30 लाख की किडनी, 80 लाख का लीवर बेचने वाले गिरोह के 6 सदस्य गिरफ्तार

पुलिस ने एक ऐसे गैंग का खुलासा किया है जो भोले भाले लोगो को गुमराह कर उनकी किडनी और लीवर बेच देते थे। इस गैंग के सदस्य डोनर को 3 से 4 लाख रूपए देते थे और उनकी किडनी को 30 लाख और लीवर को 80 लाख रूपए में बेचते थे।

Rishi
Published on: 17 Feb 2019 1:23 PM GMT
30 लाख की किडनी, 80 लाख का लीवर बेचने वाले गिरोह के 6 सदस्य गिरफ्तार
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कानपुर : पुलिस ने एक ऐसे गैंग का खुलासा किया है जो भोले भाले लोगो को गुमराह कर उनकी किडनी और लीवर बेच देते थे। इस गैंग के सदस्य डोनर को 3 से 4 लाख रूपए देते थे और उनकी किडनी को 30 लाख और लीवर को 80 लाख रूपए में बेचते थे। पुलिस की जांच में इस बात का भी खुलासा हुआ कि दिल्ली के दो बड़े हास्पिटल की मिली भगत से इसे अंजाम दिया जाता था। इस गैंग के एक सदस्य ने बताया कि अल्मोड़ा के बीजेपी विधायक सुरेन्द्र झीना के भाई महेश झीना को को भी किडनी बेची थी। पुलिस गैंग से जुड़े अन्य सदस्यों की तलाश कर रही है।

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क्या है मामला

नौबस्ता थाने और बर्रा थाने की पुलिस ने मिलकर लीवर और किडनी का व्यापार करने वाले 6 सदस्यों को गिरफ्तार किया है। इनके पास से बैंक की पासबुक, फर्जी तरीके से तैयार किए गए मरीज और डोनर के परिवारीजनों के शपथपत्र, जिलाधिकारी, उपजिलाधिकारी, बैंक और थाने की मोहरे बरामद हुई है।

एसपी साउथ रवीना त्यागी ने बताया कि इस गैंग के सदस्य आर्थिक रूप से कमजोर व्यक्ति को टारगेट करते थे। 3 से 4 लाख रूपए लालच देकर उनको किडनी या लीवर डोनेट करने के लिए तैयार करते थे। जब डोनर तैयार हो जाता था तो उसे अपने साथ दिल्ली ले जाते। जहां उनका मेडिकल चेकअप कराया जाता था। मेडिकल चेकअप कराने के बाद डोनर और मरीज के परिवारी संबंध के फर्जी कागजात तैयार करते थे। गैंग के सदस्य किडनी ट्रांसप्लांट के बाद डोनर को 3 से 4 लाख रूपए देकर संतुष्ट कर देते थे। लेकिन डोनर की किडनी को 30 लाख रूपए और लीवर के 80 लाख रूपए मरीज के परिजनों से वसूलते थे।

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उन्होंने बताया कि किडनी लीवर के व्यापार में दिल्ली के पीएसआरआई हास्पिटल फोर्टीस हास्पिटल के नाम सामने आए है। जहां गैंग के सदस्य डोनर को ले जाते थे और वहां किडनी और लीवर निकलवा कर मरीज को बेचने का काम करते थे।

पूछताछ में पता चल कि डील पीएसआरआई हास्पिटल के कोऑर्डिनेटर सुनीता व मिथुन से होती थी। वही फोर्टीस हास्पिटल में कोऑर्डिनेटर सोनिका से मिलकर इस काम को अंजाम देते थे। इस गैंग में 6 सदस्यों में गौरव मिश्रा, टी राजकुमार राव, शैलेश सक्सेना, शबूर अहमद, विक्की सिंह और शमशाद अली है। इसमें टी राजकुमार राव इस गैंग का सरगना है और यह कोलकाता का रहने वाला है। इस गैंग के सदस्य देश के कोने-कोने में फैले है।

कैसे हुआ इस गैंग का खुलासा

एक शख्स ने बर्रा पुलिस से शिकायत की थी। उस शख्स ने बताया कि एक दिन मैं शराब के ठेके में शराब पी रहा था। तभी एक शख्स से मुलाकात हुई उसने कहा कि तुम बहुत परेशान हो। यदि तुम चाहो तो ये परेशानी दूर हो सकती है। उसने प्रलोभन दिया कि मेरे साथ दिल्ली चलो। उसकी बातो में आ कर उसके साथ दिल्ली चला गया। उसने एक होटल में रुक कर मुझे शराब पिलाई और फिर अगले दिन मुझे गंगा राम हास्पिटल ले गया जहां मेरा मेडिकल चेकअप कराया। जब मैंने उससे पूछा की मेडिकल चेकअप क्यों करा रहे तो उसने कहा कि तुम्हे 4 लाख रूपए मिलेगा यदि तुम अपनी किडनी का प्रत्यर्पण कर दोगे। एक किडनी से भी इन्सान जिंदा रहता है। उसकी बाते सुनकर मै घबरा गया और किसी तरह से उसको चकमा देकर वहां से भाग निकला। कानपुर आने के बाद मैंने इसकी सूचना पुलिस को दी थी।

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गैंग के सदस्य गौरव मिश्रा ने बताया, हमने कितनी किडनी ट्रांसप्लांट करवाई है इसकी सही गिनती नहीं पता। अभी कुछ समय पहले मैंने अल्मोड़ा के बीजेपी विधायक सुरेन्द्र सिंह झीना के भाई महेश झीना की किडनी ट्रांसप्लांट कराइ है।

कैसे काम करता है गैंग

गौरव ने बताया, इस काम के लिए हम लोग ऐसी जगह को टारगेट करते है जहां पर गरीब लोग रहते है। या फिर किसी ने बैंक से लोन ले रखा है या फिर जिसको बहुत ज्यादा पैसो की जरूरत हो। उनको रुपयों का प्रलोभन देकर किडनी ट्रांसप्लांट के लिए तैयार करते है।

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आशीष शर्मा ऋषि वेब और न्यूज चैनल के मंझे हुए पत्रकार हैं। आशीष को 13 साल का अनुभव है। ऋषि ने टोटल टीवी से अपनी पत्रकारीय पारी की शुरुआत की। इसके बाद वे साधना टीवी, टीवी 100 जैसे टीवी संस्थानों में रहे। इसके बाद वे न्यूज़ पोर्टल पर्दाफाश, द न्यूज़ में स्टेट हेड के पद पर कार्यरत थे। निर्मल बाबा, राधे मां और गोपाल कांडा पर की गई इनकी स्टोरीज ने काफी चर्चा बटोरी। यूपी में बसपा सरकार के दौरान हुए पैकफेड, ओटी घोटाला को ब्रेक कर चुके हैं। अफ़्रीकी खूनी हीरों से जुडी बड़ी खबर भी आम आदमी के सामने लाए हैं। यूपी की जेलों में चलने वाले माफिया गिरोहों पर की गयी उनकी ख़बर को काफी सराहा गया। कापी एडिटिंग और रिपोर्टिंग में दक्ष ऋषि अपनी विशेष शैली के लिए जाने जाते हैं।

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