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KGMU डॉक्टर की मौत के पीछे व्यापमं?
लखनऊ: व्यापमं घोटाले में फंसी क्वीन मेरी की जूनियर डॉ मनीषा शर्मा अब इस दुनिया में नहीं हैं। बता दें, उनकी मौत के बाद जहां ये चर्चा जोरो से है कि उन्होंने वेक्यूरेनियम की हाई इंजेक्शन ले ली थी तो वहीं इस मामले में मनीषा के परिजनों का कहना है कि उन्होंने यूरो सर्जरी विभाग के सीनियर रेजीडेंट डॉ उधम सिंह की वजह से आत्महत्या जैसा बड़ा कदम उठाया। व्यापमं घोटाले को लेकर डॉ मनीषा से सीबीआई पूछताछ भी होनी थी। वहीं, इस मामले को लेकर को छह महीना जेल में भी रही थीं।
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केजीएमयू ट्रॉमा सेंटर में सोमवार दोपहर को डॉ मनीषा शर्मा की मौत होने के बाद से ही यह मामला काफी तूल पकड़ा हुआ है। इस मामले में मनीषा की बड़ी बहन दीपा शर्मा का कहना है कि डॉ उधम सिंह के खिलाफ रविवार को वजीरगंज थाने में उत्पीड़न और आत्महत्या के लिए उकसाने का मामला दर्ज करवा दिया गया है।
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दीपा का कहना है कि उनकी छोटी बहन ने शनिवार की रात करीब 8 बजे बेहोशी वेक्यूरेनियम की हाई इंजेक्शन इसलिए ली थी क्योंकि वो अपने सीनियर रेजीडेंट से काफी परेशान थी। इंजेक्शन लेने के बाद से ही मनीषा की हालत काफी गंभीर बनी हुई थी। ऐसे में उन्हें बचाया नहीं जा सका। मनीषा केजीएमयू के क्वीनमेरी अस्पताल में एमएस की स्टूडेंट तो थीं ही साथ में यहां जूनियर रेजीडेंट भी थी। मनीषा का व्यापमं घोटाले में होने के कारण उनका एडमिशन केजीएमयू के पीजी कोर्स में छह महीना देर से हुआ था।
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इसके कारण डॉ उधम सिंह सीनियर रेजीडेंट हो गया था। बता दें, मनीषा और उधम क्लासमेट ही थे। वहीं, इस मामले में दीपा का कहना है कि मनीषा की मौत के बाद डॉ उधम सिंह ने उसे फोन कर इस घटना के बारे में बताया था। इस दौरान उधम ने ये भी कहा कि उसकी मनीषा के साथ बहस हुई थी। इस कॉल की पूरी रिकॉर्डिंग भी दीपा के पास है। यही नहीं, दीपा ने ये भी कहा कि अगर उधम चाहते तो दीपा की जान बचाई जा सकती थी।
अलीगढ़ मुस्लिम विवि से डॉ मनीषा ने एमबीबीएस की पढ़ाई की थी, जिसके बाद उन्होंने केजीएमयू में पीजी कोर्स में दाखिला लिया था। छह महीना देर से दाखिला लेने के कारण उसकी परीक्षा अब होनी थी। वहीं, पुलिस ने जांच के लिए मनीषा का कमरा सील कर दिया है। बता दें, बुद्धा हास्टल के कमरा नंबर 309 में मनीषा रहती थी।
वहीं, दीपा ने ये भी आरोप लगाया है कि मनीषा जिस मानसिक तनाव से गुजर रही थी, इसकी जानकारी केजीएमयू प्रशासन को थी लेकिन उन्होंने कोई ठोस कदम नहीं उठाया जबकि प्रशासन ने इस बात से साफ़ इंकार कर दिया है। प्रशासन ने साफ़ कहा है कि अगर उन्हें इस बात की जानकारी होती तो वो इसपर कोई न कोई एक्शन जरुर लेते।