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Rape Statistics in India: बलात्कार के मामलों में राजस्थान अव्वल, राज्य सरकारों की कोशिशें नाकाम

Rape Statistics in India: देश मे बलात्कार की बात की जाए तो क्राइम रिपोर्ट 2019 (NCRB) के हिसाब से सबसे ज्यादा बलात्कार की घटनायें राजस्थान में हुई हैं।

AKshita Pidiha
Written By AKshita PidihaPublished By Vidushi Mishra
Published on: 5 Aug 2021 12:01 PM IST
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 रेप (कॉन्सेप्ट फोटो- सोशल मीडिया)

Rape Statistics in India: दिल्ली में हुई 9 साल की बच्ची से रेप की घटना ने एक बार फिर से राज्यों की सरकारों को कटघरे में लाकर खड़ा कर दिया है। एक तरफ कांग्रेस के नेता राहुल गांधी दिल्ली में हुए रेप पीड़ित के घर पहुँचकर घर वालों को सांत्वना देते हैं। और न्याय का आश्वासन दिलाते हैं। वहीं दिल्ली के मुख्यमंत्री भी ठीक ऐसा ही करते हैं।

साथ भी पीड़ित परिवार को 10 लाख की आर्थिक सहायता भी देते हैं। हमेशा ऐसा देखा गया है कि जब भी ऐसी कोई घटना सामने आती है तो सारे नेता अपनी - अपनी राजनीति चमकाने की कोशिश करते हैं। पर अन्य दिनों में शायद इन्हें पता भी नही होता है कि ऐसी कुछ घटनायें भी देश में होती होगी।

बहरहाल देश मे बलात्कार की बात की जाए तो क्राइम रिपोर्ट 2019 (NCRB) के हिसाब से सबसे ज्यादा बलात्कार (Rape Statistics) की घटनायें राजस्थान में हुई हैं। जबकि 2015 से 2018 के बीच बलात्कार के मामलों में मध्यप्रदेश अव्वल रहा है। सरकारों की नाकाम कोशिशें साफ दिखाई दे रहीं हैं।

2019 के आँकड़े-

राजस्थान में NCRB रिपोर्ट के अनुसार 1 दिन में 16 बलात्कार होते हैं।

2019 में राजस्थान में 5997 बलात्कार हुए।

राजस्थान के डीजीपी एमएल लाठर का तर्क है कि देश भर में बलात्कार मामलों में 37 प्रतिशत मामले झूठे पाए गए।इसलिए राजस्थान में तत्काल पंजीकरण की व्यवस्था सरकार ने लागू कर दी है। अब थानों में लगातार पंजीकरण बढ़ रहा है।

फोटो- सोशल मीडिया

राजस्थान के बाद दूसरे नम्बर पर 3065 बलात्कार के मामले उत्तरप्रदेश के थे।

इसके बाद मध्यप्रदेश तीसरे नम्बर 2485 बलात्कार मामलों के साथ था।

इसके बाद महाराष्ट्र में 2229 ,जबकि हरियाणा में 1480 मामले हुए।

राजस्थान में लॉकडाउन में और खराब हुई स्थिति-

Lockdown में 30 प्रतिशत अपराध और बढ़ गये।पिछली जून के महीने में ही कुल 561 मामले दर्ज हुए।इस साल 3022 मामले आ चुके हैं ।जिसमे की 761 मामलों को पुलिस ने झूठा करार दे दिया है।पिछले तीन सालों में अनुसूचित जाति और जनजाति के खिलाफ सर्वाधिक मामले दर्ज हुए हैं।

2021 में अकेले अनुसूचित जाति के खिलाफ 276 मामले दर्ज गए हैं।जबकि 76 अनुसूचित जनजाति के खिलाफ। इसी तरह 2020 और 2019 में अनुसूचित जाति के खिलाफ क्रमशः 223 और 274 मामले अपराध के हुए हैं। साथ ही अनुसूचित जनजाति के खिलाफ 2020 और 2019 में क्रमशः60 और 51 मामले सामने आए हैं।

NCRB रिपोर्ट के अनुसार एक साल में देश मे कुल 30868 मामलें दर्ज हुए जो बलात्कार के थे।जिसमें 94 प्रतिशत मामले परिचितों के खिलाफ थे।अब ये कहना गलत नही होगा कि अपराध की शुरुआत घर से ही होती है।अब महिलायें ,बच्चियाँ, लडकियां घर में ही महफूज नहीं हैं।

फोटो- सोशल मीडिया

बीते महीनों में राजस्थान में कुछ त्वरित न्याय के फैसले भी खबरों में आये जिसमे पुलिस की ततपरता के करना आरोपी को तुरंत पकड़ लिया गया और चालान जारी करते हुए उसे कोर्ट में पेश किया जिससे पीड़िता को जल्दी न्याय मिला।

राजस्थान हुआ शर्मशार

ऐसे कई मामले हुए जिसने राजस्थान को शर्मशार किया है।अलवर गैंगरेप हो या बारां का गैंगरेप या फिर अन्य किसी जिले में। सभी भी राजनेताओं ने अपनी- अपनी राजनीति चमकाने की कोशिश की है। राजस्थान में विपक्ष इन दिनों हमलावर हो गया है। राजवर्धन सिंह राठौर ,सतीश पूनिया ,अर्जुन राम मेघवाल जैसे कई नेताओं ने सरकार के खिलाफ प्रदर्शन में साथ दिया।

देश मे करले मामले ऐसे भी आते हैं जिसमें एक पीड़िता को अपने और अपने घरवालों की गरिमा के लिए ,उनकी सुरक्षा के लिए अपने स्वाभिमान के साथ सौदा करना पड़ता है।जैसा कि पिछले सप्ताह केरल के एक मामले में हुआ ।

जिसमें पीड़ित और उसके घर वालों को इतना प्रताड़ित किया गया की उसे अपने बयान बदलकर ये बोलना पड़ गया कि वो उस आरोपी से शादी करने को तैयार है। हालांकि हाई कोर्ट ने इस दलील को खारिज कर दिया है।

जरूरी है सरकार राजनीति छोर कर कानून व्यवस्था को दुरस्त करे ताकि आने वाले समय में मामलों में कमी देखने को मिले।



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Vidushi Mishra

Vidushi Mishra

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