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Lok Sabha By polls 2022: आजमगढ लोक सभा सीट पर उपचुनाव में अखिलेश का खेल बिगाडेंगी मायावती
Lok Sabha Bypolls 2022: इस लोकसभा सीट से अखिलेश यादव अपनी पत्नी एवं पूर्व सांसद डिम्पल यादव को चुनाव मैदान में उतारेगें। पर बसपा प्रत्याशी के उतरने से समाजवादी पार्टी की सीट यहां फंस सकती है।
Lok Sabha Bypolls 2022: उत्तर प्रदेश की दो लोकसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव में बसपा भी अब मैदान में उतरने जा रही है। पूर्व उत्तर प्रदेश और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के दो अलग अलग छोरों में 12 जून को होने जा रहे उपचुनाव में बसपा अपनी घटती बढती ताकत को आंकना चाह रही है लेकिन रामपुर में मो आजम खां की ताकत को देखते हुए अपना प्रत्याशी न उतारकर केवल आजमगढ़ में चुनाव लड़ना उसकी इसी रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है।
संभावना इस बात की है कि इस लोकसभा सीट से अखिलेश यादव अपनी पत्नी एवं पूर्व सांसद डिम्पल यादव को चुनाव मैदान में उतारेगें। पर बसपा प्रत्याशी के उतरने से समाजवादी पार्टी की सीट यहां फंस सकती है। यहाँ मूसली और पिछड़े वर्ग के वोटों की संख्या बहुतायत है और जिसका सीधा लाभ भाजपा को मिल सकता है।
यूपी के आजमगढ़ लोकसभा सीट पर करीब 18 लाख मतदाता हैं। पिछले 4 लोकसभा चुनावों के नतीजे देखें तो 2014 और 2019 में मोदी लहर में भी समाजवादी पार्टी की यहां से जीत हुई। लेकिन 2009 में भाजपा और 2004 में बहुजन समाज पार्टी ने यहां अपनी जीत हासिल की थी। अटल सरकार इस चुनाव में सत्ता से हाथ गंवा बैठी थी। वह पूरी तरह से प्रदेश में साफ हो गयी और उसे केवल 10 सीटें ही मिल सकी थी।
आजमगढ़ लोकसभा सीट से साल 2019 में अखिलेश यादव को 60.4 % वोटों के साथ जीत मिली थी। दूसरे नंबर पर भाजपा के दिनेश लाल यादव को 35.1 % वोट मिले थे। 2014 में मुलायम सिंह यादव ने 35.4 प्रतिशत वोटों के साथ जीत हासिल की जबकि दूसरे नंबर पर रमाकांत यादव जिन्हे 28.9 प्रतिशत वोट मिले थे।
राज्यसभा में एसपी के लिए 3 सीटों पर जीत लगभग तय मानी जा रही है और इन सीटों पर पार्टी ने कपिल सिब्बल जयंत चैधरी और मुस्लिम चेहरा जावेद अली के नाम का ऐलान कर दिया है। हालांकि पहले कयास लगाया जा रहा था कि डिंपल यादव को भी राज्यसभा भेजा जा सकता है। लेकिन अब कहा जा रहा है कि डिम्पल यादव आजमगढ से लोकसभा चुनाव में उतरेंगी।
बसपा सुप्रीमों मायावती ने कार्यकर्ताओं से अपनी इस क्षमता का एक बार फिर इस्तेमाल करने का आवाहन करते हुए कहा कि इसका पहला परीक्षण २३ जून के उपचुनाव में होगा। उन्होंने कहा कि सीमित संसाधनों वाली बसपा का मुकाबला धनकुबेर विरोधी दलों से है। इसलिये इस तरह की छोटी छोटी बैठकों के जरिये ही पूरे प्रदेश में बसपा संगठन को फिर से नयी ऊर्जा से भरना है।