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UP Election 2022: सातवें और आखिरी चरण में है बसपा को हैं बड़ी उम्मीदें

UP Election 2022: सातवें चरण में भाजपा, सपा और कांग्रेस समेत अन्य दलों के नेताओं ने अपना पूरा जोर दिया है। वहीं, अंतिम चरण के चुनाव से बसपा को काफी उम्मीदें हैं।

Shreedhar Agnihotri
Written By Shreedhar AgnihotriPublished By Deepak Kumar
Published on: 4 March 2022 4:06 PM IST
UP Assembly Election 2022
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यूपी विधानसभा चुनाव 2022 (प्रतीकात्मक तस्वीर)

UP Election 2022: यूपी विधानसभा चुनाव (UP Assembly Election 20220) के सातवें द्वार को पार करने के लिए भाजपा (BJP), सपा (SP), बसपा (BSP) और कांग्रेस (Congress) समेत अन्य दलों के नेताओं ने अपना पूरा जोर लगा रखा है। जहां इस चुनाव में भाजपा (BJP) और सपा (SP) को मुख्य मुकाबले में कहा जा रहा है। वहीं, कांग्रेस (Congress) भी अपने पुराने गढ़ों को बचाए रखने की पूरी कोशिश में है। लेकिन बसपा (BSP) एक ऐसा दल है जिसके बार में राजनीतिक पंडितों की भविष्यवाणियां कई बार गलत साबित हुई हैं। इस सातवें और अंतिम चरण क चुनाव में बसपा को भी अन्य चरणों के हुए चुनावों के बाद इसमें काफी उम्मीदें हैं।

पिछले चुनावों में 29 सीटों पर भाजपा

यदि पिछले चुनाव की बात करें तो पश्चिमी यूपी (Western UP) के बाद पार्टी केा पूर्वांचलके इन्ही 9 जिलों की 54 सीटों पर अच्छा खासा प्रदर्शन देखने को मिला था। इसमें 29 सीटों पर भाजपा 11 पर सपा तथा छह विधानसभा सीटों सगडी, मुबारकपुर, दीदारगंज, लालगंज, मऊ और मुंगरा बादशाहपुर में उसे सफलता मिली थी। लेकिन इस चुनाव में उनके कई नेताओं ने बसपा छोड दिया है। वहीं दूसरे दलों के नेतााओं नेभी बसपा में शामिल होकर उसे ताकत देने का काम किया है।

पिछले बार सपा सरकार (SP Government) के दौरान मंत्री रही शादाबा फातिमा इस बार गाजीपुर की जहूराबाद सीट (Zahoorabad seat of Ghazipur) से प्रत्याशी है, जहां सपा-सुभासपा गठबंधन से ओमप्रकाश राजभर (Omprakash Rajbhar) प्रत्याशी हैं। भाजपा से यहां पर कालीचरण राजभर (Kalicharan Rajbhar) प्रत्याशी है। जो दो बार बसपा से विधायक रह चुके हैं। इससे पहले भी शादाब फातिमा ने 2012 में ओमप्रकाश राजभर को हराया था। लेकिन इस चुनाव में जातियों पर आधारित पूर्वाचंल के छोटे दलों से बसपा को नुकसान हो सकता है।

जातिगत और क्षेत्रीय आधार पर खूब दल पनपे

अगर इन राजनीतिक दलों पर गौर करें तो सबसे अधिक छोटे दलों की उपजाऊ जमीन पूर्वांचल का क्षेत्र रहा है। यहां जातिगत और क्षेत्रीय आधार पर खूब दल पनपे हैं। यही कारण है कि मुख्य दलों में बसपा को छोड़कर, भाजपा, समाजवादी पार्टी और कांग्रेस ने छोटे दलों को मिलाने का काम किया हैं। मायावती (Mayawati) पहले ही अकेले चुनाव लडने की बात कह चुकी थी। जबकि कमजोर पड़ चुकी कांग्रेस (Congress) छोटे दलों को अपनी पार्टी में मिलाकर खुद को मजबूत करने का काम किया है। हाल ही में राष्ट्रवादी जन समाज पार्टी (Nationalist Jan Samaj Party) ने अपने दल का कांग्रेस (Congress) में विलय कर प्राथमिक सदस्यता ग्रहण कर ली।

उत्तर प्रदेश में भाजपा (BJP In Uttar Pradesh) को 2017 में लोगों की सेवा का अवसर मिला और सबसे बड़ा काम हुआ कि आम जीवन को भयभीत कर विकास में बाधक बना माफिया अब नेस्तानाबूत हो चुके है। अपराधी एवं गुंडा तत्व जेल की सलाखों के पीछे है। प्रदेश में सड़कों का जाल विछ रहा है। पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे और गंगा एक्सप्रेस-वे जैसी सड़कों की सौगात मिली है। पूर्वांचल में भाजपा ने चुनाव को लेकर अपने कार्यकाल में विकास कार्य भी खूब किए हैं। अब चुनावों मे वह उसे भुनाने के प्रयास में है।

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Deepak Kumar

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