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Dowry System: मजबूती से मौजूद है दहेज प्रथा, सवर्णों में सबसे ज्यादा लेनदेन
स्टडी में पता चला है कि अमूमन दहेज की रकम परिवार की सालाना आय का 14 फीसदी होती है और दहेज में परिवारों की बचत का बड़ा हिस्सा चला जाता है।
Dowry System: भले ही दहेज के खिलाफ कड़े कानून हैं और 1961 से दहेज का लेनदेन गैरकानूनी घोषित है लेकिन हकीकत यह है कि ये प्रथा आज भी भारत में बड़ी मजबूती से मौजूद है और 95 फीसदी शादियों में दहेज का लेनदेन होता है। समय के साथ दहेज लेनदेन के सिस्टम में कोई बदलाव नहीं आया है। भारत में दहेज प्रथा कितनी है और कितनी खत्म हुई है, वह किसी से छिपा नहीं है। अब विश्व बैंक ने दहेज प्रथा पर एक स्टडी प्रकाशित करके भारत में इसकी असलियत बयां की है।
विश्व बैंक ने 1960 से 2008 के बीच भारत के सत्रह राज्यों में 40 हजार शादियों का विश्लेषण किया है। इस विश्लेषण के लिए भारत में हुए ग्रामीण अर्थव्यवस्था व जनभौगोलिक सर्वे के डेटा का इस्तेमाल किया गया तथा स्टडी के लिए जो राज्य चुने गए उनमें देश की 96 फीसदी जनसंख्या रहती है। इस स्टडी में एक्सपर्ट्स ने इन विवाहों में ये कैलकुलेट किया कि दूल्हा - दुल्हन के परिवारों की ओर से एक दूसरे को जो पैसा आदि दिया गया उसमें कितना फर्क था। यानी लड़की वालों ने कितना दिया और लड़के वालों ने कितना दिया। इस आधार पर एक्सपर्ट्स ने नेट दहेज को कैलकुलेट किया।
स्टडी में मिला कि ज्यादातर मामलों में लड़की वालों ने ज्यादा पैसा और सामान दिया। ये निष्कर्ष निकला कि दूल्हे के परिवार द्वारा दुल्हन के परिवार को गिफ्ट आदि देने पर औसतन 5 हजार रुपये खर्च होते हैं जबकि दुल्हन का परिवार औसतन 32 हजार रुपये गिफ्ट व नकद में दूल्हे की फैमिली को देता है। इस आधार पर एक्सपर्ट्स ने सकल (नेट) दहेज की रकम 27 हजार रुपए निकाली है। स्टडी में पता चला है कि अमूमन दहेज की रकम परिवार की सालाना आय का 14 फीसदी होती है और दहेज में परिवारों की बचत का बड़ा हिस्सा चला जाता है। ये रकम आज के परिप्रेक्ष्य में बहुत मामूली लगती है लेकिन इसका उद्देश्य एक मूल आधार तय करना है।
विश्व बैंक के रिसर्च ग्रुप की अर्थशास्त्री डॉ अनुकृति के अनुसार,भारत में औसत ग्रामीण आय में इजाफा होने के कारण अब दहेज में आमदनी का उतना हिस्सा नहीं जाता जितना पहले जाता था। डॉ अनुकृति के अनुसार, अभी सिर्फ औसत की बात की जा रही है। प्रत्येक परिवार में दहेज और कुल आय के बीच क्या अनुपात है इसे जानने के लिए परिवारों की आय और खर्च का डेटा होना जरूरी है जो हमारे पास उपलब्ध नहीं है।
ईसाइयों व सिखों में दहेज बढ़ा
शोधकर्ताओं के अनुसार, 2008 के बाद से लोगों की विचारधारा काफी बदली है लेकिन भारत में दहेज प्रथा अब भी सभी प्रमुख धर्मों में व्याप्त है।और तो और, ईसाइयों व सिखों में दहेज प्रथ्स में अच्छी खासी बढ़ोतरी हुई है। जहां तक मुस्लिमों की बात है तो उनमें हिंदुओं की अपेक्षा थोड़ा ही कम औसत सकल दहेज है। मुस्लिमों में सकल दहेज की रकम में समय के साथ बहुत बदलाव नहीं आया है।
केरल में सबसे ज्यादा दहेज
केरल, हरियाणा, पंजाब और गुजरात में तो दहेज की रकम और आइटम और भी बढ़ गए हैं। केरल का हाल ये है कि हाल के वर्षों में वहां औसत दहेज सबसे ज्यादा रहा है। दूसरी तरफ तमिलनाडु, महाराष्ट्र, ओडिशा और पश्चिम बंगाल में औसत दहेज घटा है। केरल की स्थिति हैरान करने वाली भी है क्योंकि वहां शिक्षा की दर सबसे ज्यादा है।
सवर्णों में सबसे ज्यादा लेनदेन
इस स्टडी के अनुसार, जाति क्रम और दहेज का भी नाता है। यानी ऊंची या सवर्ण जातियों में सबसे ज्यादा दहेज लिया और दिया जाता है लेकिन नीचे की जातियों में ये घटता जाता है। शोधकर्ताओं का कहना है कि जातियों के स्टेटस और दहेज की रकम का रिश्ता समय के साथ तनिक भी नहीं बदला है। ऊंची जातियों में सबसे ज्यादा दहेज के लेनदेन होता है, इसके बाद ओबीसी, अनुसूचित जातियां और अनुसूचित जनजातियों का नम्बर आता है।
घट गया औसत दहेज
दहेज सिस्टम पर विश्व बैंक के अलावा और भी अध्ययन हुए हैं। अमेरिका की वर्जीनिया यूनिवर्सिटी के अर्थशास्त्री गौरव चिपलूनकर और जेफरी वीवर ने भी एक बड़ी स्टडी की है। इन्होंने भारत में पिछली सदी की 74 हजार से ज्यादा शादियों के डेटा का अध्ययन किया था और ये बताने की कोशिश की थी कि दहेज के सिस्टम समय के साथ किस तरह बदला है। शोधकर्ताओं ने पाया कि 1930 से 1975 के बीच भारत में दहेज समेत शादियों के खर्चे दोगुने हो गए जबकि दहेज की वास्तविक वैल्यू तीन गुनी हो गई। लेकिन सन 75 के बाद औसत दहेज घटा है।
भारत में विवाह
- भारत में लगभग सभी विवाह 'एकल' होते हैं यानी जीवन में एक ही विवाह होता है।
- एक फीसदी से कम शादियों की परिणीति तलाक में होती है।
- 90 फीसदी शादियों में पेरेंट्स ही लड़का या लड़की चुनते हैं।
- 90 फीसदी कपल शादी के बाद पति के परिवार के साथ रहते हैं।
- 78.3 फीसदी शादियां एक ही जिले के भीतर होती हैं, यानी लड़का लड़की के परिवार एक ही जिले के रहने वाले होते हैं।
- 85 फीसदी लड़कियों की शादी अपने गांव के बाहर के लड़के से होती है।
दहेज एक्ट में दर्ज मामले
भारत में दहेज लेने और देने के खिलाफ कोई शिकायत दहेज प्रोहिबिशन एक्ट 1962 के तहत दर्ज की जाती है। वैसे सच्चाई ये है कि दहेज के मामले में बहुत ही कम शिकायतें दर्ज होती हैं।।नेशनल क्राइम रिकार्ड्स ब्यूरो के डेटा के अनुसार 2011 में दहेज एक्ट में 6619 केस दर्ज हुए, 2012 में 9038, 2013 में 10709 और 2014 में 10050 केस दर्ज हुए। इसके बाद 2015 में 9894 केस दर्ज हुए। दहेज मामले में मृत्यु होने पर अलग एक्ट लागू होता है। इसके तहत 2011 में 8618 मौतें दर्ज हुईं, 2012 में 8233, 2013 में 8083, 2014 में 8455 और 2015 में 7663 मौतें दर्ज की गईं। 2015 में जितनी दहेज मौतें दर्ज की गईं उनमें से 30.6 फीसदी सिर्फ उत्तर प्रदेश से थीं।