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Uniform Civil Code: उत्तराखंड ही नहीं इन राज्यों में भी तेज हुई समान नागरिक संहिता की मांग
Uniform Civil Code: उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने यह भी कहा कि एक बार उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता लागू हो जाने के बाद अन्य राज्यों को भी इसे पालन करना चाहिए।
Uniform Civil Code: उत्तराखंड में भाजपा के पुष्कर सिंह धामी की सरकार (Pushkar Singh Dhami Government) जल्द ही राज्य में समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code) लागू करने की तैयारी में है। उत्तरांखड के अलावा भाजपा शासित राज्यों समेत देश के अन्य कई प्रदेशों में भी समान नागरिक संहिता की मांग तेजी से बढ़ रही है। वहीं, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने यह भी कहा कि एक बार उत्तराखंड (Uttarakhand) में समान नागरिक संहिता लागू हो जाने के बाद अन्य राज्यों को भी इसे लागू करना चाहिए।
बता दें कि कई राज्य सरकार ने समान नीति बनाने की अपनी योजना काम कर भी शुरू कर दिया है। उत्तर प्रदेश की योगी सरकार (Yogi Adityanath Government) समान नागरिक संहिता को लागू करने की योजना को आगे बढ़ाने में जुटी हुई है। वहीं, कई अन्य राज्यों ने भी इस प्रस्ताव का समर्थन दिया है। चलिए जानते हैं कि उत्तराखंड राज्यों में समान नागरिक संहिता को लेकर जोरो शोरो से चर्चा है।
उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh)
उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार भी प्रदेश में समान नागरिक संहिता लागू करने का विचार कर रही है। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि सभी को इसका स्वागत करना चाहिए। एक देश में सभी के लिए समान कानून समय की मांग है। यह बेहद जरूरी है कि सभी नागरिकों के लिए एक समान कानून की व्यवस्था हो। केशव मौर्य ने कहा कि जिस तरह से उत्तराखंड की सरकार इस दिशा में काम कर रही है, उसी तरह यूपी और अन्य भाजपा शासित राज्यों में समान नागरिक संहिता लागू करना चाहिए।
मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh)
इस राज्य में भी भाजपा की सरकार है और एमपी में भी समान नागरिक संहिता लागू करने की मांग की जा रही है। भाजपा के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद अजय प्रताप सिंह ने सीएम मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को पत्र लिखकर समान नागरिक संहिता के कार्यान्वयन के तमाम पहलुओं को देखने के लिए एक समिति गठित करने का आग्रह किया है।
महाराष्ट्र (Maharashtra)
समान नागरिक संहिता को समर्थन देने वाले राज्यों में महाराष्ट्र भी शामिल है। दरअसल, महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) प्रमुख राज ठाकरे ने समान नागरिक संहिता को अपना समर्थन दिया था। साथ ही जनसंख्या वृद्धि को नियंत्रित करने की जरूरत पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि पीएम को इस देश में समान नागरिक संहिता लागू करना ही चाहिए और जनसंख्या वृद्धि को नियंत्रित करने के लिए भी एक कानून बनाया जाना चाहिए।
क्या है समान नागरिक संहिता?
समान नागरिक संहिता संविधान के अनुच्छेद 44 के अंतर्गत आती है, जो यह बताती है कि 'राज्य' भारत के पूरे क्षेत्र में नागरिकों के लिए एक समान नागरिक संहिता को सुरक्षित करने का प्रयास करेगा। यहाँ राज्य से तात्पर्य देश से है।
भारतीय संविधान में निदेशक सिद्धांतों के अनुच्छेद 44 का उद्देश्य कमजोर समूहों के खिलाफ भेदभाव को दूर करना और देश भर में विविध सांस्कृतिक समूहों में सामंजस्य स्थापित करना था। डॉ. बी.आर. अम्बेडकर ने संविधान बनाते समय कहा था कि एक समान नागरिक संहिता वांछनीय है लेकिन फिलहाल इसे स्वैच्छिक रहना चाहिए, और इस प्रकार संविधान के मसौदे के अनुच्छेद 35 को भाग 4 में राज्य नीति के निदेशक सिद्धांतों के एक भाग के रूप में जोड़ा गया था।
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