाई जा सकती हैं एंटीबॉडी, जानें विशेषज्ञों की राय

Corona Vaccine: वैक्सीन लगवाने से यह साल भर तक संक्रमण से बचाव करता है इसके बाद एक बूस्टर डोज की जरुरत पड़ सकती है।

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Newstrack NetworkPublished By Shraddha
Published on: 24 May 2021 9:49 AM IST (Updated on: 24 May 2021 10:08 AM IST)
कोरोना टीको का वर्षों तक रहेगा असर
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कोरोना वैक्सीनेशन (कांसेप्ट फोटो सौ. से सोशल मीडिया)

Corona Vaccine: कोरोना महामारी (Corona epidemic) से बचाव के लिए कोरोना वैक्सीन (Corona vaccine) का निजात किया गया है। कोरोना टीकाकरण करा कर लोग इस महामारी से सुरक्षित रह सकते हैं। इसी बीच लोगों में कोरोना टीकाकरण लगवाने को लेकर सवाल उठ रहे हैं। इस टीके का असर कितने समय तक रहेगा। जिस पर वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि एक बार टीकाकरण लगवाने से यह वर्षो तक कोरोना के गंभीर संक्रमण से बचाव कर सकता है।

आपको बता दें कि कोरोना की वैक्सीन कितनी असरदार है इस पर वैज्ञानिकों ने बताया है कि एक बार वैक्सीन लगवाने से यह साल भर तक कोरोना संक्रमण से बचाव करता है लेकिन इसके बाद एक बूस्टर डोज की जरुरत पड़ सकती है। इसके साथ वैज्ञानिकों ने कई शोध करके चार निष्कर्ष बताए हैं।

  • वैज्ञानिकों ने एक शोध के माध्यम से बताया है कि टीकाकरण लगवाने के एक साल के बाद न्यूट्रीलाइजिंग एंटीबॉडी घटने लगेंगे। जिसके लिए टीके की एक बूस्टर डोज लेना जरूरी होगा ताकि इन्हें फिर बढ़ाया जा सके। इससे कोरोना संक्रमण में बचाव बना रहेगा।
  • वैज्ञानिकों ने बताया बिना बूस्टर डोज के भी टीकाकरण कई सालों तक कोरोना के गंभीर संक्रमण से बचाएगा। उन्होंने बताया कि जो लोग टीकाकरण लगवा चुके हैं उन्हें अगर संक्रमण होता भी है तो वह बहुत हल्का होगा।
  • अगर टीकाकरण करवाने के बाद किसी व्यक्ति में न्यूट्रीलाइजिंग एंटीबॉडी घटने भी लगती है तो भी यह कोरोना के संक्रमण को रोकने में कारगर साबित होती है।
  • वैज्ञानिकों ने बताया यदि किसी टीके की प्रभावकारिता 50 फीसदी है तो उसे भी लगाने वालों में कोरोना संक्रमण से ठीक हुए व्यक्ति की तुलना में 80 फीसदी कम एंटीबॉडी बनती है। इसके बाद भी यह काफी बचाव करती है।

फाइजर - मॉडर्ना क टीके ज्यादा एंटीबॉडी बनाते

कोरोना वैक्सीन फाइजर - मॉडर्ना को लेकर सिडनी यूनिवर्सिटी के माइक्रोबायोलॉजिस्ट जेम्स ट्राइकस ने कहा " फाइजर, मॉडर्ना के एमआरएन टीके ज्यादा एंटीबॉडी बनाते हैं जबकि एस्ट्राजेनेका के टीके इसकी अपेक्षा कम एंटीबॉडी बनाते हैं। इसके साथ उन्होंने बताया कि एक साल बाद सभी में कमी आएगी और तब उन्हें ज्यादा बूस्टर डोज बढ़ा सकते हैं।

Shraddha

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