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Singhu Border Murder Case: सिंघु बॉर्डर पर किसानों के मंच के पास युवक की बेरहमी से हत्या, बैरिकेड पर लटकाया हाथ
सिंघु बॉर्डर पर 35 वर्षीय शख्स की बेरहमी से हत्या के बाद एक हाथ काटकर शव बैरिकेड से लटका दिया गया। वहीं, युवक के शरीर पर धारदार हथियार से हमले निशान हैं।
Singhu Border : सिंघु बॉर्डर पर 35 वर्षीय शख्स की बेरहमी से हत्या के बाद एक हाथ काटकर शव बैरिकेड से लटका दिया गया है। वहीं, युवक के शरीर पर धारदार हथियार से हमले निशान हैं। सुबह से ही आंदोलनकारियों की भीड़ घटना स्थल पर जुटी हुई है। इस वारदात के बाद सिंघु बार्डर पर अफरा-तफरी का माहौल बन गया और किसानों ने हंगामा शुरू कर दिया।
आपको बता दें कि यह घटना गुरुवार रात हुई है। जब शुक्रवार की सुबह आंदोलनकारियों ने मुख्य मंच के पास युवक का शव लटका देखा, तो हड़कंप मच गया। आंदोलनकारी शुरुआत में पुलिस को भी मुख्य मंच के पास नहीं जाने दे रहे थे। हालांकि बाद में कुंडली थाना पुलिस ने शव को उतारा और सिविल हॉस्पिटल लेकर पहुंची।
कड़ी मशक्कत के बाद मौके पर पहुंची पुलिस
जानकारी के मुताबिक, सिंघु बॉर्डर (Singhu Border Per Hatya) पर लगे संयुक्त किसान मोर्चा के मुख्य मंच के पास शव मिलने से हड़कंप मच गया। शव का एक हाथ कटा हुआ है, तो गर्दन पर भी तेजधार हथियार से हमले के निशान हैं। वहीं, इस घटना की सूचना के बाद कुंडली थाना प्रभारी रवि कुमार कड़ी मशक्कत के बाद मौके पर पहुंच पाये हैं । मृतक की पहचान करने की कोशिश की जा रही है। फिलहाल पुलिस ने शव को अपने कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है।
निहंगों ने लगाया यह आरोप
सूत्रों के मुताबिक, निहंगों का आरोप है कि किसी ने युवक को साजिश के तहत 30 हजार रुपये देकर यहां भेजा था, जबकि युवक ने यहां पवित्र गुरु ग्रंथ साहिब का अंग भंग किया। वहीं, जब निहंगों को इसका पता चला, तब उसे पकड़ लिया गया। साथ ही उसे घसीटते मंच के पास लाया गया था। हालांकि युवक से पूछताछ और घसीटने समेत पूरे वारदात का वीडियो भी बनाया गया, जो कि अभी सामने नहीं आया है, जबकि हत्या की बात को लेकर पुलिस कुछ भी कहने से बच रही है।
बता दें कि दिल्ली, हरियाणा और यूपी की अलग-अलग सीमाओं पर किसान तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ धरना दे रहे हैं। इस धरने को 9 महीने से ज्यादा का वक्त बीत चुका है। किसान संगठनों और सरकार के बीच कई बैठक भी हुईं। लेकिन अब तक कोई हल नहीं निकला है। किसानों का कहना है कि वे लोग कृषि कानूनों की वापसी से पहले नहीं हटेंगे। वहीं, सरकार का कहना है कि वह कानूनों को वापस नहीं लेगी। लेकिन किसानों के बताए संभव बदलाव करने को तैयार है।