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Sexual Assault Case: तहलका के पूर्व संपादक बरी, दुष्कर्म मामले में गोवा कोर्ट ने सुनाया फैसला
Sexual Assault Case: तहलका पत्रिका के पूर्व संवादक तरुण तेजपाल को गोवा कोर्ट ने यौन शोषण मामले में सभी आरोपों से बरी कर दिया है।
Sexual Assault Case: तहलका पत्रिका के पूर्व संवादक तरुण तेजपाल को बड़ी राहत मिली है। गोवा कोर्ट ने उन्हें यौन शोषण मामले में सभी आरोपों से बरी कर दिया है। साढे़ सात साल पहले जूनियर पत्रकार ने तरुण तेजपाल पर दुष्कर्म का आरोप लगाया था। मामला गोवा की अदालत में था, जहां आज जज क्षमा जोशी ने फैसला सुनाते हुए आरोपों से बरी कर दिया।
मामला पत्रकार तरुण तेजपाल से जुड़ा हुआ है। तहलका पत्रिका के सम्पादक रह चुके तरुण तेजपाल को आज आठ साल पुराने दुष्कर्म मामले में आज बड़ी राहत मिली। गोवा की सेशन कोर्ट ने तरुण तेजपाल को बरी कर दिया। शुक्रवार को गोवा की जिला अदालत में जज क्षमा जोशी में फैसला सुनाया। इसके पहले इससे पहले बुधवार को हुई सुनवाई में जज ने फैसला सुरक्षित कर लिया था और 21 मई की तारीख दी थी। सरकारी वकील फ्रैंसिस टावोरा के अनुसार, अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश ने कहा कि बिजली नहीं होने के कारण बुधवार को फैसला नहीं सुना सकी थीं।
पत्रकार तरुण तेजपाल पर आरोप
तरुण तेजपाल पर साल 2013 में एक होटल की लिफ्ट के भीतर अपनी महिला सहयोगी से यौन उत्पीड़न का आरोप लगा था। उनकी सहकर्मी ने केस दर्ज कराते हुए आरोप लगाया था कि गोवा में तहलका पत्रिका के एक इवेंट के दौरान उस रात महिला सहकर्मी जब गेस्ट को उसके कमरे तक छोड़ कर वापस लौट रही थी, तभी होटल के ब्लॉक 7 की एक लिफ्ट के सामने उसे तरुण तेजपाल मिले। तेजपाल ने अचानक उस महिला का लिफ्ट के अंदर खींच लिया।
सरकर्मी ने अपने बयान में बताया कि जब तक मैं समझ पाती तेजपाल ने उन्हें लिफ्ट के अंदर खींच कर कई बटन दबा दिए, जिसकी वजह से लिफ्ट कहीं नहीं रुकी और न ही खुली। बंद लिफ्ट में तेजपाल ने महिला संग दुष्कर्म किया. ऐसा आरोप लगाया गया। हालांकि तरुण तेजपाल पर केस दर्ज हुआ और मामला सुर्खियों में आया तो उनका काफी नाम बदनाम हो गया।
इसके बाद तरुण तेजपाल के खिलाफ गोवा पुलिस ने नवंबर 2013 में केस दर्ज किया। पुलिस ने तरुण तेजपाल को गिरफ्तार भी किया और साल 2014 मई में उन्हे जमानत मिल सकी। पुलिस ने उनके खिलाफ 2846 पन्नों की चार्जशीट दायर की थी। उनपर आईपीसी की धारा 342, 342, 354, 354-ए, 376 (2) और 376 (2) (के) के तहत मुकदमा चला।