अंतिम संस्कार होने के बाद घर लौटा शख्स, पुलिस और प्रशासनिक लापरवाही की खोली पोल

ओंकारलाल गाडोलिया लौहार दस दिन बाद जब वह वापस अपने घर पहुंचा तो यहां का नजारा देखकर वह हैरान रह गया।

Raghvendra Prasad Mishra
Published on: 25 May 2021 9:49 AM GMT (Updated on: 25 May 2021 9:50 AM GMT)
Omkarlal Gadolia lauhaar
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ओंकारलाल गाडोलिया लौहार की फाइल तस्वीर (फोटो साभार-सोशल मीडिया)

नई दिल्ली। राजस्थान के राजसमंद शहर का रहने वाला ओंकारलाल गाडोलिया लौहार दस दिन बाद जब वह वापस अपने घर पहुंचा तो यहां का नजारा देखकर वह हैरान रह गया। परिवार के सदस्यों के सिर मुडे हुए थे, घर में लगी उसकी तस्वीर पर माला चढ़ा हुआ था, और तो और घर के सभी सदस्य उसे अचरज से देख रहे थे। वो लोग ओंकारलाल गाडोलिया लौहार को देखकर हैरान थे। उनको लगा कि ओंकारलाल भूत बनकर आ गया है क्योंकि वो लोग नौ दिन पहले ही उसका अंतिम संस्कार कर चुके थे। इस पर ओकारलाल ने घरवालों को बताया कि मैं कोई भूत नहीं हूं, मैं आपका अपना ओंकारलाल गाडोलिया लौहार हूं।

दरअसल, 11 मई को माही रोड पर अज्ञात व्यक्ति का शव मिला था, जिसे जिले के आरके जिला चिकित्सालय पहुंचा दिया गया। इस पर जिला असपताल प्रशासन ने कांकरोली पुलिस को पत्र भेजकर लाश की शिनाख्त कराने के लिए कहा। पुलिस ने लाश की पहचान करने की कोशिश की लेकिन कुछ पता नहीं लग सका। इसके बाद हेड कांस्टेबल मोहनलाल 15 मई को अस्पताल पहुंचे ओर सोशल मीडिया पर वायरल हो रही तस्वीर के आधार पर पुलिस ने पहचान के लिए विकेकनंद चौराहा, कांकरोली निवासी ओंकारलाल गाडोलिया के भाई नानालाल और उसके परिजनों को बुला लिया।

ओंकारलाल के भाई नानालाल पुलिस को बताया था कि उसके भाई के हाथ में लंबा चोट का निशान है और उसके बांए हाथ की दो अंगुलियां मुड़ी हुई हैं। लेकिन अस्पताल प्रशासन ने बिना सही से पहचान कराए शव के तीन दिन पुराने और डी फ्रिज में होने का हवाला देकर परिवार को सौंप दिया। इतना ही नहीं पुलिस और अस्पताल ने बिना कानूनी प्रक्रिया का पालन किए ही ओंकारलाल का शव केवल पंचनामा बनवाकर उसके परिवार को दे दिया। परिजनों ने ओंकारलाल गाडोलिया का अंतिम संस्कार भी कर डाला। पूरा परिवार नौ दिन से गमी के माहौल में जी रहा था कि अचानक 10वें दिन ओंकारलाल को अचानक देखकर सभी हैरान हो गए।

ओंकारलाल के मुताबिक उसने घरवालों को बताए बिना 11 मई को उदयपुर चला गया। वहां पहुंचने पर उसकी तबीयत खराब हो गई। इसपर वह उदयपुर के अस्पताल में भती्र हो गया। चार दिन बाद अस्पताल से छुट्टी मिलने के बाद वह जब गांव लौटा तो यहां उसकी तेहरवीं की तैयारी चल रही थी। बता दें कि ओंकारलाल परिवार के सााि उदयपुर में प्रवास पर रहता था। लेकिन कोरोना की वजह से लगे लॉकडाउन के चलते वह गांव में परिवार सहित राजसमंद में भाई के यहां आ गया। चूंकि वह शराब का आदी था और बिना बताए घर से गायब हो गया। इसपर परिवार वाले भी उसे मरा समझ बैठे।

पुलिस की लापरवाही से नहीं हो सकी शव की पहचान

ओंकारलाल तो अपने घर पहुंच गया, घर में मातम की जगह खुशी लौट आई। लेकिन यहां पुलिस और अस्पताल प्रशासन की लापरवाही के चलते अज्ञात लाश की शिनाक्ष्त नहीं हो पाई। आखिर जिस लाश को ओंकारलाल के घर वालों ने जला दिया वह किसकी थी। शव का न तो पोस्टमार्टम कराया गया और न ही उसका विसरा रिपोर्ट लिया गया। जबकि नियमत: ऐसा करने के बाद ही किसी को लाश सौंपी जाती है। इससे कांकोरी पुलिस के साथ जिला अस्पताल की गंभीर लापरवाही उजागर हो रही है।

Raghvendra Prasad Mishra

Raghvendra Prasad Mishra

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