World Crime News: चिप कारखानों में कर्मचारियों को कैद करके किया जा रहा प्रोडक्शन

ताइवान है जहाँ महामारी के चलते प्रोडक्शन बुरी तरह प्रभावित हुआ है। बताया जाता है कि कंपनियों के कर्मचारियों को कारखानों में जबरन बंद करके चौबीसों घंटे काम कराया जा रहा है।

Neel Mani Lal
Written By Neel Mani LalPublished By Shashi kant gautam
Published on: 27 Jun 2021 8:14 AM GMT
Taiwans Chip Factory
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ताईवान का चिप कारखाना: फोटो- सोशल मीडिया

World Crime News: कोरोना महामारी की वजह से दुनिया भर में सेमीकंडक्टर यानी चिप की सप्लाई पर बहुत गहरा असर पड़ा है। दुनिया में सबसे बड़ा चिप निर्माता देश ताइवान है जहाँ महामारी के चलते प्रोडक्शन बुरी तरह प्रभावित हुआ है। अब प्रोडक्शन बढ़ाने के लिए ताइवान की कम्पनियाँ तरह तरह के हथकंडे अपना रही हैं। बताया जाता है कि कंपनियों के कर्मचारियों को कारखानों में जबरन बंद करके चौबीसों घंटे काम कराया जा रहा है।

दरअसल, सभी इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों में इस्तेमाल होने वाली चिप का सबसे बड़ा सप्लायर ताइवान है। यहाँ बहुत एडवांस्ड किस्म की चिप का निर्माण होता है। ताइवान में कोरोना फैलने से कारखानों में कर्मचारियों की संख्या अद्धी से भी कम रह गयी है। दूसरी ओर ग्लोबल डिमां दिनों दिन बढ़ती जा रही है। ऐसे में ताईवानी कम्पनियाँ नियम कानून ताक पर रख कर प्रोडक्शन करने में जुटी हैं।

कर्मचारियों को हाथ मुंह धोने तक की इजाजत नहीं

लन्दन के द टेलीग्राफ अख़बार ने ताइवान के चिप कारखानों की कारगुजारियों का पर्दाफाश किया है। टेलीग्राफ ने बताया है कि कर्मचारियों को हाथ मुंह धोने तक की इजाजत नहीं दी जाती है और उनको धमकी दी जाती है कि अगर उन्हें कोरोना संक्रमण हो गया तो सड़क पर मरने के लिए फेंक दिया जाएगा और परिवारवालों को बताये बगैर उनका क्रियाकर्म कर दिया जाएगा। ये भी कहा जाता है कि कोरोना से मरने पर उनके खाते में जमा पूरी रकम जब्त कर ली जायेगी।

महामारी की वजह से सप्लाई घटी

रिपोर्ट के अनुसार, महामारी की वजह से सप्लाई घटी है और दुनिया भर में वर्क फ्रॉम हो जाने से चिप की डिमांड काफी बढ़ गयी है। ऐसे में ताइवान की कम्पनियाँ सप्लाई पूरी करने में दिक्कतों का सामना कर रही हैं। ज्यादा से ज्यादा प्रोडक्शन करने और कोरोना का इन्फेक्शन रोकने के लिए कर्मचारियों को डरा धमका कर फैक्ट्री में ही रखा जा रहा है। कई कम्पनियाँ अपने कर्मचारियों से कह रही हैं कि अगर उन्हें कोरोना हो गया तो उन पर तगड़ा जुर्माना लगा दिया जाएगा।

द टेलीग्राफ के अनुसार डेस्क टॉप कंप्यूटर और अन्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों में लगने वाली चिप की सबसे बड़ी निर्माता कंपनी सिलिकॉनवेयर प्रिसिशन इंडस्ट्रीज के कारखानों में श्रम नियम-कानूनों की धज्जियाँ उड़ाई जा रही हैं। प्रिसिशन समेत तमाम कंपनियों में ज्यादातर प्रवासी कामगार ही काम करते हैं। ऐसे में इन कामगारों के सामने बहुत सीमित विकल्प रहते हैं और वे किसी शोषण के खिलाफ आवाज भी नहीं उठा सकते।

जुर्माने की धमकियां

जांच में पता चला है कि न सिर्फ कर्मचारियों को कैद करके रखा जा रहा है बल्कि उन्हें जुर्माने की धमकियां भी दी जाती हैं। कर्मचारियों को अपनी जरूरत का सामान खरीदने के लिए कहीं जाने की भी इजाजत नहीं है। इन कर्मचारियों को काम दिलाने वाले ठेकेदार उनके परिवारों को भी डराते धमकाते हैं।

प्रिंटेड सर्किट बोर्ड बनाए वाली कॉम्पेक मैन्युफैक्चरिंग ने अपने कर्मचारियों को भेजे मेमो में कहा है कि उन्हें रोजाना सिर्फ एक बार 90 मिनट के लिए कारखाने से बाहर जाने की इजाजत होगी। कर्मचारियों से कहा गया है कि कंपनी के ही लोगों से मिले जुलें।

मानो सभी कर्मचारी जेल में बंद हैं

दुनिया की सबसे बड़ी चिप पैकेजिंग व टेस्टिंग कंपनी एएसई की एक कर्मचारी ने दावा किया है कि कारखाने के कर्मचारियों को शिफ्ट ख़त्म होने के एक घंटे के भीतर अपने डोर्मिट्री में पहुँच जाने का आदेश दिया गया है। ऐसा न करने पर पेनाल्टी लगाए जाने की चेतावनी दी गयी है। इस महिला कर्मचारी ने बताया कि 12 घंटे की शिफ्ट के दौरान कर्मचारियों को मुंह धोने तक की इजाजत नहीं है। उसने कहा कि ऐसा प्रतीत होता है मानो सभी कर्मचारी जेल में बंद हैं।

दूसरी ओर कंपनियों का कहना है कि सिर्फ कोरोना को रोकने के लिए सीडीसी के दिशा निर्देशों का पालन करने को कहा जा रहा है। कर्मचारियों के साथ कोई जोर जबरदस्ती नहीं की जाती है। ताइवान में फिलिपीन्स, विएतनाम, थाईलैंड और इंडोनेशिया के बहुत प्रवासी कामगार हैं। इनका कहना है कि लोकल लोगों पर प्रतिबन्ध नहीं लगाये जाते हैं और सिर्फ बाहरी लोगों के साथ भेदभाव किया जा रहा है।

Shashi kant gautam

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