UP Election 2022: रायबरेली और अमेठी में कांग्रेस के प्रदर्शन पर सबकी निगाहें, प्रियंका के रणकौशल की होगी असली परीक्षा

UP Election 2022: अमेठी और रायबरेली की जंग गांधी परिवार की प्रतिष्ठा से जुड़ी हुई है। ऐसे में सोनिया गांधी ने रायबरेली के मतदाताओं से विशेष तौर पर कांग्रेस का समर्थन करने की अपील की।

Anshuman Tiwari
Written By Anshuman TiwariPublished By Shreya
Published on: 22 Feb 2022 3:55 AM GMT
UP Election 2022: रायबरेली और अमेठी में कांग्रेस के प्रदर्शन पर सबकी निगाहें, प्रियंका के रणकौशल की होगी असली परीक्षा
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प्रियंका गांधी की रैली (फोटो- न्यूजट्रैक) 

UP Election 2022: उत्तर प्रदेश में रायबरेली (Raebareli) और अमेठी (Amethi) के साथ गांधी परिवार का नाम जुड़ा हुआ है और ऐसे में इन दोनों जिलों में कांग्रेस (Congress) के प्रदर्शन पर हर किसी की निगाह लगी हुई हैं। यहां की सीटों पर कांग्रेस का प्रदर्शन किसी अग्निपरीक्षा से कम नहीं होगा। वैसे तो कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी (Priyanka Gandhi Vadra) ने पूरे प्रदेश में जोर लगा रखा है मगर अमेठी और रायबरेली की जंग गांधी परिवार (Gandhi Family) की प्रतिष्ठा से जुड़ी हुई है। यही कारण है कि सोमवार को कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) ने भी रायबरेली के मतदाताओं (Raebareli Voters) से विशेष तौर पर कांग्रेस का समर्थन करने की अपील की।

पश्चिमी उत्तर प्रदेश (Western Uttar Pradesh) से शुरू हुआ विधानसभा चुनाव (UP Vidhan Sabha Chunav) अब अवध के क्षेत्र में पहुंच गया है और इसी क्षेत्र में कांग्रेस के इस गढ़ में पार्टी प्रत्याशियों को अपना दमखम दिखाना है। अमेठी और रायबरेली से निकला संदेश कांग्रेस के लिए काफी अहम होगा। इसी कारण सबकी निगाहें विशेष तौर पर अमेठी और रायबरेली पर लगी हुई हैं।

अमेठी में लगा था जबर्दस्त झटका

गांधी और नेहरू परिवार से अमेठी और रायबरेली का रिश्ता काफी पुराना है। इसके बावजूद हाल के दिनों में कांग्रेस को आशाजनक नतीजे नहीं मिल सके हैं। 2017 के विधानसभा चुनाव में अमेठी में कांग्रेस का प्रदर्शन काफी निराशाजनक रहा था और पार्टी को चारों सीटों पर हार का मुंह देखना पड़ा था। 2019 के लोकसभा चुनाव में तो पार्टी को और करारा झटका लगा था जब कांग्रेस नेता राहुल गांधी (Rahul Gandhi) को अमेठी लोकसभा सीट (Amethi Loksabha Seat) पर हार झेलनी पड़ी थी। लगातार तीन लोकसभा चुनाव की सीट से जीतने के बाद भाजपा प्रत्याशी स्मृति ईरानी (Smriti Irani) ने राहुल गांधी को हार का मुंह देखने के लिए मजबूर कर दिया था।

यही कारण है कि इस बार अमेठी में प्रियंका के नेतृत्व कौशल की सही मायने में परीक्षा होगी। इस बार पार्टी यहां से खाता ही नहीं खोलना चाहती बल्कि ज्यादा से ज्यादा सीटें जीतना चाहती है। यदि इस चुनाव में भी कांग्रेस का प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा तो निश्चित तौर पर प्रियंका गांधी के नेतृत्व पर सवालिया निशान खड़े होंगे।

प्रियंका गांधी (फोटो- न्यूजट्रैक)

रायबरेली में अपने हुए बेगाने

2017 के विधानसभा चुनाव में रायबरेली (Raebareli) में कांग्रेस दो सीटें जीतने में कामयाब हुई थी मगर कांग्रेस के दोनों विधायकों ने बगावती तेवर अपना लिए। कांग्रेस के टिकट पर जीतने वाली अदिति सिंह (Aditi Singh) और राकेश सिंह (Rakesh Singh) अब भाजपा प्रत्याशी के तौर पर कांग्रेस प्रत्याशियों (Congress Candidates) को चुनौती दे रहे हैं। आदिति सिंह ने चुनाव से पहले से ही कांग्रेस और प्रियंका गांधी के खिलाफ हमलावर रुख अपना रखा है।

अमेठी में पिछला विधानसभा चुनाव पूरी तरह हारने के बाद अब कांग्रेस रायबरेली के अपने दुर्ग को बचाने की कोशिश में जुटी हुई है। रायबरेली कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी का संसदीय क्षेत्र है मगर खराब स्वास्थ्य के कारण इस बार वे चुनाव प्रचार से पूरी तरह दूर हैं।

गांधी परिवार के लिए अहम होंगे चुनावी नतीजे

सोनिया गांधी को भी रायबरेली में कांग्रेस के प्रदर्शन के महत्व की जानकारी है और इसी कारण उन्होंने अपने संसदीय क्षेत्र के मतदाताओं से विशेष तौर पर कांग्रेस को समर्थन देने की अपील की है। रायबरेली के चुनावी नतीजे गांधी परिवार के लिए काफी अहम साबित होंगे और इसी कारण चुनाव प्रचार के आखिरी दौर में सोनिया गांधी ने यहां ताकत लगाई। कांग्रेस यहां अपनी साख बचाने की लड़ाई लड़ रही है।

चुनावी बाजी जीतने के लिए पार्टी ने बाहरी प्रत्याशियों को उतारकर भी दूसरे दलों को चुनौती देने की कोशिश की है। विधानसभा चुनाव के आने वाले चरणों में रायबरेली और अमेठी को काफी अहम माना जा रहा है क्योंकि यहां की जंग कांग्रेस की प्रतिष्ठा से जुड़ी हुई है। अगर कांग्रेस इन दोनों जिलों में अच्छा प्रदर्शन नहीं कर सकी तो प्रियंका के नेतृत्व कौशल पर भी सवाल उठने लगेंगे।

इन दोनों जिलों की विभिन्न विधानसभा सीटों पर कांग्रेस प्रत्याशी कड़े मुकाबले में फंसे हुए हैं। दूसरे दलों की ओर से कांग्रेस को कड़ी चुनौती मिल रही है। ऐसे में यह देखने वाली बात होगी कि कांग्रेस अपने गढ़ माने जाने वाले इन दोनों जिलों में कैसा प्रदर्शन करती है।

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