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UP Election 2022: दो चरणों के मतदान बाद भाजपा और विपक्ष संदेह में क्यों है?

UP Election 2022: उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव चरण दर चरण दिलचस्प होते जा रहे हैं। पहले चरण में भारतीय जनता पार्टी कमजोर बताई जा रही थी। वहीं, दूसरे चरण के मतदान से पहले सपा ज्यादा मजबूत बताई जा रही थी।

Vikrant Nirmala Singh
Written By Vikrant Nirmala SinghPublished By Deepak Kumar
Published on: 15 Feb 2022 12:07 PM GMT (Updated on: 15 Feb 2022 3:38 PM GMT)
UP Election 2022
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UP Election 2022। 

UP Election 2022: उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव (UP Assembly Election 2022) चरण दर चरण दिलचस्प होते जा रहे हैं। पहले चरण में भारतीय जनता पार्टी (Bharatiya Janata Party) कमजोर बताई जा रही थी। लेकिन किसान और जाट नाराजगी के बीच पहले चरण में "सुरक्षा का मुद्दा" राजनीतिक संदेह को बरकरार रखा है। दूसरे चरण के मतदान से पहले सपा ज्यादा मजबूत बताई जा रही थी। 2017 की भाजपा लहर में भी सपा ने यहां 15 सीटें जीती थीं लेकिन कम मतदान और कानून व्यवस्था जैसी घटनाओं ने राजनीतिक कयासो को यहां भी मजबूत कर दिया है। अब निगाह चुनाव के अगले चरणों पर है। यह देखना दिलचस्प होगा कि चुनाव आयोग बड़ी रैलियों के संदर्भ में क्या निर्णय लेता है?

पहले दो चरणों के क्या संकेत दिखाई पड़ते हैं?

यूपी के पहले दो चरणों के मतदान संपन्न हो चुके हैं। पहले चरण में कुल 58 सीटें थी। भारतीय जनता पार्टी (Bharatiya Janata Party) ने 2017 के में यहां 53 सीटों पर जीत हासिल की थी। पहले चरण की इन 58 विधानसभा सीटों पर कुल 60.17 फीसदी मतदान हुआ है। 2017 के चुनाव में इन निर्वाचन क्षेत्रों में कुल 63.47 फ़ीसदी मतदान हुआ था। दूसरे चरण में कुल 55 विधानसभा सीटें थी। 2017 में भाजपा को यहां 38 सीटों पर जीत मिली थी। इन सीटों पर कुल 62.82 फ़ीसदी वोट पड़े है। 9 जिलों की इन 55 विधानसभा सीटों पर 2017 के चुनाव में कुल मतदान 65.53 फ़ीसदी हुआ था। साथ ही दूसरे चरण की 2 दर्जन से अधिक सीटों पर मुस्लिम वोट निर्णायक भूमिका में मौजूद हैं।

वोट प्रतिशत के हिसाब से चुनाव समझने का प्रयास करेंगे तो एक तथ्य पहले से स्पष्ट है कि अप्रत्याशित रूप से बढ़ा हुआ मतदान प्रतिशत हमेशा बदलाव का संकेत देता है। इस बार मत प्रतिशत बढ़ने के जगह पर घट गया है। इसलिए ऐसे कयास लगाए जा रहे हैं कि चुनाव किसी बड़े परिवर्तन की तरफ संकेत नहीं कर रहा है। जाट नाराजगी के बीच कानून व्यवस्था जैसे मुद्दे पर मतदान ने भाजपा के लिए राहत का काम किया है। वहीं मुस्लिम बाहुल्य सीटों पर मतदान पिछली बार की तुलना में अधिक हुआ है जो कि सपा के लिए सकारात्मक है। फिर भी इन सीटों पर परिणाम इस बात पर निर्भर होंगे कि सपा, बसपा, कांग्रेस और ओवैसी कितना वोट हासिल कर रहे हैं। अगर मुस्लिम वोटर इन चारों पार्टियों के बीच विभाजित हुए हैं तब भारतीय जनता पार्टी के लिए समीकरण मुफीद साबित होंगे।

भाजपा के लिए राहत की खबर क्या है?

कुछ सीटों को छोड़ दें तो भारतीय जनता पार्टी (Bharatiya Janata Party) लगभग सीटों पर मजबूत दिखाई पड़ती है। भाजपा (BJP) की सबसे बड़ी ताकत उसके लाभार्थी बताए जा रहे हैं। भाजपा (BJP) ने जो लाभार्थियों का एक बड़ा वर्ग तैयार किया है, वह उसके लिए निर्णायक साबित हो रहा है। मुफ्त राशन योजना ने हर वर्ग में भाजपा के लिए गुप्त मतदाता तैयार कर दिए हैं। सुरक्षा व्यवस्था के सवाल पर भाजपा अन्य सभी दलों पर हावी दिखाई पड़ती है। प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत 45 लाख से अधिक मकानों ने भाजपा की पहुंच एससी और एसटी समुदाय के बीच में बढ़ा दी है। ऊपर से योगी आदित्यनाथ की लोकप्रियता पूर्वांचल के मुकाबले पश्चिम में ज्यादा दिखाई पड़ रही है। एक वर्ग के लिए यह आश्चर्यजनक तथ्य जरुर हो सकता है लेकिन कटु सत्य है कि योगी आदित्यनाथ की आक्रामक शैली पश्चिम में काफी पसंद की जाती है। भाजपा में प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के बाद योगी आदित्यनाथ की सभाओं में सबसे अधिक भीड़ दिखाई पड़ती है। योगी आदित्यनाथ के बयानों ने भी पश्चिम के चुनाव का ध्रुवीकरण एक हद तक कर दिया था। इसलिए भाजपा शुरुआती दो चरणों में थोड़ी संतुष्ट दिखाई पड़ती है।

अखिलेश या जयंत में कौन भारी पड़ेगा?

यह सवाल अजीब सा है लेकिन पश्चिम की राजनीति में यथार्थ है। अखिलेश (Akhilesh Yadav) और जयंत (Jayant Choudhary) साथ हैं लेकिन पहले चरण में जयंत ज्यादा मुस्कुरा रहे हैं। जाट समुदाय के बीच यह चुनाव जयंत को स्थापित कर चुका है। सपा गठबंधन की वजह से जयंत चौधरी (Jayant Choudhary) कुछ अच्छी सीटें निश्चित रूप से जीत जाएंगे, लेकिन यहां अखिलेश (Akhilesh Yadav) के लिए मुश्किलें बताई जा रही है। यह संदेह अभी भी बरकरार है कि क्या जयंत चौधरी (Jayant Choudhary) जाट मतदाताओं को सपा के प्रत्याशियों को स्थानांतरित करा पाने में सफल हुए हैं? क्या मुस्लिम प्रत्याशियों को जाट समुदाय ने वोट किए हैं?

भाजपा को पहले चरण से ज्यादा दूसरे चरण की चिंता क्यों है?

भाजपा (BJP) पहले चरण से ज्यादा दूसरे चरण ने आशंकित दिखती है। इसका कारण है कि इस चरण की 55 में से 40 सीटों पर 30 से 55% मुस्लिम मतदाता है। 2017 के विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी ने यहां से 15 सीटें जीती थी जिसमें 10 मुस्लिम उम्मीदवार शामिल थे। लोकसभा चुनाव 2019 में इन 9 जिलों की 11 लोकसभा सीटों में से विपक्ष ने 7 जीती थी। दूसरे चरण में सहारनपुर देहात, नकुड़, गंगोह, रामपुर मनिहारान, बिजनौर, अमरोहा, कुंदरकी, रामपुर, स्वार और शाहजहांपुर सीट पर दिलचस्प मुकाबला है। दूसरे चरण में योगी सरकार (Yogi Government) के दिग्गज मंत्री सुरेश खन्ना, समाजवादी पार्टी के आदम खान और उनके सुपुत्र अब्दुल्ला आजम, भाजपा से सपा में गए धर्म सिंह सैनी और सहारनपुर में इमरान मसूद की साख दांव पर लगी है।

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Deepak Kumar

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