×

अब नहीं बच सकेंगे एप के जरिये उधार देने वाले जालसाज, आरबीआई कसेगा नकेल

बीते दिन मुख्य सचिव राजेन्द्र कुमार तिवारी की अध्यक्षता में भारतीय रिजर्व बैंक की 11 वीं राज्य स्तरीय समन्वय समिति की बैठक हुई। बैठक में अनिगमित इकाइयों, उनकी गतिविधियों और उन पर प्रभावी रूप से अंकुश लगाने पर विचार विमर्श किया गया।

Ramkrishna Vajpei
Written By Ramkrishna VajpeiPublished By Deepak Kumar
Published on: 19 Nov 2021 2:21 AM GMT (Updated on: 19 Nov 2021 2:22 AM GMT)
reserve bank of India
X

आरबीआई (कॉन्सेप्ट फोटो - सोशल मीडिया)

केंद्रीय बैंक (Central bank) द्वारा गठित एक समिति ने उधारी के अवैध कारोबार को रोकने के लिए उनकी साख को सत्यापित करने के लिए एक नोडल एजेंसी बनाने सहित विवादास्पद डिजिटल ऋण ऐप पर लगाम लगाने का सुझाव दिया है।

जबरदस्ती ऋण वसूली की शिकायतों के बाद आरबीआई (RBI) ने ग्राहक सुरक्षा को बढ़ाने और नवाचार को प्रोत्साहित करते हुए डिजिटल उधार के तंत्र को सुरक्षित बनाने पर जोर देने के लिए जनवरी में अपने कार्यकारी निदेशक जयंत कुमार दास (Executive Director Jayant Kumar Das) की अध्यक्षता में ऑनलाइन प्लेटफॉर्म और मोबाइल ऐप सहित डिजिटल ऋण पर एक कार्य समूह का गठन किया था। जिसका मकसद डिजिटल लोन को सुरक्षित बनाने के तरीकों पर विचार करना था।

समिति ने अपनी रिपोर्ट में अब सुझाव दिया है कि एक नोडल एजेंसी की स्थापना की जाए जो बैलेंस शीट ऋणदाताओं और ऋण देने वाले सेवा प्रदाताओं के डिजिटल ऐप की तकनीकी साख को सत्यापित करेगी। यह अपनी वेबसाइट पर सत्यापित ऐप्स का एक सार्वजनिक रजिस्टर भी बनाए रखेगा। समिति के निष्कर्षों के मुताबिक, भारतीय एंडरॉयड उपयोगकर्ताओं के लिए लगभग 1100 उधार देने वाले ऐप्स उपलब्ध थे। इनमें से 600 अवैध थे।

गुरुवार को लखनऊ (Lucknow) में मुख्य सचिव राजेन्द्र कुमार तिवारी (Chief Secretary Rajendra Kumar Tiwari) की अध्यक्षता में भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की 11 वीं राज्य स्तरीय समन्वय समिति की बैठक (11th State Level Coordination Committee meeting) हुई। बैठक में अनिगमित इकाइयों, उनकी गतिविधियों और उन पर प्रभावी रूप से अंकुश लगाने पर विचार विमर्श किया गया।

इकाइयों द्वारा आम जनता से धोखाधड़ी करने वाली विभिन्न योजनाओं से संबन्धित प्रकरणों पर चर्चा की गई। वित्तीय धोखाधड़ी एवं साइबर क्राइम (Cyber Crime) के रुझानों को देखते हुये इनके रोकथाम पर गहन विचार-विमर्श किया गया। साथ ही इस तरह की धोखाधड़ी को रोकने के लिए वित्तीय जागरूकता के पहलों के महत्व पर जोर दिया गया। बैठक में जमा की अनधिकृत स्वीकृति के संबंध में विनियमकों एवं प्रवर्तन अधिकारियों के द्वारा सक्रिय एवं निवारक कार्रवाई की आवश्यकता पर बल दिया गया।

बैठक में भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) के साथ संस्थागत वित्त महानिदेशालय, वित्त विभाग, गृह विभाग, राजस्व विभाग, सहकारिता विभाग, आर्थिक अपराध शाखा, साइबर क्राइम सेल, सेबी इत्यादि के वरिष्ठ अधिकारियों ने हिस्सा लिया। एक अन्य सिफारिश बैलेंस शीट उधार को प्रतिबंधित करने की भी है जहां आमतौर पर ऋण को ऋणदाता की बैलेंस शीट पर रखा जाता है। इसके अलावा केंद्र सरकार (Central Government) अनियमित उधार गतिविधियों पर प्रतिबंध लगाने के अधिनियम को पेश करके अवैध उधार गतिविधियों को रोकने के लिए कानून लाने पर विचार कर सकती है।

गौरतलब है कि कोविड महामारी (Covid-19) के बाद लोगों को लोन की जरूरत पड़ी थी उस समय इस तरह की अनियमित डिजिटल लोन देने वालों की बाढ़ आ गई और इसी के साथ विवाद भी बढ़ गये। लोगों को त्वरित ऋण लेने के लिए मजबूर किया गया यह कहकर कि ऐप्स के एक बटन के क्लिक पर उधार पाएं। जबकि उधारकर्ता इन ऋणों को चुकाने में असमर्थ थे, जो कि अत्यधिक ब्याज दरों के साथ आए थे। ऐसे में कंपनियों ने जबरदस्ती वसूली की रणनीति का सहारा लिया।

दोस्तों देश और दुनिया की खबरों को तेजी से जानने के लिए बने रहें न्यूजट्रैक के साथ। हमें फेसबुक पर फॉलो करने के लिए @newstrack और ट्विटर पर फॉलो करने के लिए @newstrackmedia पर क्लिक करें।

Deepak Kumar

Deepak Kumar

Next Story