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BSP: मायावती के भतीजे आकाश आनंद के लिए परीक्षा से कम नहीं हैं विधानसभा उपचुनाव
BSP: बहुजन समाज पार्टी में नेशनल कोऑर्डिनेटर और मायावती के उत्तराधिकारी पद की जिम्मेदारी वापस मिलने के बाद आकाश आनंद की चुनौतियां बढ़ गई हैं।
BSP: लोकसभा चुनाव के दौरान एक अशोभनीय टिप्पणी को लेकर कैरियर की शुरुआत में ही पद से हटाए गए और दो दिन पहले फिर से बड़ी जिम्मेदारी पाने के बाद अब आकाश आनद को आने वाले विधानसभा चुनावों में खुद को साबित करने का बेहतरीन मौका मिला है।बहुजन समाज पार्टी में नेशनल कोऑर्डिनेटर और मायावती के उत्तराधिकारी पद की जिम्मेदारी वापस मिलने के बाद आकाश आनंद की चुनौतियां बढ़ गई हैं। उन्हें पूरे देश में संगठन के विस्तार की जिम्मेदारी सौंपी गई है, जो उनके लिए सबसे बड़ी चुनौती होगी।
उल्लेखनीय है 2022 में हुए यूपी विधानसभा चुनाव में भी बसपा का प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा था। तब पार्टी को सिर्फ 1 सीट पर ही जीत मिली थी। लोकसभा चुनाव 2024 में बीएसपी ने प्रदेश की सभी 80 सीटों पर चुनाव लड़ा। लेकिन पार्टी को एक भी सीट पर जीत नहीं मिली।राजनीतिक जानकारों का कहना है कि आकाश को सबसे पहले उन नेताओं को पार्टी में फिर से वापस लाना होगा जो बसपा छोड़कर चले गए हैं।इनमें बसपा के मिशन को आगे बढ़ाने वाले पूर्व राष्ट्रीय महासचिव जयप्रकाश जैसे तमाम नेता और दलित चिंतक शामिल हैं। बता दें कि आकाश के साथ जयप्रकाश की वापसी की भी बसपा समर्थक लगातार मांग कर रहे थे। वहीं दूसरी ओर बसपा के तमाम अन्य पुराने नेता भी पार्टी से किनारा कर चुके हैं, जिन्हें दोबारा साथ लाने की जिम्मेदारी भी मायावती ने आकाश को दी है। वहीं लोकसभा चुनाव के दौरान बरेली, झांसी, सहारनपुर आदि जिलों के जिन पदाधिकारियों को पार्टी से बाहर किया गया था।
उनकी भी आकाश की तर्ज पर जल्द वापसी हो सकती है।दरअसल, लोकसभा चुनाव में बसपा का कोर वोटर उससे खिसक गया। जिसके कारण वसपा का आंकड़ा 10 से घटकर फिर शून्य पर आ गया। लिहाजा, उसे अपने पाले में लाने के लिए बसपा को उपचुनाव से परहेज नहीं है। फिलहाल बसपा के पास विधानस में केवल एक सीट है जबकि लोकसभा और विधान परिषद में बसपा शून्य है।जहां इन उपचुनाव में बसपा भाजपा सपा और कांग्रेस के लिए चुनौती साबित होगी वहीं बसपा के लिए एक बड़ी चुनौती नगीना से सांसद चंद्रशेखर आजाद हैं। अभी चंद्रसंखर का राजनीतिक विस्तार इतना ज्याद नहीं है, लेकिन दलित पुवाओं में उनका आकर्षण है।
बता दें कि चुनाव आयोग ने सात राज्यों की 13 विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव की तारीख का ऐलान कर दिया है। वहीं यूपी की 10 सीटों पर भी चुनाव होना है। यूपी में जो विधायक सांसद बने हैं, उनके लिए खाली सीटों पर उपचुनाव होगा। यूपी की जिन सीटों पर उपचुनाव होना है उनमें फूलपुर, मझवा, मीरापुर, मिल्कीपुर, करहल, कुंदरकी, गाजियाबाद, कटेहरी और खैर विधानसभा सीट है। इसके अलावा रायबरेली की ऊंचाहार सीट भी सुर्खियों में हैं।अब देखना है कि आकाश आनंद इस बड़ी जिम्मेदारी को पाने के बाद कमजोर पड़ चुकी बड़ी को मजबूत करने मैं कितने सफल हो पाते हैं। बसपा प्रमुख मायावती ने आकाश आनंद को पूरी परिपक्वता के साथ पार्टी में कार्य करने के लिए फिर से मौका दिया है। ये पूर्व की तरह सभी पदों पर बने रहेंगे। अर्थात ये पार्टी के नेशनल कोऑर्डिनेटर के साथ मायावती के एकमात्र उत्तराधिकारी भी बने रहेंगे।
बता दें कि आकाश आनंद ने सीतापुर में जनसभा के दौरान भाजपा नेताओं की तुलना आतंकवादियों से की थी. इसके साथ ही, उन्हें जूतों से मारने की बात कही थी। इसके बाद बसपा सुप्रीमो ने आकाश आनंद को नेशनल कोऑर्डिनेटर के पद और अपने उत्तराधिकारी की जिम्मेदारी से हटाने का ऐलान किया था।लोकसभा चुनाव के बाद उत्तर प्रदेश में होने वाले 10 सीटों के विधानसभा चुनाव बसपा से मायावती के भतीजे आकाश आनंद के लिए पहली परीक्षा साबित होंगे। सियासी गलियारों में मायावती के इस बदले हुए फैसले पर समीक्षा और सवालों के चाल भी तेज हो गई है।