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कोरोना काल में तेजी से बढ़ा साइबर क्राइम, महाराष्ट्र में बच्चों के खिलाफ सबसे ज्यादा मामले
New Delhi: कोरोना वायरस महामारी आने के बाद से भारत में साइबर अपराध तेजी से बढ़े हैं। बच्चों के खिलाफ भी साइबर अपराधों में बहुत तेजी आई है और ऐसे मामलों में महाराष्ट्र देश में सबसे आगे है। करीब 59 प्रतिशत भारतीय वयस्क भी एक साल के अंदर किसी तरह के साइबरक्राइम का शिकार हुए हैं।
New Delhi: कोरोना वायरस महामारी (CoronaVirus) आने के बाद से भारत में साइबर अपराध (Cybercrime) तेजी से बढ़े हैं। बच्चों के खिलाफ भी साइबर अपराधों (Cybercrime) में बहुत तेजी आई है और ऐसे मामलों में महाराष्ट्र (Maharashtra) देश में सबसे आगे है। करीब 59 प्रतिशत भारतीय वयस्क भी एक साल के अंदर किसी तरह के साइबरक्राइम (Cybercrime) का शिकार हुए हैं। वहीं, 36 प्रतिशत भारतीय वयस्क यूजर्स के अकाउंट या डिवाइस में अवैध घुसपैठ की बात सामने आई।
नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (National Crime Record Bureau) की ओर से शेयर की गई रिपोर्ट में कहा गया है कि महाराष्ट्र (Maharashtra) में वर्ष 2019 और 2020 के बीच बच्चों के खिलाफ होने वाले साइबर अपराध (Cybercrime) 196 प्रतिशत तक बढ़े हैं। एक्सपर्ट्स का मानना है कि साइबर अपराध (Cybercrime) के मामलों में दर्ज की गई बढ़त के लिए कोरोना महामारी के दौरान इंटरनेट पर बढ़ी निर्भरता जिम्मदार है। इसके अलावा बच्चों के माता-पिता उनकी ऑनलाइन गतिविधियों पर सही तरीके से ज्नाजर नहीं रखते हैं।
इन राज्यों में साइबर अपराध
एनसीआरबी (National Crime Record Bureau) के मुताबिक 18 साल से छोटे इंटरनेट यूजर्स के खिलाफ साइबर अपराध में महाराष्ट्र (cyber crime in Maharashtra) 2020 में सबसे आगे रहा। राज्य में सबसे ज्यादा 207 मामले दर्ज किए गए और इसके बाद उत्तर प्रदेश (cyber crime in Uttar Pradesh) 197 मामलों के साथ दूसरी पोजीशन पर रहा। इसके बाद क्रम से कर्नाटक में 144, केरल में 126, उड़ीसा में 71 और आंध्र प्रदेश में 52 मामले दर्ज किए गए। सभी कैटेगरी में दर्ज साइबर अपराध के कुल 50,035 मामलों में केवल 1,369 आरोपियों को सजा मिली।
दोगुने हो गए साइबर अपराध
साल 2020 में भारत में बच्चों के खिलाफ दर्ज किए गए साइबर अपराध के मामले (cyber crime case) 261 प्रतिशत (दोगुने से ज्यादा) बढ़ गए। डेटा में सामने आया है कि दर्ज किए गए साइबर स्टॉकिंग जैसे मामलों में करीब 116 लोगों को गिरफ्तार किया गया। वैसे सच्चाई ये भी है कि भारत में होने वाले ज्यादातर साइबर अपराध के मामले दर्ज (cyber crime case) नहीं करवाए जाते और इनसे जुड़ा आंकड़ा एनसीआरबी (National Crime Record Bureau) की ओर से साझा नहीं किया गया है। कोरोना महामारी के चलते लॉकडाउन में सिर्फ इंटरनेट यूजर्स और बच्चे ही नहीं, साइबर अपराधी भी इंटरनेट पर ज्यादा वक्त बिता रहे थे और उनके पास शिकार बनाने के लिए ज्यादा यूजर्स थे।
पिछले कुछ साल में बच्चों के आपत्तिजनक वीडियो बनाने और इंटरनेट पर अपलोड करने के मामले भी तेजी से बढ़े हैं। रिपोर्ट में बताया गया है कि ऐसे ज्यादातर वीडियो घर के सदस्यों या फिर पड़ोसियों की ओर से बनाए गए थे। कई वीडियो खुद बच्चों ने रिकॉर्ड किए थे, जो बाद में इंटरनेट पर शेयर किए गए। कई बच्चे पूरी तरह ऑनलाइन दुनिया के साथ तैयार हो रहे हैं और बाद में साइबर सेक्स जैसी गतिविधि का हिस्सा बन जाते हैं। ऐसे में एक्सपर्ट्स का कहना है कि स्कूल स्तर पर साइबर सुरक्षा बारे में जागरूकता (Cyber security awareness) फैलाना बेहद जरूरी है। ऐसे कई मामले सामने आते हैं, जब बच्चों को उनके करीबी ही अपराध का शिकार बनाते हैं और उनके डर का फायदा उठाते हैं।
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