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Coronavirus: प्रियंका गांधी बोलीं, सक्षम और दक्ष नहीं कायर हैं प्रधानमंत्री

Coronavirus: प्रियंका गांधी लगातार जिम्मेदार कौन के नाम से एक श्रृंखला सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर लिख रही हैं।

Shreedhar Agnihotri
Written By Shreedhar AgnihotriPublished By Dharmendra Singh
Published on: 12 Jun 2021 3:32 PM GMT
Priyanka Gandhi on Narendra Modi
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पीएम नरेंद्र मोदी-कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी (फाइल फोटो: सोशल मीडिया)

Coronavirus: कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी का मानना है कि यदि प्रधानमंत्री मोदी एक सक्षम और दक्ष प्रशासक होते तो कोरोना की दूसरी लहर के मद्देनज़र पहले से अपनी रणनीति बनाते और तैयारी रखते। अगर वे एक सक्षम प्रशासक होते तो विज्ञान और आधुनिकता को परे रखकर कोरोना के अंधकार से निपटने के लिए थाली पीटने-दिया जलाने जैसे तरीके न बताते।

बता दें कि प्रियंका गांधी लगातार जिम्मेदार कौन के नाम से एक श्रृंखला सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर लिख रही हैं। आज उन्होंने जिम्मेदार कौन के तहत नेतृत्व संकट पर एक सशक्त लेख लिखा है, जोकि उनके फेसबुक पेज पर शेयर भी किया गया है। उन्होंने लिखा है कि एक मजबूत नेता संकट के समय सच का सामना करता है और जिम्मेदारी अपने हाथ में लेकर ऐक्शन लेता है। दुर्भाग्य से, प्रधानमंत्री जी ने इसमें से कुछ भी नहीं किया। महामारी की शुरुआत से ही उनकी सरकार का सारा जोर सच्चाई छिपाने और जिम्मेदारी से भागने पर रहा। नतीजतन, जब कोरोना की दूसरी लहर ने अभूतपूर्व ढंग से कहर बरपाना शुरू किया; मोदी सरकार निष्क्रियता की अवस्था में चली गई।

अनगिनत सलाहों को किया नजरअंदाज

प्रियंका गांधी ने लिखा है कि यदि प्रधानमंत्री देश-दुनिया के विशेषज्ञों द्वारा दी गई अनगिनत सलाहों को नजरअंदाज नहीं करते। यदि प्रधानमंत्री मोदी खुद के एम्पावर्ड ग्रुप या स्वास्थ्य मामलों की संसदीय समिति की ही सलाह पर ध्यान दे देते तो देश अस्पताल में बेडों, ऑक्सीजन एवं दवाइयों के भीषण संकट के दौर से नहीं गुजरता। अगर प्रधानमंत्री एक जिम्मेदार नेता होते और देशवासियों द्वारा सौंपी गई जिम्मेदारी की जरा भी परवाह करते तो वे कोरोना की पहली एवं दूसरी लहर के बीच अस्पताल के बेडों की संख्या कम नहीं करते।
कांग्रेस महासचिव ने लिखा है कि यदि प्रधानमंत्री मोदी ने देशवासियों की जिंदगी की कीमत अपने प्रचार और अपनी छवि से ज्यादा आंकी होती तो आज देश में वैक्सीन का भीषण संकट नहीं पैदा हुआ होता। यदि प्रधानमंत्री अपनी कुंभकर्णी नींद से जागकर वैक्सीनों का आर्डर, जनवरी तक इंतजार करने के बजाय, 2020 की गर्मियों में ही दे देते तो हम अनगिनत लोगों की जान बचा सकते थे। अपना चेहरा चमकाने के प्रयास में विदेशों में वैक्सीन भेजने से पहले मोदी ने यदि एक मिनट के लिए भी भारतवासियों के लिए वैक्सीन व्यवस्था के बारे में सोचा होता तो आज हमें लम्बी-लम्बी लाइनों में खड़े होकर, वैक्सीनेशन की गति धीमी रखने के लिए बनाई गई पेंचीदा रजिस्ट्रेशन प्रणाली का सामना नहीं करना पड़ता।
प्रियंका गांधी ने लिखा है कि यदि प्रधानमंत्री महामारी का सामने से मुकाबला करने का साहस जुटा पाते तो वे देशवासियों की जान बचाने की इस लड़ाई में अपने विरोधियों को भी बेझिझक साथ में लेते। वे निडर होकर विशेषज्ञों, विपक्षी दलों एवं आलोचकों से बातचीत करते। तब प्रधानमंत्रीजी मीडिया का इस्तेमाल अपनी मीडियाबाजी के बजाय, जीवनरक्षक सूचनाओं के प्रसार के साधन के रूप में करते।

...तो असाधारण लड़ाई में राज्यों का पूरा सहयोग करते

महासचिव ने लिखा है कि यदि प्रधानमंत्री राजनीति के बजाय देशवासियों की जिंदगी को ज्यादा तरजीह देते तो वे कोरोना के खिलाफ इस असाधारण लड़ाई में राज्यों का पूरा सहयोग करते। टीवी पर आकर अपनी असफलता का दोष राज्य सरकारों पर मढ़ने जैसी हरकतों के बजाय वे राज्यों को संसाधन उपलब्ध कराते, उनके बकायों का भुगतान करते और इस लड़ाई में उनके साथ मजबूती से खड़े होते।
उन्होंने लिखा है कि यदि प्रधानमंत्री एक कुशल प्रशासक की तरह सामने आते, जैसा कि उनका प्रचारतंत्र उन्हें दिखाने को आमादा रहता है, तो वे पहले की अपेक्षा कहीं बेहतर ढंग से जिम्मेदारी अपने हाथ में लेते। यदि वे एक कुशल प्रशासक होते तो वे आगे बढ़कर हर तरह के शासकीय, औद्योगिक, वित्तीय एवं राजनीतिक संसाधनों का सही इस्तेमाल कर इस सदी के सबसे बड़े संकट से देश को उबारने का प्रयास करते। उन्होंने अंत में लिखा है कि असल में प्रधानमंत्री दुबककर तूफ़ान के थम जाने का इन्तजार करते रहे। भारत के प्रधानमंत्री ने कायरों सा बर्ताव किया। उन्होंने 139 करोड़ लोगों को मंझधार में छोड़कर देश का भरोसा तोड़ दिया।



Dharmendra Singh

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