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New Delhi News: साइबर फ्रॉड से रहें सावधान, 155260 पर करें कॉल
साइबर ठगी से बचने के लिए केंद्र सरकार की सिटीजन फाइनेंशियल फ्राड रिपोर्टिंग सिस्टम की योजना के तहत राष्ट्रीय हेल्पलाइन नंबर 155260 जारी किया गया है। उत्तर प्रदेश में यह नंबर 112 से जोड़ा गया है।
नई दिल्ली। साइबर ठगी का कोई कब शिकार हो जाए, कुछ कहा नहीं जा सकता। ऐसे में लोगों के लिए केंद्र सरकार की एक महत्वपूर्ण योजना है - सिटीजन फाइनेंशियल फ्राड रिपोर्टिंग सिस्टम। इस योजना का उद्देश्य साइबर फ्रॉड का शिकार हुए लोगों को तत्काल मदद उपलब्ध कराना है। इस योजना के तहत एक राष्ट्रीय हेल्पलाइन नंबर 155260 जारी किया गया है। उत्तर प्रदेश में यह नंबर 112 से जोड़ा गया है। साइबर ठगी का शिकार होने पर तत्काल 155260 नंबर पर कॉल करें। इस नंबर आने वाली कॉल 112 से जुड़ जाएगी। शिकायत होते ही संबंधित बैंक को अलर्ट भेज दिया जाएगा। जिसके खाते में ठगी की रकम जमा की गई है। बैंक अलर्ट आने के बाद उस खाते में रकम को फौरन फ्रीज कर देंगे। इससे ठग उस रकम को निकाल नहीं सकेगा। अगर रकम को एक बैंक के खाते से दूसरे किसी बैंक के खाते में भेजा गया है तो संबंधित बैंक ही दूसरे बैंक को अलर्ट भेजकर खाते को फ्रीज कराने की कार्रवाई करेगा। यही नहीं, साइबर ठग अगर रकम को किसी इ-वॉलेट में भी भेजते हैं, तब भी उस रकम को संबंधित खाते में फ्रीज करा दिया जाएगा। इसके बाद पीड़ित शख्स को उस खाते का ब्योरा उपलब्ध करा दिया जाएगा। पीड़ित व्यक्ति अपनी बैंक शाखा के अधिकारियों की मदद से उस रकम को वापस हासिल कर सकेंगे।
बैंक खातों में अचानक आ रहे करोड़ों रुपये
साइबर अपराधियों द्वारा बैंक खाते में सेंध या क्रेडिट-डेबिट कार्ड से खरीदारी के मामले तो सामने आ ही रहे थे, अब खाताधारकों की जानकारी के बिना उनके अकाउंट से ट्रांजैक्शन भी किए जा रहे हैं। आजकल लोगों के बैंक खाते में सरकारी योजनाओं के तहत कई तरह की धनराशि सीधे भेजी जाती है। यह राशि किसान सम्मान योजना, फसल बीमा योजना, सामाजिक सुरक्षा पेंशन योजना, आपदा सहायता राशि या कई प्रकार की अन्य योजनाओं के तहत दी जाती है। वर्तमान में भारत सरकार द्वारा 311 तरह की योजनाओं की राशि डीबीटी के तहत लाभार्थियों खाते में क्रेडिट की जाती है। इसके अलावा राज्य सरकार की भी ऐसी कई योजनाएं हैं। अमूमन अकाउंट में पैसे आने की सूचना बैंक द्वारा एसएमएस के जरिए दी जाती है या फिर लोग बैंक या ग्राहक सेवा केंद्रों में जाकर खाता अपडेट भी करवाते हैं। हाल के दिनों में कई ऐसे मामले सामने आए जिसमें गरीब लोगों के खातों में लाखों - करोड़ों रुपये आ गए। बैंकों ने अपनी तरफ से टेक्निकल खामी का हवाला देकर सभी मामलों से पल्ला झाड़ लिया है।
छात्र के खाते में 900 करोड़ रुपये
मिसाल के तौर पर बिहार के छात्र के खाते में 900 करोड़ रुपये तो एक अन्य छात्र के खाते में 6 करोड़ रुपये आ गए। दोनों छात्रों ने बैंक सेवा केंद्र में जाकर अपना खाता चेक करवाया था। कुछ ही देर में खाते से ये बड़ी रकम निकल भी गई। दोनों छात्रों के खाते से उस वक्त हुआ लेनदेन किसी साइबर अपराध से भी जुड़ा हो सकता है।
बिहार के ही विपिन नामक एक शख्स जब मनरेगा के जॉब कार्ड के संबंध में स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के सेवा केंद्र पहुंचे तो पता चला कि उनका जॉब कार्ड नहीं बन सकता है क्योंकि उनके खाते में करीब 10 करोड़ रुपये जमा हैं। उन्होंने जब बैंक की शाखा से संपर्क किया तो उन्हें बताया गया कि इस अकाउंट को 13 अक्टूबर, 2016 को खोला गया था। फरवरी, 2017 को खाते में करोड़ों के लेनदेन के बाद उसे फ्रीज कर दिया गया। हैरानी की बात है कि विपिन ने इस बैंक में अपना खाता खोला ही नहीं था। यानी फर्जी कागज के आधार पर किसी ने ये खाता खोल दिया था। अब मामले की जांच हो रही है।
लोगों के खातों में करोड़ों रुपये आने और थोड़ी देर में निकल जाने के तमाम मामले सामने आये हैं। इन सभी मामलों से साफ है कि बैंकिंग सिस्टम में कोई बड़ी गड़बड़ी है। ग्रामीण क्षेत्र के बैंकों से करोड़ों का लेन-देन नहीं होता है। लेकिन इसके बावजूद ऐसे अकाउंट ऑपरेट होते रहे। जानकारों का कहना है कि जन-धन योजना के तहत बड़ी संख्या में खाते खोले गए। इनमें अनपढ़ लोगों की संख्या काफी ज्यादा है। मुमकिन है कि इनके खातों व संबंधित कागजातों का किसी स्तर पर दुरुपयोग किया जा रहा हो। ऐसी बातें यह इशारा करती हैं कि किसी स्तर पर या तो बैंक कर्मी की मिलीभगत है या फिर हैकर्स सक्रिय हैं।