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गैंगरेप और धमकी मामला: गायत्री के दोनों साथियों का पॉक्सो कोर्ट में सरेंडर, भेजे गये जेल

पॉक्सो के विशेष जज ओम प्रकाश मिश्रा ने गैंगरेप के इस मामले में गायत्री समेत अमरेंद्र व विकास वर्मा को जमानत दी थी। अमरेंद्र व विकास जमानत मंजूर होने के बाद जेल से रिहा हो गए थे। लेकिन बाद में हाईकोर्ट ने सत्र अदालत के आदेश को निरस्त कर दिया था।

zafar
Published on: 23 May 2017 11:43 PM IST
गैंगरेप और धमकी मामला: गायत्री के दोनों साथियों का पॉक्सो कोर्ट में सरेंडर, भेजे गये जेल
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लखनऊ: गैंगेरप व जानमाल की धमकी के मामले में जमानत पर रिहा मुल्जिम अमरेंद्र सिंह उर्फ पिंटू व विकास वर्मा ने मंगलवार को पॉक्सो की विशेष अदालत में सरेंडर कर दिया। विशेष जज उमाशंकर शर्मा ने दोनों मुल्जिमों को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया। बीते 11 मई को विशेष अदालत ने इनके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया था। साथ ही इनके जमानतदारों को भी नोटिस जारी किया था।

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बताते चलें कि बीते 25 अप्रैल को पॉक्सो के विशेष जज ओम प्रकाश मिश्रा ने गैंगरेप के इस मामले में गायत्री समेत अमरेंद्र व विकास वर्मा को जमानत दी थी। अमरेंद्र व विकास जमानत मंजूर होने के बाद जेल से रिहा हो गए थे। लेकिन बाद में हाईकोर्ट ने सत्र अदालत के आदेश को निरस्त कर दिया था। साथ ही जमानत पर रिहा इन दोनों मुल्जिमों की गिरफ्तारी का भी आदेश दिया था। हाई कोर्ट में मामले की सुनवाई 26 मई को नियत है।

आगे स्लाइड में श्रवण साहू मर्डर मामला....

चार्जशीट पर 6 जून को संज्ञान

एक अन्य मामले में सीबीआई की विशेष अदालत ने श्रवण साहू हत्याकांड में दाखिल चार्जशीट पर संज्ञान के लिए छह जून की तारीख तय की है। विशेष न्यायिक मजिस्ट्रेट विनीता सिंह ने इस मामले के विवेचक को आदेश दिया है कि वह उस रोज अदालत में उपस्थित रहें। सीबीआई ने इस मामले में मुल्जिम अकील अंसारी, सत्यम पटेल उर्फ राकी, अमन सिंह, अजय पटेल, रोहित मिश्रा व विवेक वर्मा के खिलाफ हत्या व हत्या का षडयंत्र रचने तथा सबूत मिटाने के आरोप में चार्जशीट दाखिल की है। मंगलवार को यह सभी मुल्जिम वीडियो कॉन्फ्रेसिंग के जरिए जेल से अदालत में मौजूद थे।

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बताते चलें कि एक फरवरी, 2017 को राजधानी के बाजारखाला इलाके में श्रवण साहू की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। वह अपने पुत्र आयूष साहू की हत्या के मामले में अहम गवाह थे। आयुष की हत्या में अकील अंसारी को नामजद किया गया था। वह पहले से जेल में था। पुलिस ने बाद में अन्य मुल्जिमों को भी गिरफ्तार कर जेल भेजा था। लेकिन इस मामले में पुलिस वालों की मिलीभगत सामने आने पर हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने इस हत्याकांड की जांच सीबीआई को सौंप दी थी।



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