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Lucknow Crime News: संयुक्त निदेशक आई.डी.राम का परिषद में जारी है जंगलराज, दोषी सिद्ध होने के बावजूद भी नहीं हो रही है कोई कार्रवाई?
Lucknow Crime News: विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद के संयुक्त निदेशक व प्रभारी सचिव आई डी राम पर महिलायों के साथ यौन शोषण, मारपीट,महिलाओं के साथ नाजायज सम्बन्धों के जो आरोप लगाये गए गए थे।
Lucknow Crime News: विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद के संयुक्त निदेशक व प्रभारी सचिव आई डी राम पर महिलायों के साथ यौन शोषण, मारपीट,महिलाओं के साथ नाजायज सम्बन्धों के जो आरोप लगाये गए गए थे, वे अभी आरोप जाँच में सही पाए गए हैं। यह जाँच परिषद के तत्कालीन डायरेक्टर ए.एन पाठक ने की थी। लेकिन इस प्रकरण पर चोंकाने वाला पहलू तो यह है कि एक डायरेक्टर स्तर की जांच ने दोषी पाने के बावजूद भी अब तक शासन इनके खिलाफ कोई भी विधिक कार्रवाही करने से बच रहा है।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार आई डी राम की शासन स्तर पर व अपने विभाग के उच्च अधिकारियों से तगड़ी पकड़ होने के कारण ही गत फरवरी 2018 में इन्हें विज्ञान व प्रौद्योगिकी मंत्रालय का सचिव पद का चार्ज दे दिया गया। जबकि अपनी जांच में तत्कालीन महानिदेशक द्वारा यह उल्लेख किया गया था कि सयुंक्त निदेशक आई डी राम किसी भी वित्तीय व प्रशासनिक दायित्वों का निर्वाहन करने की पात्रता नही रखते हैं।
सूत्र बताते हैं कि आई डी राम की पत्नी की शिकायत पर ही यह जाँच करवाई गई थी,जिसमें वो दोषी पाए गए थे। इसके साथ ही उनकी एक विभागीय महिला सहकर्मी ने भी उन पर अपने साथ यौन उत्पीड़न व मारपीट के आरोप लगाए गए जिसकी जाँच जारी है। सूत्र बताते हैं कि इस जाँच को आई डी राम अपने पद का दुरुपयोग करते हुए प्रभावित कर रहे हैं।
संयुक्त निदेशक आई0डी0 राम तीन वर्षों से भी अधिक समय प्रभारी सचिव हैं उनकी संकीर्ण मानसिकता एवं अयोग्यता के कारण विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद, उ0प्र0 में लगभग सभी वैज्ञानिक गतिविधियाँ बन्द होने की कगार पर हैं। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद, उ0प्र0 द्वारा संचालित फैसेलिटी नेटवर्किग केन्द्र में एक टिश्यू कल्चर लैब संचालित थी जो वर्तमान में बन्द अवस्था में है। टिश्यू कल्चर लैब बन्द होने जाने के फलस्वरूप लगभग 70-80 लोग बेरोजगार हो गये हैं। टिश्यू कल्चर लैब जिस फर्म के द्वारा संचालित की जा रही थी।आई0डी0 राम, सचिव, परिषद द्वारा रू.70.00 लाख का लाभांश लेने के सन्दर्भ में उच्च अधिकारियों के अनुमोदन के बिना ही रू.35.00 लाख परिषद खाते में जमा करा दिये गये तथा वाद दाखिल कर परिषद से लाखों रूपये का शुल्क अनावश्यक व्यय किया जा रहा है। सचिव पद पर परिषद में बने रहने पर परिषद की समस्त गतिविधियां निम्न स्तर पर आ गयी हैं अथवा समाप्त हो चुकी हैं।