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सपा का साल 2021: अखिलेश यादव कैसे फतह करेंगे मिशन 2022, आइये जाने

2022 में उत्तर प्रदेश की जनता नई सरकार को चुनने के लिए वोट डालेगी। 2021 के अब कुछ ही दिन बचे हैं। समाजवादी पार्टी और अखिलेश यादव उत्तर प्रदेश में एक नए विकल्प के रूप में दिखाई दे रहे हैं।

Rahul Singh Rajpoot
Published on: 17 Dec 2021 2:13 PM GMT
Former CM  Akhilesh Yadav Statement on BJP Government
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पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव।  

UP Politics: साल 2021 अब जाने वाला है और 2022 आने वाला है। 2022 में उत्तर प्रदेश की जनता नई सरकार को चुनने के लिए वोट डालेगी। 2021 के अब कुछ ही दिन बचे हैं, ऐसे में न्यूजट्रैक अपने पाठकों के लिए 2021 में सूबे के मुख्य विपक्षी दल समाजवादी पार्टी की क्या उपलब्धियां रहीं हैं और उनके सामने क्या चुनौतियां रहीं।

इसके बारे में बताएगें क्योंकि नए साल के शुरुआती महीने में ही विधानसभा का चुनाव (Vidhan Sabha Chunav) होगा और अखिलेश यादव सत्ता में दुबारा वापसी के लिए जी जान से लगे हुए हैं। तो चलिए बताते हैं कि अखिलेश यादव और समाजवादी पार्टी के लिए कैसा रहा साल 2021?

मिशन 2022
Mission 2022

समाजवादी पार्टी और अखिलेश यादव उत्तर प्रदेश में एक नए विकल्प के रूप में दिखाई दे रहे हैं। अखिलेश यादव पहले से ज्यादा मजबूत हुए हैं। उसी मजबूती को वह अब जमीनी स्तर पर उतारने में जुटे हुए हैं। यही वजह है कि वह भारतीय जनता पार्टी से सीधी टक्कर लेने जा रहे हैं।

यूपी में अभी हाल फिलहाल सीधा मुकाला बीजेपी बनाम सपा (BJP VS Samajwadi Party) होता दिखाई दे रहा है। अखिलेश यादव ने अपनी छवि एक विकास पुरुष की बनाई है । उनका काम बोलता है । अब जमीन पर दिखाई भी दे रहा है। जिसके जरिए वह मिशन 2022 (Mission 2022)फतह करने के लिए रण में उतर चुके हैं।


2017 के चुनाव में करारी शिकस्त मिलने के बाद वह लगातार अपनी पार्टी और संगठन को मजबूत करने में लगे हैं। एक वक्त था जब बीजेपी के सत्ता (BJP Mission 2022) में आने के बाद उनके तमाम नेता बीजेपी में चले गए। इससे उनपर कोई फर्क नहीं पड़ा और वह लगातार तेजी से आगे बढ़ते ही जा रहे हैं।

16 दिसंबर 2021

सबसे पहले आपको उससे रुबरू करवाते हैं जिसका कई सालों से समाजवादी कुनबे को इंतजार था। 16 दिसंबर को सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव अचानक अपने चाचा शिवपाल यादव के घर पहुंचे और करीब 40 मिनट बंद कमरे में चाचा-भतीजे(UP Mein Chacha Bhatije) के बीच मंत्रणा हुई।

इसमें 2022 के चुनाव (up election 2022 samajwadi party) में सपा और पीएसपी के गठबंधन की नींव तैयार हो गई है। जिसके लिए शिवपाल यादव लगाता प्रयासरत थे। ये उन लाखों सपा और पीएसपी कार्यकर्ताओं के साथ ही यादव परिवार के लिए किसी बड़े तोहफे से कम नहीं था।

अखिलेश यादव और शिवपाल यादव ने अपने पुराने गिले शिकवे भुलाकर मिशन 2022 के लिए आगे बढ़ने का संकल्प लिया है। इसमें अहम भूमिका सपा के संरक्षक मुलायम सिंह यादव की मानी जा रही है। जो बेटे और भाई को एक साथ फिर से लाने में कामयाब होते दिखाई दे रहे हैं। क्योंकि अखिलेश यादव के जाने के बाद शिवपाल तुरंत बड़े भाई मुलायम सिंह से मिलने उनके आवास पहुंचे थे। अब शिवपाल और अखिलेश (Shivpal Akhilesh) ने फाइनल कर दिया है कि वह मिलकर चुनाव लड़ेंगे।


समाजवादी रथ यात्रा से बदलाव की उम्मीद

2017 के चुनाव से पहले अखिलेश यादव पूरे प्रदेश में रथ यात्रा (Akhilesh Yadav Rath Yatra) लेकर निकले थे और उन्हें भारी जनसमर्थन भी मिला था। अब 2022 के लिए भी अखिलेश यादव एक बार फिर समाजवादी परिवर्तन यात्रा (Samajwadi Parivartan Yatra) लेकर प्रदेश के चारों दिशाओं में जा रहे हैं। इस रथयात्रा में उन्हें अपार समर्थन भी हासिल हो रहा है। जिससे सपाई गदगद हैं और उनका हौसला बढ़ गया है। यही वजह है कि अखिलेश यादव भी 2022 में भाजपा साफ का नारा दे चुके हैं।

'नई हवा है नई सपा है' का नारा

अखिलेश यादव ने यूपी की सत्ता (UP Politics) पर दोबारा काबिज होने के लिए कई बदलाव कर चुनावी मैदान में उतरने जा रहे हैं। इसी क्रम में वह यूपी चुनाव 2022 (UP Election 2022) के लिए नया नारा दिया है 'नई हवा है नई सपा है'। जिसके जरिए वह युवाओं का जोश और बुजुर्गों का आशीर्वाद लेकर यूपी का रण (UP Rajniti)जीतने निकले हैं।

'बाइस में बाइसिकल' 'आ रहे हैं अखिलेश'

समाजवादी पार्टी ने मिशन 2022 (Samajwadi Party Mission 2022) के लिए एक नया नारा गढ़ा है। 'बाइस में बाइसिकल', इस मिशन को साकार करने के लिए लोगों से सहयोग और समर्थन की अपील कर रही है। लखनऊ से लेकर प्रदेशभर में सपा के जितने भी कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। उन सबमें 'बाइस में बाइसिकल' की होर्डिंग लगी हुई दिखाई देती है। यह सपा कार्यकर्ताओं में नए जोश का संचार भी भरती है उन्हें एहसास कराती है कि 'आ रहे हैं अखिलेश'।

बड़े दलों से किनारा, छोटे दलों से तालमेल

अखिलेश यादव का 2017 में कांग्रेस और 2019 में बसपा के साथ गठबंधन (Congress BSP Gathbandhan) का फॉर्मूला फेल होने के बाद अब 2022 विधानसभा चुनाव (Vidhansabha Chunav 2022) के लिए छोटे-छोटे दलों के साथ तालमेल बिठाकर चुनावी मैदान में उतरने जा रहे हैं। अखिलेश यादव ने अपने चाचा की पार्टी पीएसपी, आरएलडी, सुभासपा, महानदल, जनवादी सोशलिस्ट पार्टी और कृष्णा पटेल के अपना दल के साथ गठबंधन तय हो गया है।


'M-Y' समीकरण बदला

समाजवादी पार्टी की कमान जब मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav) के हाथ में थी तो वह एम-वाई समीकरण(M-Y Samikaran) बिठाकर यूपी की सत्ता पर काबिज हुए थे। एम-वाई (यादव-मुस्लिम) समीकरण (Yadav-Muslim Samikaran) मुलायम सिंह यादव का हिट फॉर्मूला था। जिसके जरिए वह देश के सबसे बड़े सूबे के तीन बार मुख्यमंत्री बने। अब अखिलेश यादव की सपा में जहां कई बदलाव दिखाई दे रहे हैं।

वहीं उन्होंने इस बार एम-वाई समीकरण (M-Y Samikaran) को भी बदल दिया है। अखिलेश यादव जहां सभी को साध कर यूपी की सत्ता (UP Politics) हासिल करना चाहते हैं। वहीं एम-वाई(M-Y Samikaran) को उन्होंने नया नाम युवा-महिला देखकर आधी आबादी के साथ युवा जोश को अपने पाले में करने की कोशिश कर रहे हैं।

बाबा साहब वाहिनी का गठन

2019 का लोकसभा चुनाव बीएसपी (BSP) के साथ मिलकर लड़ने के बाद जहां एक बार फिर सपा-बसपा के रिश्तों में खटास आ गई। वहीं अखिलेश यादव की नजर अब बीएसपी के वोट बैंक पर है।

यहीं वजह है कि पहली बार समाजवादी पार्टी ने दलित वोटों का समीकरण साधते हुए समाजवादी बाबा साहब वाहिनी का गठन किया है और इसकी कमान पूर्वी उत्तर प्रदेश के बलिया जिले से आने वाले बसपा के पूर्व दलित नेता मिठाई लाल भारती को सौंपी है।

इसके जरिए अखिलेश मायावती के दलित वोट बैंक (Dalit Vote Bank) में सेंधमारी की जुगत में लगे हैं। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि उत्तर प्रदेश में 20-22 प्रतिशत दलित वोटों को साधने के लिए सपा बसपा में कार्य कर चुके अनुभवी नेताओं के सहयोग और बाबा साहब आंबेडकर (Babasaheb Ambedkar) के नाम का सहारा लेकर एक नया समीरण बनाने की कोशिश कर रही है।

फोटो- सोशल मीडिया

प्रबुद्ध वर्ग सम्मेलन

2007 में मायावती (Mayawati) और सतीश चंद्र मिश्रा (Satish Chandra Mishra) का हिट फॉर्मूला दलित-ब्राह्मण (Dalit-Brahmin) कठजोड़ इस बार अखिलेश यादव भी आजमा रहे हैं। बसपा की तरह सपा ने भी प्रबुद्ध वर्ग सम्मेलन आयोजित कर ब्राह्मणों को अपने पाले में करने की कोशिश की है। इसके लिए अखिलेश यादव ने ब्राह्मण नेताओं को जिम्मेदारी सौंपी है।

जिसकी कमान पूर्व मंत्री अभिषेक मिश्रा, मनोज पांडेय, पवन पांडेय, संतोष पांडेय, सरीखे ब्राह्मण नेताओं के कंधों पर है। हालही में उन्होंने पूर्वांचल के बड़े ब्राह्मण नेता हरिशंकर तिवारी के दोनों बेटों और उनके भांजे को सपा में शामिल कर पूर्वांचल में पार्टी को मजबूत करने का कार्य किया है।

संपर्क, संवाद, सहयोग, सहायता का संकल्प

अखिलेश यादव 2022 (samajwadi party up election 2022)के लिए उन तमाम मुद्दों को पकड़ रहे हैं। जिससे वह बीजेपी को मात दे सकें। वह बेरोजगारी, बढ़ती महंगाई और घटती कमाई के जरिए समाज के हर तबके तक पहुंचने का प्रयास कर रहे हैं। वह अपनी सभाएं और प्रेस कॉन्फ्रेंस में किसान, नौजवान, व्यापारी और सरकारी कर्मचारी का मुद्दा उठाकर बीजेपी को घेरने की कोई कोर कसर नहीं छोड़ते हैं।

सपा एक अभियान के जरिए संपर्क, संवाद, सहयोग और सहायता से यूपी में मेल मिलाप और मदद के जरिए लोगों तक पहुंच रही है और इसके जरिए 2022 में सपा को सत्ता में लाने की अपील कर रहे हैं।

जाहिर है 2021 में पार्टी और संगठन की लगातार बैठकें कर इन्हीं सभी समीकरणों को साधकर अखिलेश यादव एक बार फिर साइकिल को पांच कालिदास मार्ग तक पहुंचाने में लगे हुए हैं।

Vidushi Mishra

Vidushi Mishra

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