×

डिग्रियां बांटने वाले कॉलेजों पर कसेगी नकेल, स्नातक के हर छात्र को करना होगा शिक्षण कार्य

केंद्र सरकार जल्दी ही एक ऐसा प्राविधान लाने वाली है जिससे स्नातक की डिग्री पाने में वास्तव में मेहनत करनी पड़ेगी। यह प्रावधान उन लोगो को बहुत भारी पड़ने वाला है जो केवल प्रवेश लेकर परीक्षा में बैठकर पास हो जाया करते थे।

priyankajoshi
Published on: 21 Jan 2018 8:29 AM GMT
डिग्रियां बांटने वाले कॉलेजों पर कसेगी नकेल, स्नातक के हर छात्र को करना होगा शिक्षण कार्य
X

लखनऊ: केंद्र सरकार जल्दी ही एक ऐसा प्राविधान लाने वाली है जिससे स्नातक की डिग्री पाने में वास्तव में मेहनत करनी पड़ेगी। यह प्रावधान उन लोगो को बहुत भारी पड़ने वाला है जो केवल प्रवेश लेकर परीक्षा में बैठकर पास हो जाया करते थे।

ऐसी डिग्रियां बांटने वाले महाविद्यालयों और विश्वविद्यालयों के लिए भी कठिनाई बढ़ने वाली है। अब केवल वे छात्र ही ग्रेजुएशन की उपाधि पाने के हकदार होंगे, जिन्होंने पढ़ाई के साथ साथ काम से काम तीन माह तक प्रतिवर्ष एक शिक्षक के रूप में बच्चों को पढ़ाया भी है। अभी तक यह व्यवस्था केवल बीएड के छात्रों के लिए अनिवार्य होती थी।

सत्र बता रहे हैं कि इस तरह का मसौदा केंद्र सरकार तैयार कर चुकी है जिसे इसी बजट में लाया जा सकता है। सरकार के पास जो आंकड़े हैं। उनके मुताबिक़ देश में इस समय लगभग आठ सौ विश्वविद्यालय और 94 केंद्रीय विश्वविद्यालय संचालित हो रहे हैं। इन परिसरों के अलावा लगभग चार हजार कालेजों में भी ग्रेजुएशन तैयार हो रहे हैं। इसी तरह 76 कृषि विश्वविद्यालय और एक हजार एग्रीकल्चर कॉलेजों में अंजर ग्रेजुएट (यूजी) के छात्र दाखिला प्राप्त करते हैं। इस तरह देश में सालाना पौने तीन करोड़ से अधिक छात्र यूजी में प्रवेश लेते हैं। इनमें साढ़े तीन लाख इंजीनियरिंग के छात्र होते हैं।

सरकार का मानना है कि अधिकांश महाविद्यालय केवल प्रवेश और परीक्षा का व्यवसाय कर रहे हैं। इन महाविद्यालयों में न तो शिक्षण का कार्य हो रहा है और न ही इनके छात्रों को पढ़ने में कोई रुचि है। केवल डिग्रियां बांटने के इस धंधे पर लगाम बहुत जरुरी है। सरकार को यह भी पता है कि यूजी और पीजी की उपाधियां पाने वाले बहुत से छात्र इस योग्यता के काबिल ही नहीं निकल रहे। ये केवल साक्षर संख्या में इजाफा करते हैं और शिक्षा की गुणवत्ता को प्रभावित करते हैं। स्नातक कक्षाओं में प्रवेश लेने वाले हर छात्रा को जब पढ़ाने की अनिवार्यता होगी तो उसकी खुद की शैक्षिक स्थिति में भी सुधार होगा। इससे उन छात्रों को बहुत सहूलियत होगी जो वास्तव में शिक्षा के क्षेत्र में काम करना चाहते है।

इसी क्रम में सरकारी आंकड़े गवाही दे रहे हैं कि प्राथमिक विद्यालयों में कुल पौने चार लाख शिक्षकों की कमी है, जिससे शिक्षण कार्य प्रभावित हो रहा है। देश में अभिभावक शिक्षक का अनुपात (पीटीआर) में भारी असंतुलन है। अमेरिका और चीन जैसे देशों में पीटीआर 14 और 19 है, जबकि भारत में यह 43 है। इसमें उत्तर प्रदेश और बिहार की हालत सबसे पस्त है, जहां का पीटीआर 79 और 76 है।

सरकारी सूत्रों का कहना है कि उच्च शिक्षा के पाठ्यक्रमों में पढ़ने के साथ पढ़ाने का प्रावधान शामिल करने के अच्छे नतीजे की उम्मीद की जा रही है। सराकर उच्चपदस्थ सत्र बता रहे हैं कि केंद्रीय मानव संसाधन मंत्रालय ने यह प्रारूप तैयार कर लिया है।

priyankajoshi

priyankajoshi

इन्होंने पत्रकारीय जीवन की शुरुआत नई दिल्ली में एनडीटीवी से की। इसके अलावा हिंदुस्तान लखनऊ में भी इटर्नशिप किया। वर्तमान में वेब पोर्टल न्यूज़ ट्रैक में दो साल से उप संपादक के पद पर कार्यरत है।

Next Story