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सावधान! विदेश में नौकरी के लालच में न फंसें महिलाएं, चारा डाले बैठे हैं सौदागर

फरवरी में, कानपुर स्थित एक ट्रैवल एजेंट की मदद से, फातिमा खाड़ी देश पहुंची, वहां उसे पता चला कि वह मानव-तस्करी के गठजोड़ के जाल में फंस गई है। पीड़िता ने बताया कि जैसे ही वह ओमान पहुंची, उसका फोन छीन लिया गया। उसे शारीरिक और मानसिक प्रताड़ना दी गई।

Ramkrishna Vajpei
Written By Ramkrishna VajpeiPublished By Ashiki
Published on: 29 Aug 2021 2:06 PM GMT
human traffickers
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डिजाइन फोटो (सौ. सोशल मीडिया) 

लखनऊ: उत्तर प्रदेश बहुत तेजी से मानव तस्करी का केंद्र बनता जा रहा है, जिसमें गरीब परिवारों की ऐसी महिलाओं को शिकार बनाया जा रहा है जो अपने परिवार की माली हालत सुधारने के लिए नौकरी के लिए विदेश जाने की इच्छुक होती हैं। इसमें ज्यादातर 24 से 50 साल की महिलाओं फंसाया जाता है।

पिछले दो सालों में सूबे से करीब 24 महिलाओं को खाड़ी देशों में भेजा गया है । जहां उनका शारीरिक और मानसिक शोषण किया जाता है। सूबे की पुलिस ने अप्रैल से अब तक ऐसी तकरीबन एक दर्जन महिलाओं को वापस घर पहुंचाने में कामयाबी हासिल की है।

उन्नाव जिले की रहने वाली 45 साल की फातिमा ( बदला हुआ नाम) अपनी दो बेटियों और एक बेटे के साथ शादी के कई साल बाद अपने पति से अलग रह रही थी। आर्थिक रूप से कमजोर, महिला को ओमान में घरेलू सहायिका के रूप में काम करने का सब्ज बाग दिखाया गया और कहा गया कि उसे प्रति माह 25,000 रुपये कमाने में मदद मिलेगी।

फरवरी में, कानपुर स्थित एक ट्रैवल एजेंट की मदद से, वह खाड़ी देश पहुंची, वहां उसे पता चला कि वह मानव-तस्करी के गठजोड़ के जाल में फंस गई है। पीड़िता ने बताया कि जैसे ही वह ओमान पहुंची, उसका फोन छीन लिया गया। उसे शारीरिक और मानसिक प्रताड़ना दी गई। श्रीलंका की एक महिला आयशा उसकी निगरानी कर रही थी। वह भारत लौटने की मिन्नत करने लगी। लेकिन उससे रिहाई के बदले 4 लाख रुपये की मांग की गयी। उसकी बेटी ने बताया कि अम्मी ने किसी तरह हमें फोन पर अपनी आप बीती के बारे में बताया, जिसके बाद उसने कानपुर पुलिस को ट्रैवल एजेंट के विवरण के साथ मामले की सूचना दी।

15 अगस्त को, जब देश अपना 75वां स्वतंत्रता दिवस मना रहा था तब उत्तर प्रदेश पुलिस की त्वरित कार्रवाई से फातिमा कानपुर पुलिस और विदेश मंत्रालय के सहयोग से दो और महिलाओं के साथ घर लौट आईं। जांच के दौरान पुलिस को कई देशों में फैले मानव-तस्करी के बड़े गठजोड़ का पता चला। गिरोह के लोग ओमान, कतर, कुवैत जैसे खाड़ी देशों में अच्छे वेतन के लिए उन्हें घरेलू नौकर के रूप में रोजगार दिलाने के बहाने 24 से 50 वर्ष की आयु की महिलाओं को निशाना बनाते थे।

इस गिरोह के चंगुल में फंसी महिलाएं न केवल उत्तर प्रदेश से हैं, बल्कि भारत के अन्य हिस्सों जैसे पंजाब, गोवा, तमिलनाडु और कर्नाटक से भी हैं, जबकि इस गिरोह ने पड़ोसी देशों जैसे श्रीलंका, नेपाल, बांग्लादेश, पाकिस्तान के साथ-साथ अन्य देशों की महिलाओं को भी फंसाया है। कुछ महिलाएं तो अफ्रीकी देशों की भी हैं।


कानपुर के पुलिस उपायुक्त (अपराध) सलमान ताज पाटिल का मीडिया से कहना है कि मानव-तस्करी रैकेट का पर्दाफाश तब हुआ जब उन्होंने अप्रैल में एक शहर निवासी की शिकायत की जांच शुरू की, जिसने आरोप लगाया कि उसकी पत्नी को ओमान में फँसाया हुआ है। जब पुलिस ने जांच शुरू की तो जल्द ही खुलासा हो गया कि मामला मानव तस्करी से संबंधित है। इस पर पुलिस आयुक्त असीम अरुण ने मामले की तह तक जाने के लिए कानपुर की मानव तस्करी रोधी इकाई को लगाया, जबकि विदेश मंत्रालय जैसी केंद्रीय एजेंसियों को भी सतर्क किया गया और पीड़ितों को बचाने में मदद मांगी गई।

पिछले चार महीनों में, 12 ऐसी महिलाओं जिनमें कानपुर से छह, पंजाब और चेन्नई से दो-दो और गोवा और कर्नाटक से एक-एक को विदेश मंत्रालय की मदद से सुरक्षित रूप से देश वापस लाया गया है। उन्होंने कहा कि पुलिस जांच से पता चला है कि ओमान में श्रीलंकाई मूल की महिला आयशा विदेशों में पूरे नेटवर्क को संभालती है, जबकि उसके प्रमुख भारतीय एजेंट जो बेंगलुरु में स्थित हैं, उनके संबंध राज्यों में ट्रैवल एजेंटों से हैं, जो महिलाओं को फंसाते हैं और भेजते हैं। इसके बाद इन महिलाओं को पर्यटक वीजा पर विदेश ले जाया जाता है।


पुलिस अधिकारियों के मुताबिक इस संबंध में कानपुर के दो मुजम्मिल और अतीकुर रहमान को गिरफ्तार किया गया है, जो ट्रैवल एजेंट के रूप में काम करते थे और महिलाओं को खाड़ी देशों में भेजते थे। उन्होंने कहा कि दोनों ने पुलिस को बेंगलुरु के अमीन द्वारा संचालित नेटवर्क तक पहुंचाया, बाद में उसे भी गिरफ्तार कर लिया गया।

गिरोह ने पिछले दो वर्षों में कानपुर और आसपास के शहरों से लगभग 18 महिलाओं को खाड़ी देशों में भेजा। इनमें से अधिकांश महिलाएं 24 से 40 वर्ष के आयु वर्ग की हैं और तीन 40 से 50 वर्ष के आयु वर्ग की हैं। ये महिलाएं कतर, कुवैत, सऊदी अरब और ओमान भेजी गई थीं।

कानपुर पुलिस दो पहलुओं पर काम कर रही है –

पीड़ितों की भारत वापसी सुनिश्चित करना और दोषियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई। इस संबंध में सबसे पहले पुलिस अधिकारी यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि तस्करी के सभी पीड़ित सुरक्षित और स्वस्थ घर लौट आएं। इसके अलावा उनका ध्यान सभी पीड़ितों से अलग औपचारिक शिकायत प्राप्त करने पर है ताकि दोषियों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई सुनिश्चित की जा सके और उन्हें जेल भेजा जा सके। उन्हें उम्मीद है कि अन्य राज्यों की पुलिस भी इसका पालन करेगी। मामले की संवेदनशीलता का हवाला देते हुए उत्तर प्रदेश और देश के अन्य हिस्सों में पीड़ितों की संख्या बताने से फिलहाल अधिकारियों ने मना कर दिया है।

Ashiki

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