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मोहर्रम पर ताजिया निकालने को लेकर बवाल, भीड़ ने तोड़ी पुलिस की गाड़ियां

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Published on: 3 Oct 2017 7:10 AM GMT
मोहर्रम पर ताजिया निकालने को लेकर बवाल, भीड़ ने तोड़ी पुलिस की गाड़ियां
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संभल: यूपी के संभल में मोहर्रम पर ताजिया निकालने को लेकर बवाल काफी बढ़ गया। इस दौरान दो रोडवेज बसों में तोड-फ़ोड़ के साथ जमकर पथराव भी किया गया। पथराव में सीओ सहित लगभग आधा दर्ज़न सिपाही घायल हो गए। पुलिस के तीन वाहन भी तोड़े गए। लगभग 24 घंटे तनावपूर्ण माहौल बना रहा। संभल में ताजिया निकालने को लेकर हुआ बवाल थमने का नाम नहीं ले रहा था।

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क्या है पूरी घटना

मामला थाना असमोली के ग्राम परियावली गांव शुरू हुआ, जहां ताजिया को पुरानी परंपरा के तहत दो भाग में निकालने पर अड़े प्रशासन के आगे ताजियादार नहीं झुके और ताजिया न खोलने पर अड़ गए। सात घंटे की वार्ता के बाद अचानक नाठेर तक ताजिया निकालने तथा वहां के बाद खोलकर आगे बढऩे पर वार्ता तो हो गई, लेकिन नाठेर में एक बार फिर ताजियादार न खोलने पर अड़ गए।

मामला बढ़ गया और रात में डेढ़ बजे मौके पर पहुंचे हजारों लोगों ने पुलिस को अपने निशाने पर ले लिया। जमकर पत्थरबाजी हुई। इस पत्थरबाजी में सीओ संभल गमलेश्वर विल्टोरिया को कंधे पर पत्थर लगा, तो छह सिपाही भी घायल हो गए। घायल सिपाहियों जिला अस्पताल लाया गया। रात में ही पुलिस ने लाठियां भांजकर बवाल करने वाले लोगों को खदेड़ दिया।

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रात में तीन बजते बजते नाठेर के पास रामपुर, अमरोह, बिजनौर की पुलिस के साथ ही कई सेक्शन पीएसी, जिले के सभी थानों की फोर्स के अलावा एसपी रवि शंकर छवि, सीओ संभल, सीओ गुन्नौर, सीओ चन्दौसी व सभी एसडीएम ने भी डेरा डाल दिया। सुबह होते ही डीआईजी मुरादाबाद भी पहुंच गए। पुलिस ने सुबह ही अपने देख-रेख में संभल के ताजियादारों से वार्ता कर ताजिया निकाल ली।

दीपा सराय में ताजिया सुबह सात बजे पहुंची तो वहां ताजिये को यहां रोक लिया गया। फिर पुलिस से वहां वार्ता हुई। जब तक ताजियेदारों से वार्ता की गई, तब तक पूरे एरिए को भारी पुलिस बल तैनात हो गया और वहां अपनी मुस्तैदी दिखाई। आपको बता दें कि दीपा सराय में पहले भी बवाल हुए हैं, जिसमें पुलिस पर पथराव किया गया।

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इसी वजह से पुलिस ने मसले को बातचीत से निपटना उचित समझा। इतना सब कुछ होने के बाद भी जिला प्रशासन ताजियेदारों के आगे झुका और ताजियेदारों के आगे बात करने को राजी हो गया। दोपहर 1 बजे डॉ शफीकउर्रहमान बर्क़ ने जिला प्रशासन से बात की। जिला प्रसाशन को ताजिया की जगह वार्ता करने को बुलाने का प्रस्ताव रखा, लेकिन काफी ना नुकुर के बाद जिला प्रशासन दूसरे समुदाय के आगे झुक गया और DM आनंद कुमार और DIG ओमकार सिंह अपनी और अपने विभाग की मर्यादा को भूल कर पहुंचे और उनके साथ शामिल हुए।

इस प्रकार डीआईजी सहित जिला प्रशासन ने दूसरे समुदाय को आश्वासन दिया। ताजिये को 2:45 पर आगे बढ़ाया गया। मतलब साफ है कि दूसरे समुदाय ने रात्रि में खूब गुंडा गर्दी की और पुलिस को छकाया। लेकिन सजा के नाम पर पुलिस बैकफुट पर नज़र आई। ऐसी क्या मज़बूरी रही, जो पुलिस को इस मामले में समझौता करना पड़ा? ये बड़ा सवाल है।

इन सवालों का जबाब के लिए जब DIG सहित सभी आला अधिकारियों से संपर्क किया गया, तो कैमरे के सामने मामले पर मिटटी डालते नज़र आए और इतनी बड़ी वारदात को छोटी से बात कहकर खत्म कर दिया। पुलिस का कहना ये भी है कि बिना पुलिस बल के मामला निपट गया, ये हमारी सफलता है।

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