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UP Election Result 2022 : पूर्व मंत्री विजय का अभेद्य किला ध्वस्त, विधायक भूपेश, अनिल, संजीव का बढ़ा कद
UP Election Result 2022 : यूपी विधानसभा चुनाव के परिणाम में सोनभद्र के दुद्धी विधानसभा सीट से पूर्व मंत्री और सपा उम्मीदवार विजय सिंह गोंड चुनाव हार गए हैं।
UP Election Result 2022 : दुद्धी में जिस गोंड़ मतदाताओं को सपा प्रत्याशी विजय सिंह गोंड़ (Vijay Singh Gond) का अभेद्य किला समझा जा रहा था, इस बार के चुनाव में ध्वस्त तो हुआ ही, उन्हीं मतदाताओं की बदौलत विजय को अपराजेय माने जाने वाला मिथक भी टूट कर बिखर गया। वहीं लगातार दूसरी बार चुनाव जीतने से राबटर्सगंज विधायक भूपेश चैबे, ओबरा विधायक एवं राज्यमंत्री संजीव सिंह गोंड़ और घोरावल विधायक अनिल मौर्या का कद पार्टी में बढ़ गया है।
बताते चलें कि 2017 के चुनाव में भी नजदीकी मुकाबले में अपना दल एस के हरिराम चेरो ने लगभग एक हजार मतों से मात दी थी लेकिन इसके पीछे ओबरा सीट से उनके बड़े बेटे को चुनाव लड़ने और इस कारण उनके द्वारा दुद्धी में समय न दे पाने का बड़ा कारण माना गया था। इस बार उनके परिवार का कोई भी व्यक्ति किसी दूसरी सीट पर उम्मीदवार नहीं था। वहीं लगभग एक साल से वह लगातार मतदाताओं में बने हुए थे। खासकर सजातीय वोटरों की लगातार किलेबंदी की उनकी कोशिश जारी थी।
लेकिन चुनाव के वक्त गोंड बिरादरी से जुड़ी गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के दो फाड़ होने तथा भाजपा की तरफ से कभी उनके ही खेमे के मजबूत आधार रहे, रामदुलार गोंड़ को उम्मीदवार बनाने के मामले ने तो उनके किलेबंदी को ध्वस्त किया ही...। छत्तीसगढ़ से आई कांग्रेस की टीम ने भी विजय सिंह को कमजोर किया। इसका कांग्रेस को तो कोई फायदा नहीं मिला लेकिन विजय सिंह गोंड़ के दो-तीन मजबूत सिपहसालार उनसे दूर हो गए और इसी के साथ राजनीतिक हल्कों उनकी सुनिश्चित मानी जा रही जीत, हार में तब्दील हो गई।
सोनभद्र से दो को मिल सकता है राज्यमंत्री का पद, शुरू हुई चर्चा
2017 से 2022 के कार्यकाल में आखिरी साल में जातीय समीकरणों के आधार पर ओबरा विधायक संजीव गोंड़ के रूप में जिले को एक राज्यमंत्री का पद हासिल हुआ था। इस बार दो राज्यमंत्री का पद मिलने की पूरी उम्मीद जताई जा रही है। बता दें कि भूपेश चैबे का अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद और भारतीय जनता युवा मोर्चा में गहरा जुड़ाव तो है ही, संगठन में भी अहम स्थान रखने वाले लोगों ने उनके अच्छे संबंध बताए जाते हैं। जिले में पार्टी के करीब-करीब सभी कद्दावरों से चुनौती मिलने के बावजूद आखिरी समय में उनको मिले टिकट ने भी इस बात को साबित किया है।
इसी तरह स्वामी प्रसाद मौर्या के भाजपा से जाने के बाद अनिल मौर्या का पार्टी में जातीय फैक्टर मजबूत हुआ है। स्वामी प्रसाद मौर्या के पार्टी छोड़ते समय उन्होंने केशव प्रसाद मौर्या को अपना नेता मानने की बात भी सोशल मीडिया के जरिए सामने रखी थी। अनिल मौर्या भाजपा से पहले दो बार बसपा से विधायक रह चुके हैं। इस बार विधायक के रूप में उनकी चैथी पारी है। इसको देखते हुए भूपेश और अनिल में से एक को राज्यमंत्री का प्रबल दावेदार माना जा रहा है।