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कत्ल कानून-व्यवस्था का: इंसाफ मांगोगे तो बीच चौराहे मिलेगी मौत, आखिर हत्यारा कौन ?
इंसाफ मांगोगे तो गोली मिलेगी। उत्तर प्रदेश का यही हाल है। जिसकी नजीर लखनऊ में बुधवार (1 फरवरी) को देखने को मिली। जहां सरेराह बेखौफ बदमाशों ने उस श्रवण साहू को गोलियों से भून दिया।
शारिब जाफरी
लखनऊ: इंसाफ मांगोगे तो गोली मिलेगी। उत्तर प्रदेश का यही हाल है। जिसकी नजीर लखनऊ में बुधवार (1 फरवरी) को देखने को मिली। जहां सरेराह बेखौफ बदमाशों ने उस श्रवण साहू को गोलियों से भून दिया। जो अपने बेटे के हत्यारों को सजा दिलाना चाहता था। इस हत्याकांड से लोग दहशतजदा हैं। लेकिन जिन अफसरों की लापरवाही से श्रवण साहू की ह्त्या हुई वो अफसर फोटोशूट के जरिये अपनी टीआरपी बढ़ाने में जुटे हैं। यूपी 100 के जरिए अपराधियों पर लगाम कसने का दावा करने वाली सरकार को शर्मसार कर देने वाली इस घटना ने उन सैकड़ों लोगों की हिम्मतों को तोड़ दिया जो श्रवण साहू की तरह अपराध से डरें नहीं, बल्कि अब भी उसके खिलाफ लड़ाई लड़ रहे हैं।
एसएसपी से मांगी सुरक्षा, चौराहे पर मिली गोली
लखनऊ में श्रवण साहू के हत्यारों ने राजधानी पुलिस को खुली चुनौती दी है। सहादतगंज दाल मंडी में रहने वाले श्रवण साहू की सरेराह हत्या कर पुलिस की कार्य प्रणाली पर ही सवाल उठा दिए हैं।
हाल ही में पारा पुलिस ने श्रवण साहू को एक अपराधी के इशारे पर जेल भेजने की साजिश रची थी। इस साजिश का खुलासा हुआ तो एक पुलिस सब इंस्पेक्टर धीरेंद्र शुक्ला समेत 3 पुलिसवालों को बर्खास्त कर दिया गया, जबकि 7 पुलिस कर्मियों पर निलंबन की गाज गिरी। इसके बाद श्रवण साहू को केस वापस लेने के धमकीभरी चिठ्ठी मिली।
इस चिठ्ठी के साथ श्रवण साहू ने एसएसपी लखनऊ मंजिल सैनी से मिलकर सुरक्षा की गुहार लगाई। जिसके तीन दिन बाद ही श्रवण साहू को सरेराह गोलियों से भून दिया गया। घटना के बाद मौके पर जब एसएसपी पहुंची, तो श्रवण साहू के परिजनों ने कहा कि पुलिस ने हत्या करा दी। अब हम किस पर भरोसा करें। इस सवाल का जवाब एसएसपी के पास नहीं था।
बीच चौराहे पर हुआ इंसाफ का कत्ल
भ्रष्ट पुलिस और अपराधियों के खिलाफ आवाज उठाने वाले श्रवण साहू को बीच चौराहे पर न सिर्फ गोलियों से भून दिया गया, बल्कि इससे इंसाफ का कत्ल भी हो गया। दरअसल श्रवण साहू के बेटे आयुष साहू की तीन साल पहले हत्या कर दी गई थी। इस मामले में राजधानी पुलिस का कमाऊ पूत अकील जेल चला गया था। जमानत पर रिहा हुआ अकील, श्रवण साहू पर केस वापस लेने का दबाव बनाने लगा, लेकिन श्रवण साहू अपने बेटे को इंसाफ दिलाना चाहते थे, इंसाफ की उम्मीद तो छोड़िए इंसाफ मांगने वाले को ही सरेराह मौत की नींद सुला दिया गया।
हत्यारा कौन पुलिस या अकील ?
इस हत्याकांड के बाद बड़ा सवाल यही उठ रहा है कि आखिर श्रवण साहू की हत्या किसने की ? पुलिस के अफसर इस ह्त्या के पीछे अकील का हाथ बता रहे हैं जो कि 27 जनवरी को एक मामले में जमानत तुड़वा का जेल जा चुका है, लेकिन अकील और पुलिस के चोली-दामन के साथ वाले रिश्ते के चलते पुलिस पर उंगलियां उठ रही हैं। जिस का खुलासा आला पुलिस अफसरों की निगरानी में एसएसपी ने किया था।
इस मामले में पारा थाने की पुलिस ने अकील के साथ साजिश रच कर कामरान, अफजल, तमीम अहमद और अनवर को श्रवण साहू का शूटर बता कर जेल भेज दिया था। इस मामले का खुलासा तब हुआ जब जेल से छूटे आरोपियों ने एडीजी कानून व्यवस्था दलजीत चौधरी से मुलाकात कर इंसाफ की मांग की।
जिस के बाद पारा थाने पर तैनात एसआई धीरेंद्र शुक्ला और अनिल सिंह को बर्खास्त कर दिया गया। जबकि 8 पुलिसकर्मी निलंबित हुए और 3 तीन को लाइन हाजिर किया गया था। अब परिजन आरोप लगा रहे हैं की श्रवण की ह्त्या पुलिस वालों ने की है ऐसे में परिजनों को पुलिस पर भरोसा ही नहीं रहा है।
कानून व्यवस्था ध्वस्त, एसएसपी फोटो सेशन में मस्त
एक तरफ जहां राजधानी में कानून व्यव्स्था ध्वस्त है, तो वहीं एसएसपी लखनऊ मंजिल सैनी फोटो सेशन में मस्त रहती हैं। अखबारों के पन्नों में फोटो की लालसा रखने वाली एसएसपी पर तो अब धन उगाही के भी आरोप लगने लगे हैं। यही वजह है कि वो अपने कामऊ थानेदारों के सारे गुनाह माफ करती रही हैं।
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