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Mahashivratri 2022 Mendhak Mandir: यूपी में भगवान शिव का अनोखा मेंढक मंदिर, जहां पर रंग बदलता है शिवलिंग, मनमोहनी यहां की शैली

Mendhak Mandir: भारत में सिर्फ एक मेंढक मंदिर है जोकि यूपी के लखीमपुर ज‍िले के ओयल में है। यहां पर मेंढक की पूजा की जाती है।

Vidushi Mishra
Written By Vidushi Mishra
Published on: 1 March 2022 4:27 PM IST (Updated on: 1 March 2022 4:35 PM IST)
frog temple
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मेंढक मंदिर (Photo By- Swapnil Rastogi)

Mendhak Mandir: भारत अद्भुत संस्कृतियों का देश है। इन्ही संस्कृतियों में कई ऐसे मंदिर भी हैं, जिनके बारे में जानकर आपको बेहद हैरानी होगी। ऐसा ही एक अनोखा मंदिर है उत्तर प्रदेश के लखीमपुर में। इस जिले के ओयल में पूरे भारत का एकमात्र अद्भुत मंदिर है जहां पर मेंढक की पूजा की जाती है। इस चमत्कारी मंदिर में भगवान शिव मेंढक की पीठ पर विराजे हुए हैं।

भारत में सिर्फ एक मेंढक मंदिर (frog temple) है जोकि यूपी के लखीमपुर ज‍िले के ओयल में है। यहां पर मेंढक की पूजा की जाती है। इस मंदिर (frog temple) के बारे में बताया जाता है कि ये मंदिर(Mendhak Mandir) मांडूक तंत्र विद्या पर आधारित है। इस मंदिर(Mendhak Mandir)में भगवान शिव मेंढक की पीठ पर विराजमान हैं।


रंग बदलता है शिवलिंग

बताया जाता है कि लगभग 200 साल पुराने इस मेंढक मंदिर (Mendhak Mandir) का निर्माण देश को सूखे और बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदाओं से बचाने के लिए करवाया गया था। इस मेंढक मंद‍िर के श‍िवल‍िंग की सबसे खास बात ये है कि ये श‍िवल‍िंग का रंग बदलता है। साथ ही इस मंदिर में खड़ी नंदी की मूर्ति है। ये अद्भुत नजारा पूरे भारत में कहीं देखने को नहीं मिलेगा।


इस मेंढक मंदिर(Mendhak Mandir) की दीवारों पर तांत्रिक देवी-देवताओं की कई मूर्तियां बनी हुई हैं। साथ ही मंदिर के अंदर तमाम विचित्र चित्र भी लगे हुए हैं। ये सभी मंदिर की शान को बढ़ा देते हैं। यहां पर मंदिर(frog temple) के सामने ही मेंढक की बड़ी सी मूर्ति बनी है जोकि दूर से ही आने वाले भक्तों को नजर आ जाती है। ये भगवान शिव का पवित्र स्थल है। जोकि एक गुंबद के साथ चौकोर आकार में बना हुआ है।


मनमोहनी है यहां की विशेष शैली

इतिहास पर नजर डालें तो इस मेंढक मंदिर(Mendhak Mandir) को ओयल शासकों ने स्थापित करवाया था। यहां के पीठासीन भगवान शिव हैं इसलिए इस मंदिर को यूपी के नर्मदेश्वर मंदिर (Narmadeshwar Temple) ने नाम से भी जाना जाता है। ये भी कहा जाता है कि इस जगह पर ओयल शैव संप्रदाय का प्रमुख केंद्र था और यहां के शासक भगवान शिव के उपासक थे।

जिस क्षेत्र में मेंढक मंदिर(Mendhak Mandir) वो क्षेत्र 11वीं सदी से 19वीं सदी तक चाहमान शासकों के आधीन रहा हुआ करता था। जिसके चलते चाहमान वंश के राजा बख्श सिंह ने ही इस अनोखे-अद्भुत मेंढक मंदिर(frog temple) का निर्माण कराया था।


इस मंदिर की बनावट और नक्काशियों के बारे में ऐसा कहा जाता है कि इस मंदिर(Mendhak Mandir) की वास्तु परिकल्पना कपिला के एक महान तांत्रिक ने की थी। जिसकी वजह से तंत्रवाद पर आधारित इस मंदिर(frog temple) की वास्तु संरचना अपनी विशेष शैली होने से लोगों का मनमोह लेती है।

अनोखी खासियत रखने वाले इस मेंढक मंदिर(Mendhak Mandir) में वैसे तो हर रोज हजारों की तादात में भक्त दर्शन करने आते हैं। लेकिन दीवाली और महाशिवरात्रि के दिन यहां की रौनक ही बदल जाती है। ऐसा कहा जाता है कि इस मंदिर में श्रद्धा-भाव से पूजा-अर्चना करने वाले भक्त की मनोकामना पूरी होती है।



Vidushi Mishra

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