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Y-Factor: हिंदू पर नजरिया बदलने की जरूरत, देखें पूरा वीडियो

Yogesh Mishra with Y-Factor: ऐसा माना जाता है कि प्रथम सहस्त्राब्दी ईसा पूर्व में सिंधु की भूमि के लिए या सिंधु नदी (river indus) के चारों ओर या उसके पार भारतीय उपमहाद्वीप (Indian subcontinent) में रहने वाले लोगों के लिए हिन्दू शब्द इस्तेमाल होने लगा था।

Yogesh Mishra
Written By Yogesh MishraPublished By Shashi kant gautam
Published on: 12 Jan 2022 4:43 PM GMT
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Yogesh Mishra with YFactor: झूठ बताना। झूठ पढ़ाना। ब्रितानियों (British rule) की अपने उप निवेशों में आदत बन गयी थी। उन्होंने इसे ही चलन बना दिया था। तभी तो हमें लंबे समय से यह बताया जा रहा है कि हिंदू (Hindu) शब्द सिकंदर (Alexander) के भारत आने के बाद अस्तित्व में आया। फ़ारसी (Persian) में स को ह बोले जाने के कारण यह शब्द बना। जबकि हक़ीक़त है कि हिन्दू शब्द का ऐतिहासिक अर्थ समय के साथ विकसित हुआ है। पर इस तथ्य के सच्चाई की कलई इससे खुलती है कि फ़ारसी में खुद 'स' शब्द बोला जाता है। इराक़ी शहर 'सुमेर'को 'हुमेर'नहीं कहा जाता है। 'सतलज'को भी 'हतलज' नहीं कहा गया।

ऐसा माना जाता है कि प्रथम सहस्त्राब्दी ईसा पूर्व में सिंधु की भूमि के लिए या सिंधु नदी (river indus) के चारों ओर या उसके पार भारतीय उपमहाद्वीप (Indian subcontinent) में रहने वाले लोगों के लिए हिन्दू शब्द इस्तेमाल होने लगा था। 16 वीं शताब्दी तक इस शब्द ने उपमहाद्वीप के उन निवासियों का उल्लेख करना शुरू कर दिया, जो कि तुर्क या मुस्लिम नहीं थे।

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'मेरुतन्त्र' में हिन्दू शब्द का उल्लेख पाया जाता है। इसमें लिखा हुआ है :–

पंचखाना सप्तमीरा नव साहा महाबला:। हिन्दूधर्मप्रलोप्तारो जायन्ते चक्रवर्तिन:।।

हीनं दूशयत्येव हिन्दुरित्युच्यते प्रिये। पूर्वाम्नाये नवशतां षडशीति: प्रकीर्तिता:।।

इस सन्दर्भ में हिन्दू शब्द की जो व्युत्पत्ति (Etymology of the word Hindu) दी गई है, वह है - हीनं दूषयति स हिन्दू। यानी जो हीन (हीनता अथवा नीचता) को दूषित समझता (उसका त्याग करताम) है, वह हिन्दू है। यह यौगिक व्युत्पत्ति अर्वाचीन है, क्योंकि इसका प्रयोग विदेशी आक्रमणकारियों के सन्दर्भ में किया गया है।

ऋग्वेद" के 'ब्रहस्पति अग्यम' में हिन्दू शब्द का उल्लेख : -

हिमालयं समारभ्य, यावद् इन्दुसरोवरं।

तं देवनिर्मितं देशं, हिन्दुस्थानं प्रचक्षते।

अर्थात : हिमालय से इंदु सरोवर तक देव निर्मित देश को हिंदुस्तान कहते हैं।

पारिजात हरण में उल्लेख

हिनस्ति तपसा पापां दैहिकां दुष्टं।

हेतिभिः श्त्रुवर्गं च स हिन्दुर्भिधियते।

अर्थात : जो अपने तप से शत्रुओं का, दुष्टों का और पाप का नाश कर देता है, वही हिन्दू है।

माधव दिग्विजय में उल्लेख :-

ओंकारमन्त्रमूलाढ्य पुनर्जन्म द्रढ़ाश्य:।

गौभक्तो भारत: गरुर्हिन्दुर्हिंसन दूषकः।

अर्थात: वो जो ओमकार को ईश्वरीय धुन माने, कर्मों पर विश्वास करे, गौ-पालक रहे तथा बुराइयों को दूर रखे, वो हिन्दू है।

"ऋगवेद" (8:2:41) में हिन्दू नाम के बहुत ही पराक्रमी और दानी राजा का वर्णन मिलता है जिन्होंने 46,000 गौ दान में दी थी। ऋग्वेद मंडल में भी उनका वर्णन मिलता है। ऋग्वेद में कई बार सप्त सिंधु (Sapta Sindhu) का उल्लेख मिलता है। ऋग्वेद की नदीस्तुति के अनुसार वे सात नदियाँ थीं : सिन्धु, सरस्वती, वितस्ता (झेलम), शुतुद्रि (सतलुज), विपाशा (व्यास), परुषिणी (रावी) और अस्किनी (चेनाब)। एक अन्य विचार के अनुसार हिमालय के प्रथम अक्षर "हि" एवं इन्दु का अन्तिम अक्षर "न्दु", इन दोनों अक्षरों को मिलाकर शब्द बना "हिन्दु" और यह भूभाग हिन्दुस्थान (Hindustan) कहलाया।



हिन्दुत्व का मतलब भारतीयकरण है- सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने 1995 के एक निर्णय में कहा था कि हिन्दुत्व का मतलब भारतीयकरण है। उसे मजहब या पंथ जैसा नहीं माना जाना चाहिए। हिन्दुत्व शब्द का उपयोग पहली बार 1892 में चंद्रनाथ बसु ने किया था। बाद में इस शब्द को 1923 में विनायक दामोदर सावरकर ने लोकप्रिय बनाया। सावरकर ने अपनी किताब 'हिंदुत्व' में एक परिभाषा भी दी। उनके अनुसार - हिंदू वह है जो सिंधु नदी से समुद्र तक के भारतवर्ष को अपनी पितृभूमि और पुण्यभूमि माने। इस विचारधारा को ही हिंदुत्व नाम दिया गया है।

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जूनागढ़ में मिले अशोक के शिलालेख (Ashoka inscription) में हिंदा या हिंद नाम मिलता है। एक बार नहीं सत्तर बार इस शब्द का उल्लेख है। अशोक के शिलालेख मागधी में हैं। मागधी विदेशी भाषा नहीं है। हिंदू शब्द के प्रमाण 500 ईसा पूर्व अवेस्ता ग्रंथ से भी मिलते हैं। यह काल फ़ारस में इस्लाम आने के बहुत पहले का है।

हिंदुत्व या हिन्दूवाद एक जीवन शैली है

हिन्दू, हिन्दुत्व और हिन्दूवाद जैसे शब्दों और इसके उपयोग के बारे मे 1904 से लेकर 1994 के बीच कई न्यायिक व्यवस्थाएं हैं। महाराष्ट्र में 13 दिसंबर, 1987 को संपन्न विधानसभा चुनाव के दौरान इन शब्दों के इस्तेमाल का मुद्दा चुनाव याचिकाओं में उठाया गया था। सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस जगदीश शरण वर्मा की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय बेंच ने 11 दिसंबर, 1995 को अपने फैसले में कहा था कि हिंदुत्व या हिन्दूवाद एक जीवन शैली है। जस्टिस वर्मा की अध्यक्षा वाली इस बेंच ने हिन्दू, हिन्दुत्व और हिन्दू धर्म जैसे शब्दों के इस्तेमाल के बारे में अपनी व्यवस्था के संदर्भ में संविधान पीठ के अनेक फैसलों को जिक्र किया था। इनमें अयोध्या विवाद से संबंधित डॉ. एम इस्माइल फारूकी आदि बनाम यूनियन ऑफ इंडिया और अन्य मामले में 1994 में न्यायमूर्ति एस पी भरूचा और न्यायमूर्ति ए एम अहमदी की राय भी शामिल की थी।

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14 जनवरी, 1966 को तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश पी बी गजेन्द्रगडकर (P B Gajendragadkar) की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान बेंच ने अहमदाबाद के स्वामीनारायण मंदिर (Swaminarayan Mandir) के संदर्भ में अपने फैसले में हिन्दू धर्म के बारे में विस्तार से चर्चा की थी। इस संविधान पीठ ने फैसले में कहा था कि इस चर्चा से यही संकेत मिलता है कि हिन्दू, हिन्दुत्व और हिन्दूवाद शब्द का कोई निश्चित अर्थ नहीं निकाला जा सकता है । साथ ही भारतीय संस्कृति और विरासत को अलग रखते हुए इसके अर्थ को सिर्फ धर्म तक सीमित नहीं किया जा सकता। इसमें यह भी संकेत दिया गया था कि हिन्दुत्व का संबंध इस उपमहाद्वीप के लोगों की जीवन शैली से अधिक संबंधित है।

संविधान पीठ ने यह भी कहा था कि जब हम हिन्दू धर्म के बारे में सोचते हैं तो हम हिन्दू धर्म को परिभाषित या पर्याप्त रूप से इसकी व्याख्या करना असंभव नहीं मगर बहुत मुश्किल पाते हैं। दूसरे धर्मों की तरह हिन्दू धर्म किसी देवदूत का दावा नहीं करता, यह किसी एक ईश्वर की पूजा नहीं करता, किसी धर्म सिद्धांत को नहीं अपनाया, यह किसी के भी दर्शन की अवधारणा में विश्वास नहीं करता, यह किसी भी अन्य संप्रदाय का पालन नहीं करता, वास्तव में ऐसा नहीं लगता कि यह किसी भी धर्म के संकीर्ण पारंपरिक सिद्धांतों को मानता है। मोटे तौर पर इसे जीवन की शैली से ज्यादा कुछ नहीं कहा जा सकता।


हिन्दू धर्म एक सहिष्णु विश्वास है

अयोध्या विवाद (Ayodhya dispute) से संबंधित डॉ इस्माइल फारूकी बनाम भारत संघ याचिका पर 1994 में न्यायमूर्ति एस पी भरूचा ने अपनी और न्यायमूर्ति ए एम अहमदी की ओर से अलग राय में कहा था, "हिन्दू धर्म एक सहिष्णु विश्वास है। यही सहिष्णुता है जिसने इस धरती पर इस्लाम, ईसाई धर्म, पारसी धर्म, यहूदी धर्म, बौद्ध धर्म, जैन धर्म और सिख धर्म को फलने फूलने के अवसर दिए।" अयोध्या मामले में भी इन न्यायाधीशों ने अपनी राय में कहा था कि सामान्यतया, हिन्दुत्व को जीवन शैली या सोचने के तरीके के रूप में लिया जाता है। इसे धार्मिक हिन्दू कट्टरवाद के समकक्ष नहीं रखा जा सकता और न ही ऐसा समझा जाएगा।

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सलमान ख़ुर्शीद और राहुल गांधी

प्यू रिसर्च सेंटर (pew research center) के अनुसार दुनिया की आबादी के केवल 15 फ़ीसदी हिंदू हैं। ईसाई 31.5 फ़ीसदी हैं। मुसलमानों की तादाद 23.2 फ़ीसदी बैठती है। जबकि दुनिया की आबादी के 7.1 बौद्ध हैं। पर हक़ीक़त यह है कि बौद्ध धर्म हिंदू धर्म से अलग नहीं है। भगवान बुद्ध को हिंदू दर्शन में भगवान विष्णु के चौबीस अवतारों में से एक माना जाता है। हिंदू पूजा पद्धति में 'बौद्धावतारे' शब्द का आना इसी का प्रमाण है। ऐसे में सलमान ख़ुर्शीद व राहुल गांधी जैसे नेताओं को हिंदुत्व व हिदू में अंतर नज़र आ रहा हो तो इसे नज़र नज़र का फेर ही कहेंगे। इसे नज़रिया बदलने की ज़रूरत जतायेंगे।

( लेखक पत्रकार हैं ।)

Shashi kant gautam

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