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यमुना एक्सप्रेस वे पर लगाईं गई होर्डिंग्स- पुर्जे टूटने की आवाज पर गाड़ी न रोकें नहीं तो ...
आगरा: आगरा से नोएडा तक जाने वाला यमुना एक्सप्रेस वे इन दिनों सुर्ख़ियों में है। रफ्तार का एक्सप्रेस वे पहले हादसों के कारण मौत का एक्सप्रेस वे बोला जाता था, लेकिन इन दिनों लूट की घटनाओं के कारण लूट एक्सप्रेस वे बोला जाता है। पिछले 6 महीने से रात में यमुना एक्सप्रेस वे पर बड़ी-बड़ी लूट की घटना हुई है, जिसके कारण अब रात में लोग इससे गुजरना नहीं चाहते हैं।
वहीं अब इन दिनों लूट से भयभीत जेपी ग्रुप ने होर्डिगों और एलईडी स्क्रीन पर सूचना चला रहे हैं कि पुर्जों के टूटने की आवाज और पत्थर से गाड़ी न रोकें, नहीं तो डकैती हो सकती है। इस सूचना से एक्सप्रेस वे आने जाने वाले यात्री भयभीत है।
पेश है यमुना एक्सप्रेस पर खास रिपोर्ट -
यमुना एक्सप्रेस वे 205 किमी लंबा है, जो आगरा से नोएडा तक जाता है। यह एक प्राइवेट एक्सप्रेस वे है, जिसे बसपा शासन कल में जेपी ग्रुप ने 13000 करोड़ की लागत से बनवाया था। 6 लेन के यमुना एक्सप्रेस पर तीन टोल बनाए गए हैं। पहले यह एक्सप्रेस वे हादसों के कारण मौत का एक्सप्रेस वे कहा जाने लगा था, लेकिन इन लूट की घटनाओं की वजह से इसका नाम अब लूट एक्सप्रेस वे हो गया है। मथुरा के सुरीर से लेकर जेवर तक बड़ी लूट की घटनाएं हो चुकी हैं, जिसके कारण अब रात में लोग इससे नहीं गुजरना चाहते हैं।
आगरा आने वाले पर्यटक भी अब भयभीत हैं। इन दिनों लूट से भयभीत जेपी ग्रुप ने होर्डिगों और एलईडी स्क्रीन पर सूचना चला रहे हैं कि पुर्जों के टूटने की आवाज और पत्थर से गाड़ी न रोकें, नहीं तो डकैती हो सकती है। इस सूचना से एक्सप्रेस वे आने जाने वाले यात्री भयभीत हैं। यात्रियों का मानना है कि एक्सप्रेस वे अथॉरिटी और पुलिस उन्हें सुरक्षा तो प्रदान नहीं कर रही बल्कि डरा रही है .
यमुना एक्सप्रेस वे पर लगातार लूट की घटनाओ के सुर्ख़ियों में है, जिसके कारण 205 किमी लंबे हाई वे की सुरक्षा पर सवाल खड़े हो गए हैं। आगरा से मथुरा के बीच में केवल हाई वे पुलिस की तीन पेट्रोलिंग गाड़ी चलती हैं। एक गाड़ी में तीन पुलिसकर्मी होते हैं। इनके पास आधुनिक हथियार भी नहीं है। ऐसे में इतने बड़े हाई वे की सुरक्षा कैसे होगी?