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पशु तस्करों के ट्रक से सिपाही की मौत पर सवाल, कोतवाल महेश पांडेय सस्पेंड
सदर कोतवाली क्षेत्र में तैनात सिपाही की रविवार (12 फरवरी) रात हुई मौत पर पुलिस विभाग ही संदेह के घेरे में आ गया है। हालांकि एसएसपी ने तथ्य छिपाने और अधिकारियों को गुमराह करने के आरोप में कोतवाल महेश पांडेय को सस्पेंड कर दिया है और मामला दर्ज कर जांच के आदेश दिए हैं लेकिन कुछ सवालों के जवाब पुलिस अधिकारियों को देना मुश्किल पड़ रहा है।
फाइल फोटो: मृतक सिपाही बैजनाथ यादव (इनसेट में)
फतेहपुर: सदर कोतवाली क्षेत्र में तैनात सिपाही की रविवार (12 फरवरी) रात हुई मौत पर पुलिस विभाग ही संदेह के घेरे में आ गया है। हालांकि एसएसपी ने तथ्य छिपाने और अधिकारियों को गुमराह करने के आरोप में कोतवाल महेश पांडेय को सस्पेंड कर दिया है और मामला दर्ज कर जांच के आदेश दिए हैं लेकिन कुछ सवालों के जवाब पुलिस अधिकारियों को देना मुश्किल पड़ रहा है।
प्रथम दृष्टया कोतवाली पुलिस द्वारा बताई गई कहानी के अनुसार पीरनपुर में किसी मारपीट की सूचना पर दो सिपाही निकले थे जिसमें एक को बोलेरो ने टक्कर मार दी जिससे उसकी मौत हो गई लेकिन ये कहानी मनगढ़ंत ज्यादा प्रतीत होती है क्योंकि न तो घटना स्थल पर खून के निशान हैं और न घटनास्थल का कोई चश्मदीद।
जबकि सूत्र बताते हैं कि शुक्रवार और रविवार की रात को लखनऊ बाईपास पर पशुओं की गाड़ी की एंट्री होती है जो कोतवाली की अवैध कमाई का एक प्रमुख हिस्सा भी है। जिसमें कोतवाल के हमराही तीन सिपाही पुलिस जीप के साथ तैनात रहते थे।
रविवार की रात वसूली करते समय एक ट्रक रुकने के बजाए जब मृतक सिपाही बैजनाथ यादव को टक्कर मारते हुए निकल गया और मौके पर ही उसकी दर्दनाक मौत हो गई।
साथी सिपाहियों ने लिखी मनगढंत स्क्रिप्ट, पूछताछ से खुल सकता है राज
सूत्र बताते हैं कि अचानक ट्रक की टक्कर से साथी सिपाही की दर्दनाक मौत से दोनों सिपाही घबरा गए और मनगढंत स्क्रिप्ट के साथ भाग कर कोतवाली में वाकया बताया। दोनों सिपाहियों से पूछताछ से ही घटना का राज खुल सकता है। वास्तविक घटना सामने आ सकती है। हालांकि सुनने में तो यह भी आया है कि एक चर्चित सिपाही काली कमाई के मामले में कोतवाली से मृतक सिपाही को अक्सर दबाव डालकर अपने साथ ले जाया करता था।
वास्तविक घटनास्थल की हुई पहचान, जल्द ही हटेगा कहानी से पर्दा
साथी सिपाही और कोतवाली पुलिस द्वारा बताई जा रही कहानी का बार-बार बदलना, अस्पताल में रिक्से वाले द्वारा भर्ती कराना गलत साबित होना, ये सब किसी नई कहानी की ओर इशारा करते हैं। विभागीय सूत्रों की माने तो उच्चाधिकारियों द्वारा वास्तविक घटनास्थल की पहचान भी कर ली गई है जहां पर भारी मात्रा में ताजा खून चीख-चीखकर किसी अनहोनी की ओर इशारा कर रहा है। हालांकि नवागन्तुक एसएसपी ने घटना की जांच के आदेश भी दे दिए हैं। मौके पर फारेंसिक टीम जल्द ही जांच करके अपनी रिपोर्ट सौंपेगी।
बड़ा सवाल- क्या रुक पायेगी जिले से पशु तस्करी?
पुलिस के लिए एक बड़ा सवाल और चुनौती भी है कि पशु तस्करी रुक पाएगी या फिर चार दिन बाद चंद रुपयों के लिए साथी की मौत को भुला दिया जाएगा। हालांकि ये भी देखा गया है कि एनएच-2 पर स्थित थानों पर ज्यादातर वसूली के आरोप लगते रहे हैं। जो समय-समय पर सही भी पाए गए हैं, लेकिन आज फिर एक सिपाही की मौत जिम्मेदारों के आगे बड़ा प्रश्नचिन्ह खड़ा कर गई है कि पैसा बड़ा या जिंदगी ?