×

TRENDING TAGS :

Aaj Ka Rashifal

गुजरात में फिर मोदी के दम पर ही चुनाव लड़ेगी भाजपा, भूपेंद्र पटेल की ताजपोशी से मिले साफ संकेत

गुजरात में नए मुख्यमंत्री के रूप में भूपेंद्र पटेल के नाम के एलान के बाद अब यह तय माना जा रहा है कि भाजपा अगले साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम के सहारे ही चुनावी वैतरणी पार करने की कोशिश करेगी।

Anshuman Tiwari
Report Anshuman TiwariPublished By Deepak Kumar
Published on: 13 Sept 2021 1:41 PM IST (Updated on: 14 Sept 2021 10:56 AM IST)
Gujarat assembly elections with the help of Prime Minister Narendra Modis name
X

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी। (Social Media)

नई दिल्ली। गुजरात में नए मुख्यमंत्री के रूप में भूपेंद्र पटेल के नाम के एलान के बाद अब यह तय माना जा रहा है कि भाजपा अगले साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम के सहारे ही चुनावी वैतरणी पार करने की कोशिश करेगी। गुजरात में मुख्यमंत्री पद की रेस में कई प्रमुख नेताओं के नाम शामिल थे । मगर भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने लो प्रोफाइल रहने वाले भूपेंद्र पटेल के नाम पर मुहर लगाकर आने वाले दिनों की सियासत के बारे में साफ संकेत दे दिया है।

सियासी जानकारों का मानना है कि 2017 के विधानसभा चुनाव में पहली बार विधायक बनने वाले भूपेंद्र पटेल की नेतृत्व क्षमता का अभी परीक्षण होना बाकी है। वे मंत्री बने बिना सीधे मुख्यमंत्री पद तक पहुंचे हैं। गुजरात भाजपा में वे कभी पहली तो छोड़िए,दूसरी और तीसरी पंक्ति के भी नेता नहीं रहे। ऐसे में उनसे 15 महीने के कार्यकाल के दौरान किसी करिश्मे की उम्मीद करना बेमानी ही है। माना जा रहा है कि भाजपा के शीर्ष नेतृत्व की सोच है कि एक गैर विवादित चेहरे को मुख्यमंत्री के रूप में सामने रखकर मोदी और शाह की जोड़ी गुजरात में एक बार फिर भाजपा को जीत दिला सकती है।


भाजपा नेता भी हैरान मगर बोलने को तैयार नहीं

चुनाव सिर पर होने के बावजूद मुख्यमंत्री के रूप में भूपेंद्र पटेल का चयन भाजपा ही नहीं विपक्ष को भी हैरान करने वाला फैसला है। गुजरात भाजपा के वरिष्ठ नेता भी पार्टी नेतृत्व के इस फैसले पर हैरान हैं मगर कोई भी इस मुद्दे पर खुलकर बोलने को तैयार नहीं है। वैसे भाजपा नेताओं का मानना है कि 2017 के विधानसभा चुनाव के दौरान मुख्यमंत्री विजय रुपाणी जरूर थे मगर चुनाव पूरी तरह मोदी के चेहरे पर भी लड़ा गया था।

पिछले विधानसभा चुनाव के दौरान भाजपा का कांग्रेस के साथ कांटे का मुकाबला था । कांग्रेस भाजपा को पटखनी देने के प्रति काफी आशान्वित थी मगर आखिरकार भाजपा एक बार फिर सत्ता पर काबिज रहने में कामयाब हुई थी। भाजपा की जीत को प्रधानमंत्री मोदी का करिश्मा माना गया था। हालांकि पीएम मोदी के साथ अमित शाह ने भी भाजपा को जीत दिलाने में बड़ी भूमिका निभाई थी।


फिर दोहराई जाएगी 2017 की कहानी

नए मुख्यमंत्री के रूप में भूपेंद्र पटेल के नाम के एलान के बाद अब यह तय माना जा रहा है कि 2022 में भी 2017 वाली कहानी ही दोहराई जाएगी। मुख्यमंत्री के रूप में भूपेंद्र पटेल तो जरूर सामने होंगे मगर भाजपा मोदी और शाह के करिश्मे पर ही पूरी तरह निर्भर होगी। गुजरात में विधानसभा के पिछले तीन चुनावों के दौरान भाजपा की सीटों की संख्या लगातार कम कम हुई है जबकि दूसरी ओर कांग्रेस लगातार मजबूत हुई है।

अगले विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस एक बार फिर कमर कस रही है। हालांकि गुजरात के कद्दावर नेता अहमद पटेल के निधन से कांग्रेस को बड़ा धक्का लगा है। गुजरात में जिस तरह भाजपा की नैया पार लगाने में मोदी और शाह की प्रमुख भूमिका मानी जाती है। वैसे ही कांग्रेस की रणनीति बनाने में अहमद पटेल प्रमुख भूमिका निभाया करते थे। कांग्रेस अभी तक अहमद पटेल का विकल्प खोजने में नाकाम रही है। ऐसे में यह देखने वाली बात होगी कि अहमद पटेल के बिना कांग्रेस किस रणनीति से भाजपा का मुकाबला करती है।


मोदी और शाह की जोड़ी बनेगी ट्रंप कार्ड

नए सीएम के रूप में भूपेंद्र पटेल का चयन हर किसी को आश्चर्यचकित करने वाला फैसला था मगर मोदी और शाह की जोड़ी हमेशा अपने फैसलों से मीडिया और अपनी ही पार्टी के लोगों को हैरान करती रही है। भूपेंद्र पटेल का मामला भी इसका अपवाद नहीं है।

भूपेंद्र पटेल के नाम के बारे में किसी ने दूर-दूर तक सोचा भी नहीं था क्योंकि 2017 के चुनाव में वे पहली बार विधायक बने। उन्हें काफी लो प्रोफाइल नेता माना जाता रहा है। हालांकि यह भी सच्चाई है कि 2017 में उन्होंने सबसे ज्यादा मतों से जीतने वाले विधायक का कीर्तिमान स्थापित किया था। वे आज तक मंत्री भी नहीं बने थे। अब सीधे गुजरात के मुख्यमंत्री बनेंगे। इसलिए जब केंद्रीय पर्यवेक्षक नरेंद्र सिंह तोमर की ओर से भूपेंद्र पटेल के नाम का एलान किया गया तो बैठक में मौजूद भाजपा विधायक भी चौंक से गए। पार्टी को भूपेंद्र पटेल से किसी बड़े करिश्मा की उम्मीद नहीं है क्योंकि पार्टी का मानना है कि मोदी और शाह की जोड़ी ही गुजरात में ट्रंप कार्ड बनेगी।


गुजरात में दांव पर होगी बड़े नेताओं की प्रतिष्ठा

मुख्यमंत्री पद से विजय रुपाणी के इस्तीफे पर लोगों को ज्यादा हैरानी नहीं हुई थी क्योंकि पहले से ही इस बात के कयास लगाए जा रहे थे। वैसे रुपाणी की विदाई के बाद हर किसी को इस बात का भी इंतजार था कि आखिर वह कौन सा चेहरा होगा जिसे भाजपा नेतृत्व मुख्यमंत्री की कुर्सी सौंपेगा। राज्य में अगले साल विधानसभा चुनाव भी होने हैं। संघ नेतृत्व के साथ ही गुजरात का चुनाव प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की प्रतिष्ठा से भी जुड़ा हुआ है।

ऐसे में भूपेंद्र पटेल के नाम पर मंजूरी चौंकाने वाला फैसला माना जा रहा है मगर पीएम मोदी के लिए यह कोई नई बात नहीं है। वे पहले भी कई मौकों पर मीडिया और भाजपा के लोगों को अपने फैसले पर से चौंकाते रहे हैं। भूपेंद्र पटेल के नाम के एलान के बाद लोगों को वैसे ही हैरानी महसूस हुई थी जैसी कभी हरियाणा में मनोहर लाल खट्टर और उत्तराखंड में तीरथ सिंह रावत के नाम के एलान के समय हुई थी।

निर्विवाद चेहरे को पार्टी ने दिया महत्त्व

वैसे मोदी और शाह दोनों को गुजरात की सियासत का माहिर खिलाड़ी माना जाता है और उनकी गुजरात की रग रग पर पकड़ है। ऐसे में उनके भूपेंद्र पटेल की ताजपोशी के संबंध में लिए गए फैसले के भी गूढ़ निहितार्थ माने जा रहे हैं। वैसे एक बात तो तय है कि भाजपा नेतृत्व ने एक ऐसे चेहरे को सामने रखा है जो संघनिष्ठ होने के साथ ही निर्विवाद भी है। इसके जरिए पार्टी ने विजय रुपाणी के कार्यकाल के दौरान उपजी नाराजगी को भी शांत करने की कोशिश की है।

उनके कार्यकाल के दौरान सरकार और संगठन के बीच भी समन्वय स्थापित नहीं हो पा रहा था और प्रदेश अध्यक्ष सी आर पाटिल ने भी इस बाबत शीर्ष नेतृत्व से चर्चा की थी। पाटिल का कहना था कि रुपाणी के मुख्यमंत्री रहने पर भाजपा अगला विधानसभा चुनाव नहीं जीत सकती। अब लो प्रोफाइल मुख्यमंत्री बनाकर तेजतर्रार प्रदेश अध्यक्ष पाटिल के जरिए भाजपा अपने चुनावी रणनीति को तेजी से अंजाम पर पहुंचाने की कोशिश करेगी। पाटिल चुनावी रणनीति के माहिर खिलाड़ी है। इसी के दम पर वे बिना चुनाव प्रचार के पिछला तीन लोकसभा चुनाव खुद जीतते रहे हैं। चुनाव के समय पार्टी के पास एक बार फिर मोदी का चेहरा होगा जिसके जरिए पार्टी गुजरात में 2002 से लगातार विधानसभा चुनाव जीतने में कामयाब रही है। अब देखने वाली बात यह होगी कि 2022 के चुनाव में भाजपा का यह फॉर्मूला फिट बैठता है या नहीं।



\
Deepak Kumar

Deepak Kumar

Next Story