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जब स्कूल के सामने खुली हो मधुशाला, तो कैसे चलेगी बच्चों की पाठशाला?

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Published on: 14 Sep 2017 11:08 AM GMT
जब स्कूल के सामने खुली हो मधुशाला, तो कैसे चलेगी बच्चों की पाठशाला?
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हरदोई: सूबे के कई जिलों में निजी स्कूल के बच्चों की सुरक्षा को लेकर अलर्ट जारी कर दिए गए हैं। हालांकि अभी भी तमाम स्कूलों में इस ओर विशेष सजगता नहीं है। मगर निजी क्षेत्र के बड़े स्कूलों ने अलर्ट करते हुए कर्मचारियों से लेकर बसों की मॉनिटरिंग तेज की है। उधर प्रशासन की लापरवाही के चलते शहर में तीन स्कूलों के आसपास 3 शराब के ठेके खुल गए हैं। इससे स्कूल आने-जाने वाले बच्चों और अभिवावकों के साथ शिक्षकों को भी दिक्कतें होती हैं।

लोगों का कहना है कि इन शराब के ठेकों पर शराब पीने के बाद लोग गाली-गलौज और कई तरह की आपत्तिजनक हरकत कर देते हैं। इनको मना करने पर ये लोग लड़ने-झगडने तक को तैयार हो जाते हैं। शराब के ठेकों के चलते स्कूल के आस पास बच्चों और टीचरों का निकलना या बैठना दूभर हो गया है। नियम अनुसार किसी भी स्कूल या धार्मिक स्थल के 100 मीटर के दायरे में शराब की दुकान नहीं होनी चाहिए।

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हरदोई शहर के नघेटा रोड पर स्थित सेंट एक्सवियर मांटेसरी हाउस ऑफ चिल्ड्रेन स्कूल, आर आर इंटर कॉलेज, बाल विघा भवन स्कूल में बच्चों की सुरक्षा व्यवस्था काफी हद तक बढ़ दी गई है। स्कूल प्रशासन का कहना है कि बच्चों के साथ होने वाली अनहोनी घटनाओं पर कुछ हद तक रोकथाम करने के लिए ऐसा किया गया है।

सेंट एक्सवियर स्कूल प्रशासन की ओर से बच्चों के आई कार्ड जारी कर दिए गए हैं। एक आई कार्ड बच्चों के अभिभावकों के पास दूसरा आई कार्ड बच्चों के पास रहता है। स्कूल पहुंचने वाले अभिभावक जब वो आई कार्ड स्कूल प्रशासन के लोगों को दिखाते हैं और अपने बच्चे को ले जाते हैं।

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पुलिस प्रशासन की ओर से भी सुरक्षा व्यवस्था को लेकर खास इंतजाम किए गए हैं। सूचना मिलते तत्काल सम्बंधित थाने की पुलिस फोर्स तत्काल मौके पर पहुंचती है। नघेटा रोड पर इन तीनों के स्कूलों के पास प्रशासन में 3 शराब के ठेकों को खोलने की अनुमति देकर वहां पर शराब बिक्री का संचालन शुरू कर दिया है।

इससे वहां आए दिन शराब पीने के बाद लोग आपत्तिजनक स्थिति पैदा करते रहते हैं। अगर कोई इनको मना करता है तो मामला मारपीट और लड़ाई झगड़े तक पहुंच जाता है। स्कूली बच्चों ने इन वाइन की दुकानों को हटवाने के लिए कई बार धरना प्रदर्शन भी किया। मगर उसके बाद भी चैन की बांसुरी बजा रहे जिला प्रशासन की आंखें नहीं खुली।

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