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Agra: यूनिवर्सिटी फर्जीवाड़े में शामिल एजेंसी का पूर्व कर्मचारी हुआ गिरफ्तार, रुपए लेकर बेची थी आंसर कॉपी की बारकोडिंग
Agra News: जांच में पुलिस को आरोपी अतुल के खिलाफ डिजिटल एविडेंस मिले। पुलिस का दावा है कि कानपुर के रहने वाले अतुल ने अपने कार्यकाल के दौरान छात्रों की उत्तर पुस्तिका के बारकोड की डिकोडिंग की।
Agra news Former employee arrest involved in university fraud
Agra: चंद रुपयों के लालच में यूनिवर्सिटी का डाटा बेचने वाले एजेंसी के पूर्व कर्मचारी को हरी पर्वत पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। जांच में पुलिस को आरोपी अतुल के खिलाफ डिजिटल एविडेंस मिले हैं। पुलिस का दावा है कि कानपुर के रहने वाले अतुल ने अपने कार्यकाल के दौरान छात्रों की उत्तर पुस्तिका के बारकोड की डिकोडिंग की।
पुलिस के मुताबिक अतुल रुपये लेकर यूनिवर्सिटी का डाटा बाहरी लोगों को बेच देता था। अतुल की गिरफ्तारी के बाद एजेंसी के कई और कर्मचारी पुलिस के राडार पर है। बीएएमएस और एमबीबीएस मामले से जुड़े आरोपियों की गिरफ्तारी के प्रयास में लगी टीम को पूर्व कर्मचारी अतुल के बारे में जानकारी मिली। पुलिस ने अतुल के खिलाफ साक्ष्य जुटाए और जांच पड़ताल की, और अतुल को गिरफ्तार कर लिया।
एसपी सिटी आगरा ने बताया कि गिरोह के बारे में लगातार जानकारियां मिल रही हैं। एक-एक कर सभी आरोपियों को गिरफ्तार किया जा रहा है। बीएएमएस और एमबीबीएस के छात्रों की कॉपी बदलने में किन-किन लोगों का हाथ है। पुलिस इस बात की तफ्तीश में लगी हुई है।
आपको बता दें कि आगरा पुलिस के साथ एसटीएफ टीम भी यूनिवर्सिटी फर्जीवाड़े की जांच में जुटी हुई है। पुलिस मामले से जुड़े कई लोगों को गिरफ्तार कर जेल भेज चुकीं है। उधर विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति रहें प्रोफेसर विनय पाठक के खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ है।
डॉक्टर भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय के हालात बेहद खराब है। अपने दौरे में राज्यपाल भी विश्वविद्यालय की अधिकारियों की फटकार लगा चुकी हैं लेकिन विश्वविद्यालय में फैला मकड़जाल अब तक नहीं सुलझ पाया है। विश्वविद्यालय इसके पहले भी जांच के घेरे में रहा है लेकिन हर बार नतीजा ढाक के तीन पात ही रहा।
ऐसा नहीं है कि यूनिवर्सिटी के खिलाफ यह कोई पहला मुकदमा है। इसके पहले भी डॉ भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय प्रशासन से जुड़े लोगों के खिलाफ हरी पर्वत थाने में मुकदमे दर्ज हुए हैं। कार्रवाई क्या हुई? सब कागजों में चल रही है। समझ नही आ रहा है कि विश्वविद्यालय में भ्रष्टाचार की जड़े कितनी गहरी है।